Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

भाद्रपद मास या भादौ की शुरूआत होगी। भाद्रपद मास हिंदी पंचांग का छठवां महीना है। चतुर्मास का दूसरा महीना होने के कारण इस माह में भी विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इस महीने को पुराणों में भक्ति और मुक्ति के माह के रूप में भी जाना जाता है। इस माह में विशेष रूप से भगवान कृष्ण और गणेश जी के पूजन का विधान है। भाद्रपद मास 23 अगस्त से शुरू होकर 22 सितम्बर तक रहेगा। आइए जानते हैं इस माह में किए जाने वाले और न किए जाने वाले कार्यों के बारे में....
भाद्रपद माह में वर्जित कार्य : भाद्रपद माह, चतुर्माह का दूसरा माह है इस माह में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस माह में धार्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से संयम का पालन किया जाता है । इसलिए इस माह में कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है। शास्त्रनुसार भाद्रपद माह में कुछ कार्य निषिद्ध हैं तथा कुछ खाद्य सामाग्रियों की भी वर्जना बताई गयी है। जो कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभ दायक है। 
1-भाद्र पद मास में गुड नहीं खाना चाहिए, इससे पेट संबंधी बीमारी होने का तथा बोलने में दिक्कत हो सकती है।
2- इस माह में तिल का तेल नहीं खाना चाहिए, ये बीमारी का कारण बन सकता है।
3- भादौ मास में दही और दही से बने पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
4- इसके साथ ही मान्यता है कि इस माह में दूसरे का दिया भात या चावल नहीं खाना चाहिए, इससे घर में दरिद्रता आती है।
5- इस माह में नारियल का तेल खाने से संतांन सुख में कमी आती है।