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प्रधानमंत्री का काफिला अगर किसी फ्लाईओवर पर 15-20 मिनट के लिए रुक जाए, तो यह न सिर्फ चिंता की बात, बल्कि गंभीर लापरवाही का प्रदर्शन है। प्रधानमंत्री का कार्यक्रम पूर्व निर्धारित था, उन्हें फिरोजपुर में एक रैली को संबोधित करना था, लेकिन जब काफिला रुक गया, तो उन्हें लौटना पड़ा। विशेषज्ञ इसे सुरक्षा में भारी चूक मान रहे हैं। पंजाब पहले आतंकवाद की जमीन रह चुका है, अत: वहां विशिष्ट लोगों की सुरक्षा चाक-चौबंद होनी चाहिए। प्रधानमंत्री की सुरक्षा तो विशेष रूप से सुनिश्चित होनी चाहिए, लेकिन पंजाब में यह शायद सरकार के स्तर पर हुई बड़ी चूक है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार से रिपोर्ट मांगी है और राज्य सरकार ने भी तत्काल कदम उठाते हुए फिरोजपुर के एसएसपी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। पंजाब सरकार को इस चूक की तह में जाना चाहिए। अगर यह चूक प्रशासन के स्तर पर हुई है, तो ऐसे लापरवाह अधिकारियों के लिए सेवा में कोई जगह नहीं होनी चाहिए और यदि इसके पीछे कोई सियासत है, तो इससे घृणित कुछ नहीं हो सकता। प्रदर्शनकारियों को पता था कि प्रधानमंत्री का काफिला गुजरने वाला है, लेकिन क्या यह बात सुरक्षा अधिकारियों को नहीं पता थी कि प्रधानमंत्री का रास्ता प्रदर्शनकारी रोकने वाले हैं? यह बात कतई छिपी नहीं है कि हम एक ऐसे देश में रहते हैं, जहां दुश्मन तत्वों की सक्रियता अक्सर सामने आती रहती है। ऐसे तत्वों के साथ अपराधी तत्वों का घालमेल हमें पहले भी मुसीबत में डाल चुका है। बेशक, इस देश के लोगों को प्रधानमंत्री से कुछ मांगने का पूरा हक है, लेकिन उनका रास्ता रोकने की हिमाकत किसी अपराध से कम नहीं है। गया वह जमाना, जब प्रधानमंत्री की लोगों के बीच सहज उपस्थिति संभव थी, अब पहले जैसा खतरा हम नहीं उठा सकते। क्या हमने एक प्रधानमंत्री और एक पूर्व प्रधानमंत्री को खोकर कुछ सीखा है? दिल्ली की सीमाओं पर महीनों तक बैठने और पंजाब में सीधे प्रधानमंत्री का रास्ता रोकने के बीच जमीन-आकाश का फासला है। अब इसमें शक नहीं कि राजनीति तेज हो जाएगी, क्योंकि पंजाब में हुई इस चूक ने मौका दे दिया है। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री ने भी इस चूक पर नाराजगी जताई है। अत: इस चूक को पूरी गंभीरता से लेते हुए पंजाब सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि उस राज्य में रास्ता रोकने की राजनीति अपनी हदों में रहे। ऐसे रास्ता रोकने की दुष्प्रवृत्ति पर तत्काल प्रहार की जरूरत है, ताकि आगे के लिए एक मिसाल बन जाए। आशंका है कि ऐसे रास्ता रोकने वालों को किसी प्रकार की कार्रवाई से बचाने के लिए भी पंजाब में राजनीति होगी। कोई आश्चर्य नहीं, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा में सेंध की खबर के बाद वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर दी है। गंभीर राजनीति को ठोस समाधान के बारे में सोचना व बताना चाहिए, राष्ट्रपति शासन समाधान नहीं है। यह दुखद है कि अपने देश में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच अक्सर समस्या जस की तस बनी रह जाती है। अपना तात्कालिक राजनीतिक मकसद हल करने के बाद नेता भी ऐसी मूलभूत चूक या समस्या को भुला देते हैं। 
इस बार ऐसा न हो, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी पंजाब सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय की है। उम्मीद कीजिए, पूरा सच और समाधान सामने आएगा।