पीयूष गोयल भारत ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता (इंडऑस ईसीटीए) के माध्यम से वैश्विक व्यापार परिदृश्य में भारत के प्रभावशाली उदय से जुड़े एक और नए अध्याय की शुरुआत हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, अत्यधिक प्रतिस्पर्धी वैश्विक बाजार में देश लगातार नई ऊंचाइयां छू रहा है। पिछले महीने, भारत ने 2021-22 के लिए 400 बिलियन डॉलर के महत्वाकांक्षी निर्यात लक्ष्य को हासिल ही नहीं किया, बल्कि इससे आगे भी बढ़ गया है, क्योंकि छोटे उद्यमों समेत भारतीय निर्यातकों ने अपने मौजूदा परिचालनों में वृद्धि की, नए बाजारों में प्रवेश किया और नए उत्पादों का निर्यात किया। इस प्रकार, भारतीय निर्यातकों ने आर्थिक विकास को गति प्रदान की एवं रोजगार के अवसरों का सृजन किया और वो भी ऐसे समय में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था महामारी के कारण संकट में थी। इससे एक महीने पहले, भारत ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ 'व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौताÓ पर हस्ताक्षर किए, जिससे देश के लोगों के लिए नौकरियों के और धन अर्जित करने के नए अवसर पैदा हुए। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एकता का प्रतीक, इंडऑस ईसीटीए एक प्रमुख मील का पत्थर है। यह अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 27.5 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 45-50 बिलियन डॉलर के स्तर पर ले जाएगा, जिससे दोनों देशों को बहुत लाभ होगा। यह एक दशक से अधिक समय के बाद किसी विकसित अर्थव्यवस्था के साथ पहला व्यापार समझौता है, जिसे निर्यातकों, व्यापारियों, छोटे उद्यमों और पेशेवरों के साथ व्यापक परामर्श के बाद अंतिम रूप दिया गया है। व्यापार सौदे और भारतीय निर्यातकों का प्रशंसनीय प्रदर्शन न्यू इंडिया की नई ऊर्जा, समर्पण, दृढ़ संकल्प और सफल होने की अदम्य इच्छा का प्रमाण है। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, जो भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के पहले 75-सप्ताह की समयावधि को रेखांकित करता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि कोरोना काल के बाद दुनिया बहुत तेजी से एक नई विश्व व्यवस्था की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहा, "यह एक ऐसा महत्वपूर्ण दौर है, जब भारत को इस अवसर को हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी भारत की आवाज बुलंद रहनी चाहिए तथा भारत को नेतृत्व की भूमिका के लिए खुद को योग्य समझना चाहिए। इस संदर्भ में, भारत का पूरा निर्यात व्यवसाय- सामान्य बुनकरों और कामगारों से लेकर दुनिया को मात देने वाले उद्यमियों, इंजीनियरों और सॉफ्टवेयर पेशेवरों तक - भारत को वैश्विक बाजार में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित कर रहा है और दुनिया भारत को एक उभरती हुई महाशक्ति के रूप में देख रही है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक संबंध एक-दूसरे के लिए पूरक हैं। भारत मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया को तैयार उत्पादों का निर्यात करता है और विशेषकर खनिजों, कच्चे माल और मध्यवर्ती वस्तुओं का आयात करता है। भारत को अपने सभी उत्पादों के लिए ऑस्ट्रेलिया में शुल्क-मुक्त पहुंच प्राप्त होगी। इससे भारत, प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों, जिनके पास पहले से ही ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार सौदे हैं, के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होगा और प्रतिकूल परिस्थिति से होने वाले नुकसान को कम करने में सफल होगा। भारत को अपने उत्पादों के लिए बाजार पहुंच का फायदा मिलेगा और नियामक प्रक्रियाओं को आसान बनाने से फार्मास्युटिकल उत्पादों के लिए, इस क्षेत्र का आकर्षक 12 बिलियन डॉलर का ऑस्ट्रेलियाई बाजार भी खुल जाएगा। इसी तरह, कपड़ा निर्यात के तीन वर्षों में तीन गुना होकर 1.1 बिलियन डॉलर के स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है, जिससे हर साल 40,000 नए रोजगार सृजित होंगे और छोटे शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में नई इकाइयों के शुरू होने की संभावना बढ़ेगी। इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्यात 2020-21 के 1.2 बिलियन डॉलर से बढ़कर पांच वर्षों में 2.7 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है। ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात के साथ व्यापार समझौतों से अगले पांच से सात वर्षों में प्रत्येक के सन्दर्भ में 10 लाख नौकरियां के सृजन होने का अनुमान है। वे निवेशकों का उत्साह भी बढ़ाएंगे और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की स्थिति को बढ़ावा देंगे, जिससे समझौते में एक रणनीतिक आयाम जुड़ेगा। भारत पहले ही ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ त्रिपक्षीय आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल (एससीआरआई) व्यवस्था में शामिल हो चुका है। यह समझौता भारतीय कंपनियों के लिए कच्चे माल, खनिज और मध्यवर्ती वस्तुओं की लागत को कम करता है, जिससे उपभोक्ताओं को मदद मिलेगी और निर्यात में वृद्धि होगी। सरकार ने किसानों का ध्यान रखा है और कई क्षेत्रों को समझौते के दायरे से बाहर रखा है। इनमें डेयरी उत्पाद, काबुली चना, अखरोट, पिस्ता, गेहूं, चावल, बाजरा, सेब, सूरजमुखी-बीज का तेल, चीनी, खली, सोना, चांदी, प्लेटिनम, आभूषण, लौह अयस्क और अधिकांश चिकित्सा उपकरण शामिल हैं। छात्रों को भी बहुत लाभ मिलेगा। वे अध्ययन के बाद चार साल तक के लिए वीज़ा प्राप्त कर पायेंगे, जो उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नौकरी का अनुभव देगा और ऑस्ट्रेलिया को युवा पेशेवरों के प्रतिभाशाली, मेहनती समुदाय का लाभ देगा, जिन्होंने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है और प्रमुख पश्चिमी कंपनियां के शीर्ष पदों को संभाल रहे हैं। इसके अलावा, भारतीयों को एक उदार वीजा व्यवस्था मिलेगी, जो कॉर्पोरेट के दायरे में स्थानांतरित होने वाले कर्मियों, अधिकारियों और संविदा सेवा प्रदाताओं को चार साल तक अस्थायी प्रवास की अनुमति देगा। परिवार के सदस्यों के लिए प्रवेश, निवास करने और काम के अधिकारों के लिए भी प्रतिबद्धताएं शामिल की गयीं हैं। भारतीय शेफ और योग शिक्षक भी वीजा व्यवस्था में रियायतों के साथ ऑस्ट्रेलिया में अपनी पहचान बनाने में सक्षम होंगे, जो उन्हें चार साल तक रहने की अनुमति देगा, यदि वे पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं। इससे भारत के सांस्कृतिक प्रभाव में वृद्धि होगी और आस्ट्रेलिया के लोगों को योग का लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी। दोनों देश क्रिकेट के प्रति अपने लगाव से भी एकता की भावना प्रदर्शित करते हैं और भारतीय खेलप्रेमी डॉन ब्रैडमैन, स्टीव वॉ, ब्रेट ली और शेन वार्न जैसे ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के दिग्गजों के प्रशंसक रहे हैं। प्रत्येक टीम चुनौतीपूर्ण क्रिकेट प्रतियोगिताओं में दूसरे को पराजित करने के लिए कड़ी मेहनत करती है, लेकिन व्यापार-क्षेत्र में कोई पक्ष हारने वाला नहीं है - यह दोनों ही देशों के लिए जीत की स्थिति है। भविष्य के प्रति और अधिक उत्साह है। भारत; यूरोपीय संघ, कनाडा और यूके जैसे प्रमुख पश्चिमी व्यापारिक भागीदारों के साथ व्यापार समझौतों पर बातचीत कर रहा है। संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए व्यापार समझौते भारत की अदम्य इच्छा और उद्योग जगत के विश्वास को प्रदर्शित करते हैं, जहां दोनों देश लाभ की स्थिति में होते हैं तथा अन्य व्यापार समझौतों के लिए एक ठोस आधार मिलता है। ***
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