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देश की युवा पीढ़ी के भविष्य को नष्ट करने वाले इस खतरनाक कारोबार में केवल सामान्य अपराधी ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े माफिया और विदेश में रह रहे तस्कर भी शामिल हैं। ज्?यादा चिंता की बात यह है कि इन तत्वों की मिलीभगत आतंकी एवं अलगाववादी गुटों से भी है।
मुंबई से गोवा जा रहे क्रूज में नशाखोरी कर रहे अभिनेता शाह रुख खान के बेटे आर्यन समेत अन्य लोगों की गिरफ्तारी यही बताती है कि देश में नशीले पदार्थों का कारोबार और सेवन किस तरह बढ़ता चला जा रहा है। यह पहली बार नहीं, जब नशे का सेवन कर रहे नामचीन अथवा धनी लोगों को गिरफ्तार किया गया हो। इस तरह के मामले रह-रह कर सामने आते ही रहते हैं। पिछले कुछ समय से तो यह सिलसिला कुछ ज्यादा ही तेज हो गया है।
आमतौर पर ऐसे मामले तभी चर्चा में आते हैं, जब मादक पदार्थों के सेवन अथवा उनकी खरीद के आरोप में सेलिब्रिटी किस्म के लोग गिरफ्तार होते हैं, लेकिन इसके आधार पर ऐसे किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जाना चाहिए कि नशीले पदार्थों का सेवन केवल महानगरों में धनाढ्य लोगों के बीच ही प्रचलित है। सच तो यह है कि यह बीमारी एक राष्ट्रीय समस्या का रूप ले चुकी है और इसका उदाहरण है हाल के समय में देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों की बरामदगी। 
पिछले कुछ समय में देश में इतनी बड़ी मात्र में नशीले पदार्थों की खेप पकड़ी गई है कि इस निष्कर्ष पर पहुंचने के अलावा और कोई उपाय नहीं कि नशे के कारोबारियों ने भारत को अपने निशाने पर ले लिया है। बीते दिनों इसकी पुष्टि तब हुई थी जब गुजरात के समुद्र तट पर अफगानिस्तान से लाई गई 3,000 किलोग्राम हेरोइन बरामद की गई थी। यह ठीक है कि इस बरामदगी के बाद केंद्रीय गृह मंत्रलय के साथ-साथ अन्य एजेंसियां सक्रिय हुई हैं, लेकिन बात तब बनेगी जब नशे के कारोबार पर कोई ठोस लगाम लगेगी। यह आसान काम नहीं, क्योंकि इस कारोबार ने देश के अंदर अपनी गहरी जड़ें जमा ली हैं।
देश की युवा पीढ़ी के भविष्य को नष्ट करने वाले इस खतरनाक कारोबार में केवल सामान्य अपराधी ही नहीं, बल्कि बड़े-बड़े माफिया और विदेश में रह रहे तस्कर भी शामिल हैं। इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि इन तत्वों की मिलीभगत आतंकी एवं अलगाववादी गुटों से भी है। अब जब इसकी आशंका बढ़ गई है कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान भारत में नशीले पदार्थों की तस्करी तेज कर सकता है, तब फिर कहीं अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि नशीले पदार्थों का कारोबार युवाओं को गुमराह करने के साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा वह देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बनता है। इसे देखते हुए जितनी सख्ती युवाओं के बीच नशाखोरी को बढ़ावा देने वाले तत्वों पर होनी चाहिए, उतनी ही नशीले पदार्थों का कारोबार करने वालों पर भी।