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गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री राष्ट्रपति द्वारा 29 मार्च, 2022 को जल शक्ति अभियान- कैच द रेन- 2022 का शुभारम्भ किया गया था। यह तीसरा वर्ष है, जब देश वर्षा जल के संरक्षण और भूजल पुनर्भरण के लिए एक जन आंदोलन का मिशन मोड में आयोजन कर रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में और उनकी प्रेरणा से, जल शक्ति अभियान को पहली बार वर्ष 2019 में सभी को 'वर्षा के लिए तैयार करनेÓ के विजऩ के साथ शुरू किया गया था, ताकि हम वर्षाजल का अधिक से अधिक भण्डारण और उपयोग कर सकें तथा हमारे भूजल भंडार को फिर से भरा भी जा सके। भूजल को कभी-कभी अदृश्य संसाधन कहा जाता है। हर कोई इसका इस्तेमाल करता है। यह ज्यादातर मामलों में नि:शुल्क है और उन लोगों को उपलब्ध है, जो इन स्रोतों तक पहुंच पाते हैं, या जिनके पास इसे प्राप्त करने के साधन मौजूद हैं। यह झीलों, आर्द्रभूमि और जंगल जैसे महत्वपूर्ण पारितंत्र को बनाए रखता है। भारत दुनिया में भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है और उपलब्ध वैश्विक संसाधनों के एक चौथाई से अधिक का उपयोग करता है। भूजल ने कई दशकों से देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह लाखों नलकूपों के माध्यम से 'हरित क्रांति' की सफलता सुनिश्चित करने में प्रमुख संचालक सिद्ध हुआ है। यह सीमित संसाधन वर्तमान में 60 प्रतिशत से अधिक कृषि की सिंचाई, 85 प्रतिशत ग्रामीण पेयजल आपूर्ति और 50 प्रतिशत से अधिक शहरी जल आपूर्ति की ज़रूरतों को पूरा करता है। भूजल के बढ़ते उपयोग और पुनर्भरण से अधिक दोहन के परिणामस्वरूप इस मूल्यवान संसाधन के भण्डार में महत्वपूर्ण कमी आयी है। बड़े पैमाने पर आजीविका के नुकसान से लेकर प्रवासी लोगों के लिए सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता में कमी से जुड़े स्वास्थ्य मुद्दों तक, जल-संकट का गंभीर प्रभाव पड़ा है। जलवायु परिवर्तन के कारण यह समस्या और गंभीर हो जाती है, क्योंकि यह वर्षा के पैटर्न को अनिश्चित बनाता है और भूजल पुनर्भरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। वर्तमान में, देश के लगभग एक तिहाई भू-जल संसाधन विभिन्न स्तरों के संकट झेल रहे हैं। छोटे एवं सीमांत किसान, महिलाएं और समाज के कमजोर वर्ग, भूजल की कमी और दूषित जल का सबसे ज्यादा नुकसान सहते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री की प्रेरणा से भारत सरकार ने 2019 में जल शक्ति अभियान (जेएसए) की शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने स्वयं सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों तथा सभी पंचायतों के अग्रणी कर्मियों को पत्र लिखा एवं उनसे अपने-अपने क्षेत्रों में अभियान को नेतृत्व प्रदान करने का अनुरोध किया। यह मिशन मोड में एक समयबद्ध जल संरक्षण अभियान था, जिसे देश में जल-संकट झेल रहे 256 जिलों के 1,592 ब्लॉकों में जुलाई-नवंबर 2019 की अवधि के दौरान लागू किया गया था। ये ब्लॉक भूजल के सन्दर्भ में संकटग्रस्त या अत्यधिक उपयोग किये जाने की श्रेणी में आते हैं, जहां संचय होने की तुलना में भूजल को अधिक मात्रा में निकाला जा रहा था। जेएसए, भारत सरकार और राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों का एक परस्पर सहयोगी प्रयास था, जिसका संचालन जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा किया जा रहा था। इस अभियान के दौरान, भारत सरकार के अधिकारियों, भूजल विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने पांच लक्षित कार्यों के त्वरित कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करते