सबसे महत्वपूर्ण बात है कि हमारे यहां निजी क्षेत्र की कई सारी कंपनियां और उद्यमी स्पेस सेक्टर में रुचि रखते हैं. कई कंपनियां ऐसी भी हैं जो अलग-अलग प्रकार की तकनीक विकसित कर चुकी हैं। इंडियन स्पेस एसोसिएशन के गठन के फैसले का यह फायदा होगा कि स्पेस सेक्टर से जुड़ी कंपनियों और इसमें रुचि दिखानेवाले उद्यमियों को भागीदारी करने का अवसर प्राप्त होगा।
इससे स्पेस सेक्टर में उन्हें आगे बढऩे में अनेक तरह की सहूलियतें प्राप्त होंगी। चूंकि, पहले यह क्षेत्र प्रतिबंधित था और केवल सरकारी क्षेत्र की ही भागीदारी से संचालित था, लिहाजा निजी क्षेत्र के लिए संभावनाएं नहीं थीं। इसमें सबसे बड़ा बिजनेस क्षेत्र है- सेटेलाइट को स्पेस तक पहुंचाना। सेटेलाइट लांचिंग बहुत बड़ी ग्लोबल इंडस्ट्री का आकार ले चुका है और इसकी मांग में लगातार इजाफा हो रहा है।
अब तक यह काम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) खुद करता रहा है, लेकिन अब निजी क्षेत्र के लिए अवसर खुलने के बाद नये उद्यमियों को इस कारोबार में प्रवेश मिलेगा। इंडियन स्पेस एसोसिएशन के माध्यम से इसरो के साथ काम करते हुए या स्वयं के स्तर पर काम करके ये कंपनियां स्पेस सेक्टर की प्रतिस्पर्धा में बढ़त बना सकती हैं।
इस क्षेत्र में संभावनाएं इसलिए भी ज्यादा हैं, क्योंकि अभी इस सेक्टर में नयी तकनीकों का प्रवेश हो रहा है और उन्हें अलग-अलग स्तरों पर बढ़ावा मिल रहा है। सेटेलाइट के माध्यम से सीधे तौर पर इंटरनेट कनेक्टिविटी का फायदा हर इंसान तक पहुंचाने की पहल हो रही है। अभी की मोबाइल टेलीफोनिक प्रक्रिया में बदलाव आयेगा। देश के हर राज्य के हर गांव में सीधे तौर पर सेटेलाइट के माध्यम से इंटरनेट सेवाओं को उपलब्ध कराया जा सकेगा।
इतनी बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर अवसंरचना की आवश्यकता होगी। इससे अनेक कंपनियां इस क्षेत्र में निवेश के लिए आकर्षित होंगी। स्पेस सेक्टर में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए अनेक कंपनियों की मौजूदगी आवश्यक है। किसी एक कंपनी के माध्यम से इतनी बड़ी मांग को पूरा नहीं किया जा सकता। लंबे समय से स्पेस सेक्टर की मार्केट को खोलने की मांग की जा रही थी। इंडियन स्पेस एसोसिएशन के माध्यम से दो महत्वपूर्ण काम होंगे, पहला प्राइवेट सेक्टर के अनेक लोगों को इस क्षेत्र में आने की सुविधा मिल जायेगी, दूसरा भारत सरकार के साथ साझेदारी में काम करने की सुविधा प्राप्त होगी।
वर्तमान में सूचना पहुंचाने का माध्यम सबसे महत्वपूर्ण है। किसी भौगोलिक इलाके की जरूरतों के मुताबिक मौसम का सही अनुमान लगाना आवश्यक होता है। खेती-किसानी, मत्स्यिकी के व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए ये सूचना अहम भूमिका निभाती है। तकनीक के माध्यम से पूर्वानुमान सटीक हो सकेगा, तो इसका फायदा आमजन को मिलेगा। सही जानकारी सेटेलाइट के माध्यम से आपके फोन तक सस्ते में और सही समय पर पहुंच जाये, तो उससे आपको अपने काम में सहूलियत मिलेगी। मौसम पूर्वानुमान के अलावा इसके भौगोलिक मानचित्रण, भू-अभिलेख जैसे अनेक अनुप्रयोग हैं। मिट्टी की स्थिति की सही जानकारी प्राप्त करने के लिए नये एप्लीकेशन बन रहे हैं। लो ऑर्बिट सेटेलाइट से मिट्टी की स्थिति को परखा जा सकता है।
