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उत्तर प्रदेश ने अपनी राजनीति का नया इतिहास लिख दिया है। इतने विशाल प्रदेश में एक मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी की सत्ता का कायम रहना अपने आप में अध्ययन और अनुकरण का विषय है। कड़ी चुनावी टक्कर में यह एक ऐसी सरकार की बेहतरीन वापसी है, जिससे प्रदेश को बड़ी उम्मीदें हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत ने पहले ही यह साबित कर दिया है कि यहां भाजपा के नेताओं के प्रति आभार भाव कायम था, इसलिए जनता ने सीटें भले कम कर दीं, पर फिर शासन का मौका दिया। इस आभार भाव की जरूरत बनी रहनी चाहिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उचित ही कहा है कि 'प्रदेश में वंशवाद और जातिवाद की राजनीति नहीं चलेगी। हमने सुशासन और गरीब कल्याण के लिए काम किया। अब हम लोगों की आय को दोगुनी करेंगे। प्रदेश को नंबर वन अर्थव्यवस्था बनाएंगे।Ó दरअसल, अर्थव्यवस्था ही वह कमजोर नब्ज है, जहां सरकार की वास्तविक परख होने वाली है। अगर मुख्यमंत्री प्रदेश को नंबर वन अर्थव्यवस्था बनाने का सपना देख रहे हैं, तो उनका सहर्ष स्वागत है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य का विकास देश की चंद बहुत बड़ी चुनौतियों में शुमार है। यहां विकास की बुनियादी रूपरेखा को और दुरुस्त करने की जरूरत है। यमुना एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे जैसी बड़ी परियोजनाओं के पूरा होने से प्रदेश में विकास की बुनियाद सशक्त हुई है। आज उत्तर प्रदेश के पास ऐसा बहुत कुछ है, जिस पर सब गर्व कर सकते हैं। अभी जो परियोजनाएं चल रही हैं, उन्हें जल्द पूरा करने पर प्रदेश सरकार का जोर होना चाहिए। चुनाव अगर श्रेय लेने का समय होता है, तो जनता ने योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार को श्रेय दे दिया है, लेकिन अब फिर काम में लग जाने का समय है। विधायक दल को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने जो सकारात्मक बातें की हैं, उनको साकार करने में सरकार को लग जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर रोजगार की जरूरत है, तो राज्य सरकार को ऐसे तमाम प्रबंध करने चाहिए, जिनसे प्रदेश में निवेश बढ़े। भौगोलिक और व्यावसायिक लिहाज से उत्तर प्रदेश एक बेहतर जगह है, पर इस प्रदेश को जितना मिलना चाहिए, उतना नहीं मिला है। भारी राजनीतिक बढ़त या वजूद को आर्थिक विकास में तब्दील करने का वक्त आ गया है। डबल इंजन की सरकार है और उत्तर प्रदेश के लिए इससे अच्छा मौका अब कब आएगा? मुख्यमंत्री प्रदेश की व्यवस्था को जातिवाद से अगर थोड़ा भी निकाल सके, तो यह उनका बड़ा योगदान होगा। इस प्रदेश के दामन पर जातिवाद के दाग अक्सर लगते रहते हैं, कोई भी उत्तर प्रदेश की निंदा करने लगता है या नकारात्मक मिसालें देने लगता है। अत: सबके विकास पर फोकस करते हुए चलना होगा। प्रदेश मंत्रिमंडल में अब मुख्यमंत्री सहित 53 मंत्री व राज्यमंत्री हैं। कामकाज के अलावा राजनीतिक समीकरण देखते हुए मंत्री बनाए जाते हैं, लेकिन अब सबका एजेंडा उत्तर प्रदेश का विकास होना चाहिए। उत्तर प्रदेश ने एक सशक्त नेता चुना है, तो उसका पूरा लाभ भी प्रदेश को मिलना चाहिए। लोग यही उम्मीद करेंगे कि आगामी पांच वर्ष शांति से प्रदेश के सुखद कायाकल्प को समर्पित हो जाएं, ताकि लोग उत्तर प्रदेश की और ज्यादा सकारात्मक मिसालें देने लगें। प्रदेश के मुख्यमंत्री के इस कथन का पुरजोर स्वागत है कि हमें अपने राज्य की बेहतरी के लिए फिर से मिलकर काम करना होगा।