राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री, भारत सरकार
पिछले 2-3 सप्ता ह के दौरान कोविड -19 के मरीजों की संख्याद अत्य धिक बढऩे से सदी का सबसे बड़ा संकट उत्पेन्न- हो गया है। आपातकालीन स्थिति को भांपते हुएहर संभव संसाधनों को जुटाकर पूरे सरकारी तंत्र ने तुरंत कार्रवाई की। इस अदृश्य और घातक दुश्मन के खिलाफ इस संघर्ष में वैज्ञानिक समुदाय, स्वास्थ्य पेशेवरों, नागरिक प्रशासन के साथ ही सशस्त्र बल भी तत्पखरता से खड़ा है। भारतीय सेना, वायु सेना, नौसेना और डीजी एएफएमएस, डीआरडीओ, ओएफबी, डीपीएसयू, एनसीसी, कैंटोनमेंट बोड्र्स जैसे रक्षा मंत्रालय के अन्य संगठन भी लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए मदद में जुटे हुए हैं। रक्षा मंत्रालय अतिरिक्त स्वास्थ्य पेशेवरों की तैनाती, नई कोविड सुविधाओं की स्थापना, मित्र देशों से और देश के भीतर ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में सुविधा प्रदान करने के लिए भारतीय वायुसेना के परिवहन विमानों और भारतीय नौसेना के जहाजों की तैनाती तथा नए ऑक्सीजन संयंत्र स्थाीपित करना जैसे कार्य कर रहा है।
आपातकालीन वित्तीय अधिकार प्रदान किए गए
मैंने सशस्त्र बलों को संकट से निपटने के लिए नागरिक प्रशासन को हर संभव सहायता देने का निर्देश दिया है। लोगों को सशस्त्र बलों की क्षमताओं पर अत्यिधिक भरोसा और विश्वास है। सशस्त्र बलों को आपातकालीन वित्तीय शक्तियां प्रदान की गईं,ताकि फारमेशन कमांडर्सक्वावरंटीन सुविधाएं / अस्पताल स्थापित और उन्हेंक संचालित कर सकें और महामारी के खिलाफ जंग में चल रहे प्रयासों में सहायता के लिए विभिन्न सेवाओं और आवश्यअक कार्यों के प्रावधान करने के अलावा उपकरणों/वस्तुओं/सामग्री/स्टोवर्स की खरीद / मरम्मत का कार्य कर सकें।
आपातकालीन वित्तीय शक्तियों के अलावा यह अधिकार महानिदेशक चिकित्सा सेवा (सेना / नौसेना / वायु सेना), सेना / नौसेना / वायु सेना / अंडमान और निकोबार कमांड के फारमेशन/ कमांड मुख्यालय के चिकित्सा शाखा प्रमुख और नौसेना के कमांड चिकित्सा अधिकारी और वायु सेना के प्रधान चिकित्सा अधिकारी (मेजर जनरल और समकक्ष / ब्रिगेडियर और समकक्ष) सहित ज्वापइंट स्टा्फ को प्रदान किए गए हैं। कोविड देखभाल के लिए तैयार चिकित्सा सुविधाओं की तत्काल आवश्यकता से निपटने के लिए सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (एएफएमएस), रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (डीपीएसयू) और कैंटोनमेंट बोर्ड ने दिल्ली, लखनऊ, बेंगलुरु, पटना में कोविडअस्पतालों / सुविधाओं की स्थापना की है और संबंधित राज्य सरकारों के अनुरोध के आधार पर अन्य शहरों में भी ये सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। विभिन्न सैन्य अस्पतालों में लगभग 750 बेड्स को नागरिकों के उपयोग के लिए अलग रखा गया है, जबकि एएफएमएस ने देश भर में 4,000 बेड्स और 585 आईसीयू यूनिटवाले19 अस्पतालों को नागरिकों के लिए रखा है। दिल्ली में बेस अस्पताल को कोविड अस्पताल में बदल दिया गया है, जिसकी क्षमता को लगभग 400 बेड्स से बढ़ाकर1,000 बेड्स तककर दिया गया है।
डीआरडीओ अस्पताल : डीआरडीओ ने नई दिल्ली और लखनऊ में 500-500 बेड्स की कोविड-19 सुविधा स्थापित की है, जबकि अहमदाबाद में 900बेड्स का अस्पताल बनाया है और पटना के ईएसआईसीअस्पताल को 500 बेड्स का कोविडअस्पताल बनाया है। मुजफ्फरपुर और वाराणसी में कोविड अस्पताल स्थापित करने का काम जोरों पर है। डीआरडीओ अस्थायी कोविड अस्पताल बनाने में राज्य सरकारों को तकनीकी सहायता भी दे रहा है।
