भाद्रपद पूर्णिमा इस माह आने वाली है। पूर्णिमा के दिन व्रत रखते हैं और चंद्र देव की आराधना करते हैं। इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। पूर्णिमा के दिन सत्यानारायण भगवान की कथा भी कराने का विधान है। भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से ही पितरों की तृप्ति के लिए समर्पित पितृ पक्ष का भी प्रारंभ होता है, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। जागरण अध्यात्म में जानते हैं कि इस वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा कब है, इसकी सही तिथि क्या है?
भाद्रपद पूर्णिमा 2021 तिथि : हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 20 सितंबर दिन सोमवार को प्रात: 05 बजकर 28 मिनट पर हो रहा है। भाद्रपद पूर्णिमा तिथि का समापन प्रात: 05 बजकर 24 मिनट पर होगा। पूर्णिमा में चंद्रमा की पूजा करने और जल अर्पित करने का विधान है। 20 सितंबर को पूर्णिमा की रात होगी। ऐसे में भाद्रपद पूर्णिमा 20 सितंबर दिन सोमवार को है। इस दिन ही व्रत रखा जाएगा और सत्यनारायण भगवान की कथा होगी। पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का भी महत्व होता है। इस दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर व्यक्ति को पूजा करनी चाहिए और फिर ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देनी चाहिए। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से ही पितृ पक्ष का प्रारंभ होता है। पितृ पक्ष में पितरों के आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए पिंडदान, तर्पण या श्राद्ध कर्म? किए जाते हैं।
जिन लोंगों के पितरों का श्राद्ध पूर्णिमा तिथि को होता है, वे लोग पूर्णिमा श्राद्ध के दिन पिंडदान, तर्पण आदि करते हैं। इस वर्ष पितृ पक्ष का प्रारंभ भी भाद्रपद पूर्णिमा यानी 20 सितंबर से हो रहा है, जो 16 दिनों तक चलेगा। पितृ पक्ष का समापन 06 अक्टूबर को अमावस्या श्राद्ध या सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा।
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