नई दिल्ली। दो साल तक कोरोना की चपेट से दूर रहे उत्तर कोरिया में अब संक्रमण तेजी से फैल रहा है। 13 मई को यहां संक्रमण से पहली मौत का आधिकारिक एलान हुआ था। तब उत्तर कोरिया की स्टेट मीडिया ने यह भी कहा था कि देश में 3.50 लाख से ज्यादा लोग रहस्यमयी बुखार की चपेट में हैं। हालांकि, इनके कोरोना संक्रमित होने का खुलासा नहीं किया गया। अब इस बुखार से ग्रसित मरीजों की संख्या 3.50 लाख से बढ़कर 20 लाख पहुंच गई है।
अस्पतालों में बेड की कमी पड़ गई है। लोगों को एंटी वायरल दवाएं नहीं मिल रहीं। ऐसे में तानाशाह किम जोंग के अफसरों ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए नया फरमान जारी किया है। पिछले साल ही जब पूरी दुनिया में कोरोना ने कोहराम मचा रखा था तब डब्ल्यूएचओ समेत कई देशों ने उत्तर कोरिया को मदद की पेशकश की थी, लेकिन किम जोंग ने किसी तरह की मदद लेने से इनकार कर दिया था। आइए जानते हैं बिना बाहरी मदद के किम जोंग अपने लोगों का कैसे इलाज करवा रहा?
चाय और नमक के पानी से इलाज
कोरोना और बुखार के मरीजों के इलाज में उत्तर कोरिया परंपरागत तरीका अपना रहा है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां मरीजों को परंपरागत चाय और नमक पानी पीने की सलाह दी जा रही है। किम जोंग की पार्टी के अखबार रोडोंग सिम्नन ने लिखा है, 'जो लोग गंभीर रूप से बीमार नहीं हैं, वह अदरक या हनीसकल चाय और एक विलो-पत्ती को गर्म पानी में मिलाकर सेवन करें।'
क्या मानना है किम जोंग सरकार का?
नमक वाला गर्म पानी कुछ कोरोना लक्षणों को शांत कर सकता है, जैसे कि गले में खराश या खांसी।
जब मरीज सामान्य से अधिक तरल पदार्थ खा रहा हो तो इससे हाइड्रेशन में मदद मिलेगी।
अदरक और विलो पत्ती भी सूजन से राहत दिलाती है और दर्द को कम करती है।
रोगियों को आईबुप्रोफेन जैसे दर्द निवारक दवाओं के साथ-साथ एमोक्सिसिलिन और अन्य एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करने की सलाह दी है।
गांवों में फ्री मेडिकल सुविधा
उत्तर कोरिया की स्वास्थ्य सुविधाएं मजबूत बनाने की कोशिश की जा रही है। गांव स्तर पर सरकारी अस्पतालों में मरीजों को फ्री चिकित्सीय सुविधाएं दी जा रहीं हैं। हालांकि, 2020 में सख्त लॉकडाउन लगाने से देश की आर्थिक स्थिति को काफी नुकसान पहुंचा है। इसका असर अब सरकारी अस्पतालों पर भी देखने को मिलने लगा है।
दो साल तक संक्रमण को कैसे रोका?
जनवरी 2020 में जब चीन ने कोरोना संक्रमण की जानकारी दुनिया के सामने रखी तो उत्तर कोरिया पहला देश था, जिसने सभी अंतरराष्ट्रीय सीमाएं बंद कर दीं थीं। पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया था। इससे देश में भूखमरी की नौबत आ गई। लॉस एंजल्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तब किम जोंग ने बॉर्डर पार करने वालों को देखते ही गोली मारने का आदेश दे दिया था। इसके चलते 25 लाख की आबादी वाला पूरा देश सहम उठा था।
रिपोर्ट के मुताबिक, तानाशाह के इस आदेश के चलते 10 लाख लोगों को तब सिर्फ एक ही समय का खाना मिल पाता था। पूरे देश में खाद्यन्न का संकट हो गया था। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने नॉर्थ कोरिया से इस आदेश को लेकर सफाई भी मांगी थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, किम जोंग ने यह भी आदेश दिया था कि अगर किसी में कोरोना के लक्षण मिलते हैं तो उन्हें भी कैद कर दिया जाए। यही कारण है कि लोग घरों से निकलना बंद कर चुके थे।
पहली बार खुद मास्क में दिखा तानाशाह किम जोंग
बुखार और संक्रमण के बढ़ते मामलों से तानाशाह किम जोंग खुद डर गया है। यही कारण है कि पिछले हफ्ते पार्टी की एक बैठक में पहली बार मास्क पहने दिखाई दिया। तब किम ने कहा था कि आपातकालीन रिजर्व मेडिकल रिजर्व आपूर्ति को भेज दिया गया है और अधिकारी लगातार संक्रमण को रोकने के प्रयास कर रहे हैं। उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने माना है कि देश के कोरोना से सुरक्षा उपायों में सेंध लग गई है। किम को मास्क में देखने के बाद लोगों में भी डर का माहौल है। उत्तर कोरिया की न्यूज एजेंसी केएनसीए के मुताबिक, यह देश के लिए आपात की स्थिति है।