अतिरिक्त स्वास्थ्य पेशेवरों को जुटाया : एएफएमएस ने विभिन्न अस्पतालों में विशेषज्ञों, सुपर स्पेरशलिस्ट्सक और पैरामेडिक्स सहित अतिरिक्त डॉक्टरों को तैनात किया है। मेरे मंत्रालय ने एएफएमएस के शॉर्ट सर्विस कमीशन डॉक्टर्स की सेवाओं को 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ा दिया है, जिससे एएफएमएस में 238 और डॉक्टर बढ़ गए हैं। स्वास्थ्य पेशेवरों को बढ़ाने के लिएहाल ही में एएफएमएससे सेवानिवृत्त पेशेवरों को फिर से तैनात किया गया है। पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के लिए अत्यमधिक व्यिस्त रहने वाले 51 ईसीएचएस पॉलीक्लिनिक्स में तीन महीने के लिए रात की ड्यूटी पर अतिरिक्त संविदा कर्मचारियों को अस्थायी तौर पर रखा गया है। इसके अलावा, डीजी एएफएमएस कोविड -19 से संबंधित समस्याीओं के लिए इस सप्ताह टेलीकंसलटेशन करने जा रहा है। इस कार्य के लिए सेवानिवृत्त एएफएमएस डॉक्टरों को लगाया जा रहा है।
नागरिकों के लिए सेना के अस्पताल : भारतीय सेना ने देश की वर्तमान कोविड-19 स्थिति से निपटने में नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए अपने संसाधन जुटाए हैं। सेना ने मरीजों के लिए लखनऊ और प्रयागराज में 100-100 बेड्स उपलब्ध कराए हैं। मध्य प्रदेश के सागर में एम्बुलेंस के साथ ही40-बेड वाली आइसोलेशन सुविधा स्थापित की गई है। भोपाल और जबलपुर में 100-100बेड और ग्वालियर में 40 बेड उपलब्ध कराए गए हैं। झारखंड के नामकुम में 50 बेड की आइसोलेशन सुविधा स्थापित की गई है। महाराष्ट्र के पुणे में 60 और कैम्पटी में 20 आईसीयू बेड, जबकि राजस्थान के बाड़मेर में 100 बेड्स उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलावा, अहमदाबाद और पटना में सेना के चिकित्सा कर्मियों को तैनात किया गया है, अस्पताल प्रबंधन के लिए पटियाला प्रशासन को युद्ध के मैदान के नर्सिंग सहायक (बीएफएनए) उपलब्धल कराए गए हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन ट्रांसपोर्टर्स को चलाने के लिए 200 ड्राइवरों को स्टैंडबाय पर रखा गया है और पालम हवाई अड्डे पर पहुंचने वाली चिकित्सा आपूर्ति के लिए 10 टैट्रा और 15 एएलएस वाहन स्टैंडबाय पर तैनात हैं।
भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना द्वारा लॉजिस्टिक्स में सहायता : मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने के लिएभारतीय वायु सेना (आईएएफ) देश के भीतर और विदेशों में उड़ान भर रही है। आईएएफ परिवहन विमान ने 50 उड़ान भर कर विदेश से 1142 मीट्रिक टन क्षमता के 61 ऑक्सीजन कंटेनरों को एयरलिफ्ट किया। देश के भीतर 5 मई,2021 तक 4527 मीट्रिक टन क्षमता के 230 कंटेनरों को 344 उड़ानों के जरिए एयरलिफ्ट किया गया। भारतीय नौसेना ने ऑक्सीजन की आवश्यकता को पूरा करने के मिशन में तेजी लाने के लिए अपने जहाजों को तैनात किया है। पहली ऐसी खेप आईएनएस तलवार द्वारा 5 मई को बहरीन से मैंगलोर में लाई गई थी। नौसेना के अन्य जहाज जैसे कोलकाता, कोच्चि, तबार, त्रिकंद, जलाश्व और ऐरावत मध्य पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के विभिन्न देशों से लिक्विड मेडीकल ऑक्सीजन से भरे क्रायोजेनिक कंटेनरों और संबंधित चिकित्सा उपकरणोंके लदान के लिए तैनात किए गए हैं। अरब सागर में तैनात दूसरे बैच के जहाजों कोच्चि, त्रिकंद और तबार को भी राष्ट्रीय सहायता में शामिल होने के लिए भेज दिया गया है। जरूरत पडऩे पर अधिक जहाजों को तैनात करने के लिए भारतीय नौसेना ने भी अपनी क्षमता में वृद्धि की है। भारतीय सेना ने आगरा में दो सिविल ऑक्सीजन संयंत्रों की मरम्मत की है, ताकि प्रति दिन 1,800 सिलेंडरों की आपूर्ति को फिर से शुरू किया जा सके।