यह काम हर एक इलाके में बारीकी से किया जा सकेगा। आप किसी गांव की जमीन का निरीक्षण कर सकते हैं। इस प्रकार खेती-किसानी से जुड़े लोगों को अनेक तरह की सुविधाएं दी जा सकेंगी। इंटरनेट के माध्यम से निगरानी तंत्र मजबूत और व्यवस्थित बनेगा। इन सब कार्यों के निष्पादन के लिए इंडस्ट्री की मांग बढ़ेगी।
जैसा कि स्पष्ट है कि स्पेस एक बहुत बड़ा सेक्टर है और हमारे देश में इसकी बहुत मांग रहेगी। सेवाओं और अनेक तरह के अनुप्रयोगों की मांग भी बढ़ेंगी। हालांकि, वर्तमान में पहले से ही यह बड़ा बाजार है। लिहाजा, इस क्षेत्र में निवेशकों का आकर्षित होना स्वभाविक ही है। देश की बड़ी कंपनियां या जो बड़े स्टार्टअप हैं, वे भी इस सेक्टर में रुचि दिखायेंगे। बाहर की बड़ी कंपनियां जैसे टेस्ला या अमेजन भी इसमें अपनी रुचि दिखा रही हैं।
भारत बहुत बड़ा बाजार है, इसलिए इस सेक्टर में निवेशकों की कमी नहीं होगी। नियम और अ?वसंरचना की जो वर्तमान स्थिति है, उसे ठीक करने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य के साथ ही इंडियन स्पेस एसोसिएशन का गठन किया गया है। इसके माध्यम से स्पेस सेक्टर से जुड़ी सारी चीजों को एक दिशा दी जा रही है। सेटेलाइट लांचिंग एप्लीकेशन, मौसम की जानकारी, मृदा परीक्षण, भू-मानचित्रण के क्षेत्र में भारत तेजी से तरक्की कर रहा है।
आज से 20-25 साल पहले की स्थिति में बड़ा बदलाव आ चुका है। आज भारत में बहुत सारे लोग इस क्षेत्र में अपनी रुचि दिखा रहे हैं। निजी क्षेत्र की कंपनियां रिसर्च एंड डेवलपमेंट के क्षेत्र में निवेश करने के लिए तैयार हैं। उनका लक्ष्य है कि अपने उत्पादों और सेवाओं को बेहतर बनाया जाये। इसमें भी वे निवेश के लिए तैयार हैं।
भारत के उपभोक्ता वर्ग और बाजार में पकड़ मजबूत करने के लिए निवेश आकर्षित होंगे और यह स्वभाविक तौर पर होगा। अगर नियम-कानून इसमें बाधक बन रहे हैं, तो उसका हल निकालने के लिए स्पेस एसोसिएशन की बड़ी भूमिका होगी। मान लें किसी विशेष शोध एवं विकास में कुछ नियम बाधक हैं तो उसका समाधान निकालना पहले के मुकाबले अब आसान होगा। अगर कोई रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मसला होगा तो उसका विश्वसनीयता के मानकों के आधार पर समाधान निकाला जा सकेगा।
किसी सेक्टर विशेष में अलग-अलग चुनौतियां पेश आ सकती हैं, इंडियन स्पेस एसोसिएशन का काम होगा कि उसके लिए सही तरीके से समाधान किया जाये। जहां पाबंदिया हैं और उसमें सहूलियत की आवश्यकता है, उसके लिए यह माध्यम कारगर साबित होगा। कुछ पाबंदियां देश की सुरक्षा से संबंधित हैं, वह नहीं हटायी जायेंगी। देश की सुरक्षा के साथ समझौता न करते हुए कुछ पाबंदियों में सहूलियत दी जा सकती है। स्पेस सेक्टर में संभावनाओं को देखते हुए आगे निश्चित ही बेहतर परिणाम हासिल होंगे। (ये लेखक के निजी विचार हैंं)