ढाका। अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य पदार्थों, ईंधन और कच्चे माल के भाव में भारी बढ़ोतरी के कारण बांग्लादेश के आयात बिल में भारी वृद्धि हुई है। ऐसे में शेख हसीना वाजेद के नेतृत्व वाली आवामी लीग सरकार के सामने कुआं या खाई में से किसी एक को चुनने की चुनौती खड़ी हो गई है। डॉलर के महंगा होने के कारण भी बांग्लादेशी टका दबाव में है। ऐसे में समझा जा रहा है कि बांग्लादेश सरकार ने कृत्रिम रूप से टका को महंगा बना रखा है। लेकिन ज्यादातर विशेषज्ञों की राय है कि बांग्लादेश ज्यादा समय तक मुद्रा के अवमूल्यन से नहीं बच पाएगा।
बांग्लादेश के सामने कड़ी चुनौती
विशेषज्ञों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन और कच्चा माल महंगा होने के कारण देश के कारखानों की उत्पादन लागत बढ़ गई है। इसलिए निर्यातक बांग्लादेश की मुद्रा के अवमूल्यन की मांग कर रहे हैं, ताकि विदेशी बाजार में उनका तैयार माल ज्यादा महंगा ना हो। अखबार डेली स्टार के विश्लेषक एकेए जमीरउद्दीन ने एक टिप्पणी में लिखा है- ‘ज्यादातर आयात निर्भर देशों की तरह बांग्लादेश के सामने भी कठिन चयन की चुनौती खड़ी हो गई है।
एक रास्ता यह है कि तुरंत तेज दर से टका का अवमूल्यन कर दिया जाए या फिर दूसरा विकल्प है कि अवमूल्यन न करने के उन परिणामों का सामना किया जाए, जिनके बारे में अभी कोई भी भविष्यवाणी कर सकने की स्थिति में नहीं है।’
अभी एक डॉलर लगभग साढ़े 87 टका के बराबर है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ये दर टिकाऊ नहीं है। थिंक टैंक पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ बांग्लादेश के कार्यकारी निदेशक अहसान एच मंसूर ने सलाह दी है कि टका का कम से पांच रुपये का तुरंत अवमूल्यन कर दिया जाए। उन्होंने अखबार डेली स्टार से कहा- ‘हमने पहले तीन रुपये अवमूल्यन करने की सलाह दी थी। लेकिन उसे सरकार ने नहीं माना। नतीजतन, स्थिति बदतर हुई है।’
दूसरे विशेषज्ञों ने कहा है कि अगर टका का अवमूल्यन नहीं किया गया, तो विदेशों में काम करने वाले बांग्लादेशियों द्वारा भेजी गई रकम से होने वाली आय बुरी तरह प्रभावित होगी। बैंकों के जरिए भेजी गई रकम पर अगर उन्हें उचित रेट नहीं मिला, तो वे गैर कानूनी हुंडी रास्ते से अपनी कमाई भेजने लगेंगे। उससे विदेशी मुद्रा भंडार पर खराब असर पड़ेगा। जबकि इस समय सबसे बड़ी जरूरत विदेशी मुद्रा भंडार को सुरक्षित अवस्था में रखने की है।
घटा विदेशी मुद्रा भंडार
बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार हाल में घटा है। इसे देखते हुए बांग्लादेश बैंक (देश के सेंट्रल बैंक) ने पिछले हफ्ते बैंकों को निर्देश दिया था कि वे लग्जरी और गैर जरूरी वस्तुओं के आयात के मामलों में 75 फीसदी अग्रिम भुगतान करेँ। लेकिन मंसूर ने कहा है कि इससे लंबी अवधि में कोई लाभ नहीं होगा, क्योंकि डॉलर की कीमत अभी लगातार चढ़ने की संभावना है।
थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी डायलॉग में फेलॉ मस्तफिजुर रहमान ने भी राय जताई है कि सरकार को बांग्लादेशी मुद्रा का तुरंत अवमूल्यन करना चाहिए। लेकिन सरकारी सूत्रों ने राय जताई है कि अवमूल्यन करने से बांग्लादेश में आयात और महंगे हो जाएंगे। उससे देश की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।