Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

प्रयागराज। त्याग, तपस्या और संकल्प का प्रतीक अखंड सौभाग्यवती की कामना पूर्ति के लिए निराजली महिलायें गुरूवार को हरियाली तीज पर्व मनायेंगी।हरियाली तीज या श्रावणी तीज का उत्सव श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।

यह प्रमुख रुप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे कजली तीज के रूप में मनाते हैं। सुहागन स्त्रियों के लिए यह व्रत बहुत ही महत्वपूर्व है। आस्था, सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

यह त्यौहार स्त्रियों को समर्पित है। इस दिन स्त्रियां मनचाहे वर और पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।

शिव पुराण के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। यह त्यौहार स्त्रियों को समर्पित है। इस दिन स्त्रियां मनचाहे वर और पति की लंबी आयु, सुख और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।

मान्यता है कि भगवान शंकर को पाने के लिए पार्वती ने 107 बार जन्म लिया था। मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108 जन्म में भगवान शिव ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से इस व्रत की शुरूआत हुई। इस दिन सोलह श्रृंगार कर जो महिला भगवान शंकर और देवी पार्वती की सच्चे मन से पूजा करती है, उनका सुहाग लम्बे समय तक बना रहता है। (वार्ता)