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धरमलाल कौशिक 
भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता को स्वार्थ सिद्धि का माध्यम कभी नहीं बनाया। यही वजह है कि संकट की इस परिस्थिति में आज भाजपा के करोड़ों कार्यकर्ता उत्सव की बजाय सेवा ही संगठन के मंत्र पर चलते हुए जरूरतमंद परिवारों की मदद में जुटे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यशस्वी नेतृत्व वाली मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दो वर्ष पूर्ण हुआ। इस तरह लोककल्याण के मंत्र के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार ने जनसेवा के सात वर्ष पूर्ण किए हैं। जन सरोकारों के मार्ग से राष्ट्र को प्रगति के पथ पर ले जाने में सहायक मोदी सरकार की इस सहयात्रा को सिर्फ सरकार की उपलब्धि के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। यह राष्ट्र के प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की जनआकांक्षाओं को साकार रूप दिए जाने का वह यज्ञ है, जिसमें हर देशवासी की सहभागिता है। ऐसा कहने की कुछ स्पष्ट वजह हैं। देश आज कोरोना की अभूतपूर्व त्रासदी से गुजर रहा है। लेकिन जैसा कि हमारे ऋषि मुनियों व महान सामाजिक प्रवर्तकों ने कहा है कि मनुष्य अपनी जीजिविषा से विशालकाय चुनौतियों पर भी विजय प्राप्त कर लेता है। इन उपदेशों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के दूसरे कार्यकाल में उठाए गए जनकल्याणकारी कदमों में फलीभूत होते देखा जा सकता है। 
वैश्विक महामारी कोरोना नामक अदृश्य विषाणु से दुनिया की बड़ी-बड़ी आर्थिक महाशक्तियां स्वयं को असहाय महसूस कर रही थीं। ऐसे वक्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ओर जहां तत्परता से पूर्णबंदी की वहीं देश के हर वर्ग की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर कई कदम उठाए। कोरोना जनित परिस्थितियों में जब केंद्र सरकार के पास राजस्व के विकल्प कम थे, ऐसे समय में भी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के जरिए गरीब परिवारों को नि:शुल्क राशन एवं मुफ्त एलपीजी सिलेंडर प्रदान किए गए। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए विभिन्न चरणों में 20 लाख करोड़ से अधिक के आर्थिक पैकज लागू किए गए। इससे एक ओर जहां कोरोना की पहली लहर को हमने पराजित करने में सफलता अर्जित की। वहीं अब विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के जरिए हम कोरोना की दूसरी लहर को भी परास्त करने की ओर अग्रसर हैं।
निश्चित ही यह देश के 135 करोड़ नागरिकों द्वारा प्रदर्शित एकता और अखंडता का अनुपम उदाहरण है। यह देश के हर नागरिक के साथ अपनत्व विकसित कर चुके नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के प्रति आस्था का भी जीवंत प्रमाण भी है। कोरोना जनित वर्तमान परिस्थितियों में जिस प्रकार दुनिया भर के देशों ने भारत को सहयोग के लिए कदम बढ़ाया, वह मोदी सरकार की सफल कूटनीति का ही अर्जित परिणाम है। प्रधानमंत्री मोदी ने संकट की घड़ी में जिस प्रकार अभावग्रस्त देशों को वैक्सीन से लेकर दवाएं व पीपीई किट उपलब्ध कराया, वह वसुधैव कुटुम्बकम की हमारी शाश्वत संस्कृति की अभिव्यक्ति है। मोदी सरकार ने वैज्ञानिक, कोरोना वॉरियर्स और समाज के हर तबके को प्रेरित करने का कार्य किया है। रिकॉर्ड समय में पीपीई किट से लेकर वेंटिलेटर और वैक्सीन का स्वदेशी उत्पादन आज हर भारतीय को गौरवान्वित करता है।
मुझे गर्व है कि हम एक ऐसे राजनीतिक दल के घटक हैं, जिसने सत्ता को स्वार्थ सिद्धि का माध्यम कभी नहीं बनाया। यही वजह है कि संकट की इस परिस्थिति में आज भाजपा के करोड़ों कार्यकर्ता उत्सव की बजाय सेवा ही संगठन के मंत्र पर चलते हुए जरूरतमंद परिवारों की मदद में जुटे हैं। कोरोना त्रासदी की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई देने के लिए कई अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। ख़ास बात यह है कि इन प्रयासों के केंद्र में उस पूर्वी भारत को प्रमुखता दी गई, जो सत्तर वर्ष तक देश में राज करने वाली सरकारों के लिए सिर्फ संसाधन और राजस्व कमाई का जरिया थे। वहां के विकास, सामाजिक एवं आर्थिक संपन्नता से उनका कोई वास्ता नहीं था। मिशन पूर्वोदय के जरिए केंद्र सरकार छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा से लेकर पूर्वोत्तर भारत के विकास को गति प्रदान कर रही है। 
मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में जहां उज्ज्वला, प्रधानमंत्री आवास योजना, जनधन, आयुष्मान योजना, स्वच्छ भारत जैसे सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों से देश के वंचित वर्ग को सक्षम बनाया। वहीं देश की एकता व अखंडता को मजबूती प्रदान करते हुए अपने दूसरे कार्यकाल के पहले वर्ष में ही अनुच्छेद 370 को हटाकर देशवासियों की आकांक्षाओं को पूर्ण किया। मोदी सरकार के लिए सबका साथ, सबका विकास सिर्फ नारा नहीं बल्कि इस देश की समरस आकांक्षा है। इस कार्यकाल के प्रारंभिक वर्ष में ही मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने की बात हो या फिर नागरिकता संशोधन कानून बनाने का मुद्दा, हमने अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता से कभी समझौता नहीं किया।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के प्रारंभिक दो वर्ष इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इस समय हम एक नए दशक के प्रवेश द्वार पर खड़े हैं। गत वर्ष ही अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग जिस समरस वातावरण में प्रशस्त हुआ है, उसके लिए देश का प्रत्येक नागरिक व उनके जनप्रिय नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार अभिनंदन की पात्र है। कोरोना की चुनौतियां भी हमारे आत्मबल को रोक नहीं सकी हैं। गत वर्ष ही केंद्र सरकार एक ऐसी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आई, जो नए भारत की परिकल्पना को पूर्ण करेगी। दुर्भाग्य से पूर्व की सरकारों की उदासीनता के कारण राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए देश को 34 वर्ष का लंबा इंतज़ार करना पड़ा। शिक्षण के साथ प्रशिक्षण के मंत्र पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत न सिर्फ पाठ्यक्रमों में भविष्य की सोच पर आधारित बदलाव हो रहे हैं बल्कि मूल्य आधारित शिक्षा को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना पर चलते हुए मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए स्वामीनाथन समिति की कई सिफारिशों को लागू किया। न्यूनतम समर्थन मूल्य लगभग डेढ़ गुना बढ़ाकर केंद्र सरकार ने किसान और कृषि को मजबूती प्रदान की है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत छत्तीसगढ़ को ही अकेले केंद्र सरकार ने 2019-20 में 8 लाख 3 हजार 80 मीट्रिक खाद्यान आवंटित किया। मई-जून 2021 हेतु 2 लाख 770 मीट्रिक टन खाद्यान का आवंटन किया गया। 
मनरेगा के अंतर्गत 1164 करोड़ रुपये का फंड दिया गया। 
इसी प्रकार ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर पीपीई किट, वैक्सीन हर मोर्चे पर दलीय भावना से ऊपर उठकर सहयोग किया है।