हुए जल संरक्षण और जल संसाधन प्रबंधन के लिए भारत के सबसे जल-संकटग्रस्त जिलों में राज्यों और जिला अधिकारियों के साथ मिलकर काम किया। जेएसए का उद्देश्य व्यापक प्रचार-प्रसार और समुदायों की भागीदारी के माध्यम से जल संरक्षण को जन-आंदोलन बनाना है। जेएसए ने पांच बिन्दुओं पर ध्यान केंद्रित किया- जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन, पारंपरिक और अन्य जल निकायों का पुनरुद्धार, पानी का पुन: उपयोग और संरचनाओं का पुनर्भरण, वाटरशेड विकास और गहन वनीकरण। इसके अलावा, विशेष कार्यक्रमों में ब्लॉक जल संरक्षण योजनाओं और जिला जल संरक्षण योजनाओं का निर्माण, कृषि विज्ञान केंद्र मेलों का आयोजन, शहरी अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग और सभी गांवों के लिए 3 डी रूपरेखा मानचित्रण आदि शामिल हैं। राज्यों ने कई स्रोतों से संसाधनों का इस्तेमाल किया। यह निर्धारित किया गया था कि मनरेगा निधि का कम से कम 60 प्रतिशत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन गतिविधियों, मुख्य रूप से जल संरक्षण पर खर्च किया जाना चाहिए। पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान, कैम्पा निधि, सीएसआर संसाधनों का उपयोग इन कार्यक्रमों को निधि देने के लिए किया गया था। 2019 में सभी हितधारकों के संयुक्त प्रयासों से 2.73 लाख जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण हुआ, 45,000 जल निकायों/टैंकों का पुनरुद्धार किया गया, 1.43 लाख पुन: उपयोग और पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण हुआ, 1.59 लाख वाटरशेड विकास संबंधी कार्य पूरे किये गए, 12.36 करोड़ पौधे लगाये गए और 1372 ब्लॉक जल संरक्षण योजनाओं की तैयारी की गयी। इन आंकड़ों से अलग, अभियान ने जल पुनर्भरण और प्रबंधन के लिए काम कर रहे सभी हितधारकों को एक साथ लाने के लिए एक प्रभावशाली वातावरण तैयार किया। कई राज्यों ने मूल रूप से निर्धारित कार्य की तुलना में अधिक कार्य किये। कुछ राज्यों ने अपने सभी जिलों में इस अभियान का विस्तार किया, जबकि प्रारंभ में पानी की कमी वाले जिलों के लिए ही योजना की शुरुआत की गयी थी। वर्ष 2020 में देश ने कोविड महामारी से मुकाबले की शुरुआत की थी। इसलिए, उस वर्ष पूरे तौर पर जन-आंदोलन को लागू करना संभव नहीं था। इसलिए, जल शक्ति मंत्रालय ने वर्षा जल संचयन में वृद्धि के लिए शैक्षणिक संस्थानों, रक्षा प्रतिष्ठानों जैसे बड़े भूखण्डों पर काम किया। 2019 में प्राप्त प्रतिक्रिया से प्रोत्साहित होकर, वर्ष 2021 में जेएसए-2019 के दायरे का विस्तार किया गया और "जल शक्ति अभियान: कैच द रेन" (जेएसए: सीटीआर) को देश के सभी जिलों (ग्रामीण और शहरी) में शुरू किया गया। जेएसए: सीटीआर को 22 मार्च, 2021 से 30 नवंबर 2021 के दौरान "कैच द रेन, व्हेयर फॉल्स, व्हेन फॉल्स" थीम के साथ लागू किया गया था। 22 मार्च, 2021 से 30 नवंबर, 2021 तक जेएसए: सीटीआर अभियान के दौरान लगभग 42 लाख जल से संबंधित कार्य किए गए और 36 करोड़ पौधे लगाए गए। इसमें 14.76 लाख जल संरक्षण और आरडब्ल्यूएच संरचनाओं का निर्माण/रख-रखाव, 2.78 लाख पारंपरिक जल निकायों का पुनरुद्धार, 7.34 लाख पुन: उपयोग और पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण/रख-रखाव और 17.02 लाख वाटरशेड विकास संबंधी कार्य शामिल हैं। इन कार्यों पर अकेले मनरेगा के तहत 65,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए। देश में जीवन और आजीविका के लिए पानी के महत्व को देखते हुए, जल संरक्षण कार्य को विस्तार देने के लिए 'वर्षा की तैयारीÓ को वार्षिक कार्य का दर्जा दिया जाना चाहिए। इसलिए इस वर्ष भी जल शक्ति अभियान : कैच द रेन का आयोजन पूरे देश में किया जा रहा है। अभियान 22 मार्च, 2022 से 30 नवंबर, 2022 तक लागू किया जाएगा, जिसमें मानसून-पूर्व और मानसून अवधि को कवर किया जायेगा। पिछले वर्ष की तरह, जल संरक्षण और पुनर्भरण गतिविधियों में निम्न को शामिल किया जायेगा - सरकारी भवनों की प्राथमिकता के साथ सभी भवनों पर छत के ऊपर आरडब्ल्यूएचएस, सभी परिसरों में जल संचयन गड्ढे, पुराने/नए चेक बांधों/तालाबों का रख-रखाव/ निर्माण; तालाबों/झीलों से अतिक्रमणों को हटाना, तालाबों की भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए गाद निकालना, जल-प्रवाह के अवरोधों को हटाना, पारंपरिक बावडिय़ों और अन्य आरडब्ल्यूएचएस की मरम्मत करना, जलभृतों के पुनर्भरण के लिए निष्क्रिय बोरवेल/अप्रयुक्त कुओं का उपयोग करना, छोटी नदियों/नालों का कायाकल्प, आर्द्रभूमि का पुनरुद्धार और बाढ़-बांधों की सुरक्षा आदि। पर्वतीय राज्यों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर इस वर्ष झरनों की पहचान, मानचित्रण और प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। प्रत्येक जिले से पुराने राजस्व रिकॉर्ड तथा एनआरएसए और जीआईएस मैपिंग तकनीक से प्राप्त रिमोट सेंसिंग चित्रों का उपयोग करके सभी मौजूदा जल-निकायों/जल संचयन संरचनाओं (डब्ल्यूएचएस) की सूची बनाने और भविष्य में डब्ल्यूएचएस की वैज्ञानिक योजना तैयार करने के लिए डेटा का उपयोग करने का अनुरोध किया गया है। राष्ट्रीय जल मिशन ने जीआईएस आधारित जल संरक्षण योजना तैयार करने और जिलों के जल निकायों की सूची तैयार करने के सन्दर्भ में दिशा-निर्देश तैयार किये हैं और क्रियान्वयन के लिए इन्हें सभी जिलों को भेजा गया है। कई जिलों ने इन योजनाओं को तैयार किया है और उन्हें लागू कर रहे हैं। इस कार्य को इस वर्ष ही पूरा करने के लिए सभी जिलों को प्रोत्साहित किया जाएगा। 'जेएसए: सीटीआर' अभियान 2021 के एक हिस्से के रूप में, राज्य सरकारों से सभी जिला मुख्यालयों में 'जल शक्ति केंद्र' (जेएसके) स्थापित करने का अनुरोध किया गया था। ये जेएसके; जल, जल संरक्षण की तकनीकों और जल की बचत से संबंधित जानकारी के प्रचार-प्रसार के लिए "ज्ञान केंद्र" के रूप में कार्य करते हैं। जेएसके की स्थापना का उद्देश्य स्थानीय लोगों के साथ-साथ जिला प्रशासन को तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करना था। अब तक पूरे देश में 336 जेएसके स्थापित किए जा चुके हैं। चालू वर्ष में अभियान के कार्यान्वयन के दौरान, देश के प्रत्येक जिले में जेएसके की स्थापना से संबंधित कार्यों में तेजी लाकर उन्हें पूरा किया जायेगा। जल प्रबंधन के क्षेत्र में कार्यरत नागरिक समाज संगठन, जो केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के जिला प्रशासन और स्थानीय समुदायों के साथ काम कर रहे हैं, इस अभियान का हिस्सा हैं। लोग और समुदाय हमारे सभी कार्यक्रमों के केंद्र में हैं। चाहे वह हमारी नदियों का फिर से जीर्णोद्धार का प्रयास हो, जल पुनर्भरण और जल उपयोग दक्षता में सुधार हो, भूजल का सतत उपयोग करना हो, खुले में शौच से मुक्ति का लक्ष्य हासिल करना हो- जल सुरक्षा के लिए लोगों को शामिल करना, स्थायी परिवर्तन का आधार होता है। यह जल शक्ति अभियान के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है। इसलिए यह आवश्यक है कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए सभी व्यक्ति, समूह, निवासी कल्याण संगठन, स्वयं सहायता समूह, कॉर्पोरेट, मीडिया हाउस, शैक्षणिक संस्थान सभी साथ मिलकर कार्य करें। हम पर वर्तमान पीढ़ी के लिए जल-सुरक्षा और आने वाली पीढिय़ों के लिए जल सुरक्षित भारत का उत्तरदायित्व है। जय हिन्द।