हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि डिजिटल एग्रीकल्चर, कृषि अवसंरचना फंड (एआइएफ), दलहन-तिलहन-पाम ऑयल मिशन, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) स्कीम, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जैसे प्रयासों से कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि खेती की बुनियादी सुविधाओं को मजबूत बनाने और कृषि में रोजगार की नयी संभावनाओं के लिए रणनीतिक रूप से आगे बढ़ा जायेगा। यदि कृषि क्षेत्र की चुनौतियों का उपयुक्त समाधान किया जाये तो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसका योगदान बढ़ सकता है। चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 20.1 फीसदी की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा, जिसमें तीन वर्षों की पहली तिमाहियों में लगातार विकास दर बढ़ी है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भी कृषि क्षेत्र में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। बीते वर्ष इसी अवधि में 3.5 प्रतिशत वृद्धि हुई थी तथा 2019-20 में 3.3 फीसदी की वृद्धि हुई थी। कृषि क्षेत्र की तीन बड़ी अनुकूलताएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाते दिख रही हैं। एक, बढ़ता खाद्यान्न उत्पादन और कृषि निर्यात. दो, देश के छोटे किसानों को मजबूत बनाने के प्रयास. तीन, दलहन और तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन। निसंदेह कृषि क्षेत्र की जीडीपी के बढऩे का कारण किसानों के अथक परिश्रम, वैज्ञानिकों की कुशलता और भारत सरकार की कृषि और किसान हितैषी नीतियां हैं। वर्ष 2020-21 में खाद्यान्न उत्पादन 30.86 करोड़ टन की रिकॉर्ड ऊंचाई पर दिखाई दे रहा है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 1.11 करोड़ टन अधिक है। देश में दलहन और तिलहन उत्पादन के लिए प्रोत्साहनों से छोटे किसानों ने उपज को भी बढ़ाया है। वर्ष 2020-21 में कुल तिलहन उत्पादन रिकॉर्ड 36.10 मिलियन टन अनुमानित है, जो वर्ष 2019-20 के उत्पादन की तुलना में 2.88 मिलियन टन अधिक है। वर्ष 2020-21 में दालों का उत्पादन दो करोड़ 57 लाख टन रह सकता है। यह पिछले साल से 36 लाख टन ज्यादा है। कृषि मंत्री के मुताबिक, फसल बीमा योजना में सुधार, न्यूनतम समर्थन मूल्य को डेढ़ गुना करने, किसान क्रेडिट कार्ड से सस्ते दर से बैंक से कर्ज मिलने की व्यवस्था, एक लाख करोड़ रुपये का एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड, सोलर पावर से जुड़ी योजनाएं खेत तक पहुंचाने, 10 हजार नये किसान उत्पादन संगठन, किसान रेल से छोटे किसानों के कृषि उत्पाद को दूरदराज के इलाकों तक पहुंचाना तथा छोटे किसानों को उपज का अच्छा मूल्य मिलने से जीडीपी में वृद्धि हुई है. इस समय अनेक कृषि उत्पाद विभिन्न देशों में भेजे जा रहे हैं। मोदी सरकार से पहले सालाना कृषि बजट लगभग 22 हजार करोड़ रुपये का होता था, वहीं 2021-22 में इसे लगभग 5.5 गुना बढ़ाकर 1.23 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। इससे छोटे किसानों की ताकत बढ़ रही है।
कृषि विकास दर के समक्ष दिख रही चुनौतियों को ध्यान में रखकर कदम उठाने होंगे.
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि खरीफ की फसल के अंतिम उत्पादन को लेकर चिंता रही है. इस साल जुलाई और अगस्त में बारिश सामान्य से 20-25 प्रतिशत कम थी. सभी जलाशयों में जल स्तर दक्षिण भारत को छोड़कर हर इलाके में कम है. इसका अगामी रबी की बुआई पर असर पड़ सकता है. इससे सिंचाई और बिजली उत्पादन की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है, इसका असर कृषि फसल पर पड़ सकता है.
खरीफ की उपयुक्त फसल पाने के लिए मॉनसून तथा बुवाई के तरीके पर नजर रखने की जरूरत है. देश गेहूं, चावल और चीनी में आत्मनिर्भर है, लेकिन अब दलहन और तिलहन उत्पादन को बढ़ाने की जरूरत है. खाद्य तेल के आयात को कम करने और खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता हेतु घोषित राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन को सफल बनाना जरूरी है. सरकार ने पाम तेल के लिए 11,040 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ राष्ट्रीय खाद्य तेल-पाम ऑयल मिशन (एनएमइओ-ओपी) की मंजूरी दी है. इसका उद्देश्य आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है.
खाद्य तेल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में बदलाव का असर घरेलू कीमत पर तेजी से पड़ता है. भारत को सालाना करीब 65,000 से 70,000 करोड़ रुपये का खाद्य तेल आयात करना पड़ रहा है. इसी सिलसिले में केंद्र सरकार का बीज मिनी किट कार्यक्रम दलहन व तिलहन की नयी किस्मों के अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की आपूर्ति करके बीज प्रतिस्थापन अनुपात को बढ़ाने के लिए एक प्रमुख कार्यक्रम है.
उम्मीद करें कि 6 और 7 सितंबर को केंद्र सरकार और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच कृषि क्षेत्र के विकास के लिए जो निर्णय लिये गये हैं, उनके उपयुक्त क्रियान्वयन से देश के कृषि क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास को नयी गति मिलेगी. देश में चालू वित्त वर्ष 2021-22 की आगामी तीन तिमाहियों में कृषि विकास दर और अधिक बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा छोटे किसान, कृषि विकास और खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने की जो योजनाएं लागू की गयी हैं
उनके पूर्ण और कारगर क्रियान्वयन पर अधिकतम प्राथमिकता से ध्यान दिया जायेगा, इससे खाद्यान्न उत्पादन और निर्यात अधिक ऊंचाई पर पहुंचेगा. इससे किसानों की आमदनी व ग्रामीण रोजगार में वृद्धि होने से ग्रामीण क्षेत्र की समृद्धि में भी वृद्धि होगी. परिणामस्वरूप कृषि क्षेत्र की जीडीपी चमकीली होती हुई दिखाई दे सकेगी.