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अभी कोरोना पीछा छोडऩे को तैयार नहीं है। दुनिया के ज्यादातर इलाकों में संक्रमण में कमी आई है, पर संपूर्ण राहत से हम अभी काफी दूर हैं। विडंबना देखिए, जब भारत में कुल 12,575 सक्रिय मामले हैं, तब चीन में प्रतिदिन 13,000 से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। चीन में संक्रमण न जाने किस ऊंचाई पर पहुंचने को बेताब है, मगर तारीफ करनी होगी कि उसने पूरी कड़ाई से इसके फैलाव को बहुत हद तक रोक रखा है। चीन में जो फैला है, वह एक नए प्रकार का ओमीक्रोन है, जबकि ऐसा लगता है कि भारत संक्रमण के शिकंजे से निकल आया है। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा है कि सोमवार को दैनिक नए संक्रमणों की संख्या 715 दिनों के बाद 1,000 अंक से नीचे आई है। साथ ही, 714 दिनों के अंतराल के बाद सक्रिय मामलों की संख्या 13,000 अंक से नीचे आई है। भारत में बीमारी से उबरने वालों की संख्या 4,24,95,089 से ज्यादा हो गई है। चीन जैसी अत्यधिक कड़ाई न करने के बावजूद दो साल बाद भारत राहत की सांस ले रहा है। मौजूदा संक्रमण की लहर और लगे कड़े प्रतिबंधों के बीच चीनी नागरिकों के धैर्य की परीक्षा हो रही है। ध्यान रहे, यह ऐसा समय है, जब दुनिया का अधिकांश हिस्सा फिर से खुल गया है, पर चीन के अनेक शहरों में आंशिक या संपूर्ण लॉकडाउन की स्थिति है। चीन लॉकडाउन में ढील देकर पश्चिमी देशों की तरह कोताही नहीं करना चाहता है। वहां काम भी बाधित हुआ है और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है। हालांकि, यह अच्छी बात है कि मौतों की संख्या नियंत्रित है। चीन के लगभग 70 प्रतिशत मामले अकेले शंघाई शहर में हैं, लगभग ढाई करोड़ लोगों की आनन-फानन में जांच की गई है। चीनी सरकार की कोशिश है कि संक्रमण पर जल्द से जल्द काबू किया जाए। अकेले शंघाई में 8,000 से ज्यादा संक्रमित हैं, चीन रोकथाम के लिए अपने नागरिकों की युद्ध स्तर पर कोरोना जांच कर रहा है। एक अनुमान के अनुसार, शंघाई में ही ढाई करोड़ से ज्यादा लोग क्वारंटीन हैं। सान्या शहर में कोविड के प्रसार को रोकने के लिए सभी परिवहन माध्यमों को निलंबित कर दिया गया है। शुरू में सिर्फ चार दिनों तक लॉकडाउन चलने की योजना थी, लेकिन इसका समय निरंतर बढ़ रहा है। ताजा भोजन की कमी होने लगी है। चीनी अधिकारी इसलिए भी सख्ती बरत रहे हैं, क्योंकि चीन ने लंबे समय तक शून्य कोविड रणनीति का सफल प्रयोग किया था। किसी समय चीन दुनिया के पीडि़त देशों को नसीहत देता था। कुछ देशों में संक्रमण का चीन ने मखौल भी बनाया था। सुरक्षित व स्वस्थ चीन के कई वीडियो दुनिया भर में प्रसारित-प्रचारित किए गए थे। चीन को आदर्श माना जाता था कि उसने अपने यहां कोविड को फैलने नहीं दिया, पर ताजा संक्रमणों ने चीन के दामन पर दाग लगा दिए हैं। हम कैसे भूल जाएं, चीन ही वह देश है, जहां 2019 के अंत में वुहान में पहली बार कोरोना वायरस का पता चला था। हालांकि, दुनिया जान नहीं पाई है कि कोरोना कैसे, कहां पनपा, क्योंकि चीन ने एक अलग ही दुनिया में होने का एहसास दिलाया। गत मार्च तक उसने स्थानीय लॉकडाउन, सामूहिक परीक्षण और यात्रा प्रतिबंधों के साथ दैनिक मामलों को सफलतापूर्वक तिहरे अंकों तक नीचे रखा था। लेकिन संक्रमण के चलते जब शंघाई की सड़कें सूनी पड़ी हैं, तब भारत को सावधान रहते चीन के अनुभव से भी सीखना चाहिए।