ऑक्सीजन संयंत्र : डीआरडीओ ने पीएम केयर्स फंड के तहत 500 मेडिकल ऑक्सीजन संयंत्रों का निर्माण शुरू किया है, जिसके लिए टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, बेंगलुरु में 332 और ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, कोयंबटूर में 48 के लिए आपूर्ति करने के ऑर्डर मिले हैं। सीएसआईआर से संबंधित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून के साथ काम करने वाले उद्योग 120 संयंत्र तैयार करेंगे। नई दिल्ली में एम्स और आरएमएल अस्पतालों में ऐसे दो संयंत्र स्थापित किए गए हैं। उम्मीद है कि शेष संयंत्र तीन महीने के भीतर स्थापित हो जाएंगे। डीआरडीओ ने अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए बीओएस (ब्लड ऑक्सीजन सेचुरेशन) पूरक ऑक्सीजन वितरण प्रणाली भी विकसित की है। यह प्रणाली कोविड रोगियों के लिए उपयोगी होगी,क्योंकि उनकी स्थिति वहां तैनात सैनिकों के समान होगी। विभिन्न राज्यों में स्थानीय सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति के लिए सीएसआर के तहत कई डीपीएसयू भी तेजी से ऑक्सीजन संयंत्रों की खरीदी कर रहे हैं। इसके अलावा, डीजी एएफएमएस द्वारा जर्मनी की एक कंपनी को 23 मोबाइल ऑक्सीजन जेनरेटिंग प्लांट लगाने के ऑर्डर दिए गए हैं। उम्मीद है कि एक सप्ताह में इन संयंत्रों की आपूर्ति होगी। इसके अलावा, 23 बड़े आकार (300लि./मि. से 750लि. / मि. क्षमता) के आक्सीजन संयंत्र के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं। इससे पूरे देश के सैन्य अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी।
रक्षा पीएसयू द्वारा सहायता
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल)और ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड सहित विभिन्न डीपीएसयू अलग-अलग राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर देश में कई स्थानों पर अपनी सुविधाओं पर ऑक्सीजन बेड सहित कोविड देखभाल सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा स्थापित आईसीयू, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर सपोर्ट वाला 180 बेड का कोविड केयर सेंटर बेंगलुरु, कर्नाटक में चल रहा है। डीपीएसयूने बेंगलुरु में 250-बेड की सुविधा भी तैयार की है और इसे कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत नगर निगम के अधिकारियों को सौंप दिया है। ओडिशा के कोरापुट में 70 बेड की सुविधा और महाराष्ट्र के नासिक में 40 बेड का अस्पताल भी चालू है। एचएएल द्वारा उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 250 बेड की कोविड केयर सुविधा स्थापित करने का कार्य शुरू किया गया है। एचएएल की बैंगलुरु और लखनऊ में अधिक वेंटिलेटर और ऑक्सीजन पॉइंटउपलब्धो कराने की योजना है।
इस स्थिति से निपटने के लिए कैंटोनमेंट बोर्ड भी नागरिक प्रशासन को मदद कर रहे हैं। वर्तमान में, 39 कैंटोनमेंट बोर्ड देश के विभिन्न हिस्सों में 40 सामान्य अस्पताल में 1,240 बेड का प्रबंधन कर रहे हैं। 37 कैंटोनमेंट बोर्ड में ऑक्सीजन सपोर्ट उपलब्ध है।
कोविड की दूसरी लहर के खिलाफ संघर्ष में राज्य सरकारों कोमदद करने और टीकाकरण अभियान में उनकी सहायता करने के लिएएनसीसी अधिकारियों, जेसीओ और ओआरएस की सेवाओं को भी सशस्त्र बलों के अधीनस्ते रखा गया है।
वर्तमान स्थिति से निपटने में सशस्त्र बल और रक्षा मंत्रालय के विभिन्न प्रतिष्ठान न केवल नागरिक प्रशासन / राज्य सरकारों की सहायता कर रहे हैं, बल्कि सरकार द्वारा देश भर में शुरू किए गए टीकाकरण अभियान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सशस्त्र बलों और रक्षा मंत्रालय के विभिन्न प्रतिष्ठान के सभी प्रयास, जिनमें से कुछ के बारे में ऊपर बताया गया है, देश को किसी भी बाहरी खतरे से बचाने के उद्देश्य से समझौता किए बिना किए जा रहे हैं।
जहां आज पूरा भारत महामारी की मौजूदा स्थिति खिलाफ संघर्ष में एकजुट है, वहीं सशस्त्र बल भी राष्ट्र को इस आपदा से पार पाने में अतिरिक्त सहायता कर रहा है। कठिन समय में बाधाओं का मुकाबला करने काअदम्य साहसहोना चाहिए और यही भावना इस समय देश में है।