मोदी सरकार द्वारा पहले कार्यकाल के दौरान खोले गए 41 करोड़ जनधन खाते कोरोना जैसी आपदा के समय गरीब वर्ग तक राहत पहुंचाने के लिए कारगर माध्यम बने हैं। सरकार के सात वर्ष पूर्व होने की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के शिक्षा, स्वास्थ्य और उनकी परवरिश को लेकर विभिन्न प्रकार की घोषणाएं कर सरकार के संवेदनशील चरित्र को भरोसे का आवरण दिया है।

मुझे याद है 2014 में माननीय प्रधानमंत्री जी ने सेंट्रल हॉल में भाषण के दौरान कहा था कि मेरी सरकार गरीबों की सरकार होगी। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि मोदी सरकार का हर एक निर्णय गरीब, किसान, श्रमिक और वंचित वर्ग की भलाई पर केंद्रित है। 70 साल तक देश में गरीब और किसान के नाम पर राजनीति करने वालों को सुशासन की बयार भला कैसे पसंद आएगी। तुष्टिकरण की राजनीति के जरिए सत्ता का स्वार्थ सिद्ध करने वाले राजनीतिक दलों को अनुच्छेद 370 की समाप्ति से भला कैसा सरोकार। लोक कल्याण के मार्ग पर अडिग एक मजबूत और सक्षम सरकार जिस प्रकार निरंतर राष्ट्र की भावनाओं के साथ स्वंय को एकाकार कर रही है, उससे एक तरफ देश के स्वर्णिम भविष्य का सुखद संकेत मिलता है। वहीं यह उन राजनीतिक दलों व नेताओं के लिए चेतावनी है जिन्होंने अब तक राजनीति को स्वार्थ, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण का जरिया समझने की भूल की है।

-धरम लाल कौशिक

(लेखक छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं)