नई दिल्ली/वॉशिंगटन। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की मनमानी और आक्रामक गतिविधियों को रोकने के लिए अब अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया के सम्मिलित समूह क्वाड ने नई योजना लॉन्च करने का फैसला किया है। ये चारों देश मंगलवार को जापान के टोक्यो में बैठक के दौरान एक साझा पहल का अनावरण करेंगे, जिसके तहत क्षेत्र में चीन की गतिविधियों को ट्रैक करने में और उसकी योजनाओं को समझने में मदद मिलेगी।
चौंकाने वाली बात यह है कि क्वाड समूह जिस पहल को लॉन्च करने वाले हैं, उसके तहत चीन की अवैध तरह से मछली पकड़ने की गतिविधियों को ट्रैक किया जाएगा। ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर क्यों क्वाड सीधे तौर पर समुद्र में चीन की जासूसी गतिविधियों पर बात न कर के उसकी मछली पकड़ने की गतिविधियों पर अपनी निगरानी क्षमता को क्यों केंद्रित करेगा। इसके अलावा अमर उजाला आपको बताएगा कि आखिर ये चारों देश किस तरह से चीन के खिलाफ अपनी तैयारियों को और मजबूत करने में जुटे हैं। साथ ही क्वाड आखिर किन तकनीकों की मदद से चीन की गतिविधियों की निगरानी करेगा।
क्यों चीन के अवैध मछली पकड़ने की गतिविधियों को टारगेट कर रहा क्वाड?
क्वाड किस तरह से चीन की निगरानी करेगा, उससे पहले यह जानना अहम है कि आखिर यह समूह चीन की फिशिंग वेसेल्स यानी मछली पकड़ने के जहाजों पर ही निगरानी को क्यों केंद्रित करेगा। दरअसल, चीन लगातार कोरिया से लेकर जापान और भारत तक निगरानी के लिए अपने इन्हीं मछली पकड़ने के जहाजों को भेजता रहा है।
जापान के ससाकावा पीस फाउंडेशन (एसपीएफ): इन्फॉर्मेशन फ्रॉम द सेंटर फॉर आइलैंड स्टडीज के मुताबिक, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इन्हीं मछली पकड़ने वाली नौकाओं के जरिए अवैध तरह से दूसरे देश की सीमाओं में एंट्री करता है। चीन अपने इस तंत्र का फायदा दो तरह से उठाता है...
1. ताकत साबित करने और स्वायत्ता को चुनौती देने का जरिया
संस्थान के मुताबिक, चीन के पास दुनिया का सबसे बड़ा मछली पकड़ने वाला जहाजों का बेड़ा है। इसके जरिए चीन पूर्वी चीन सागर से लेकर दक्षिण चीन सागर तक अपने कूटनीतिक दावों को साबित करने की कोशिश करता है। चीन इसके जरिए जापान, वियतनाम और फिलीपींस जैसे देशों की समुद्री सीमा को भी पार करता है, ताकि उनके समुद्री क्षेत्र पर भी अपना दावा कायम कर सके।
2. जासूसी-निगरानी तंत्र बिठाने के लिए
कई बार चीनी नौसेना इन फिशिंग बोट्स के बहाने अपने निगरानी जहाजों को भी दूसरे देशों की जासूसी के लिए पहुंचा देती है। यह निगरानी जहाज पूरी तरह से चीनी सेना के नियंत्रण में रहते हैं। दक्षिण कोरिया और इक्वाडोर पिछले तीन साल में कई बार ऐसे मामलों को रिपोर्ट कर चुके हैं, जब एक साथ चीन के 300-500 मछली पकड़ने वाली नौकाएं उनकी समुद्री सीमाओं में देखीं गई। इक्वाडोर ने तो यहां तक शिकायत की थी कि चीनी शिप उसके अनन्य आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone या EEZ) में निगरानी कर रहे थे।
चीन को रोकने के लिए कैसे तैयारी कर रहा क्वाड?
अमेरिका के एक अधिकारी ने न्यूज पोर्टल फाइनेंशियल टाइम्स को बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा, भारत के पीएम नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के नवनिर्वाचित पीएम एंथनी एल्बनीज मंगलवार को समिट के बाद अपनी नई योजना को लॉन्च करेंगे। अफसर ने दावा किया कि चीन इस वक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र में 95 फीसदी अवैध तरह से मछली पकड़ने की घटनाओं के लिए जिम्मेदार है।
इस पहल के तहत सिंगापुर, भारत, और प्रशांत महासागर में मौजूद सर्विलांस सेंटर्स को सैटेलाइट तकनीक से जोड़ने का काम किया जाएगा और अपनी तरह का एक ट्रैकिंग सिस्टम तैयार होगा, जिससे हिंद महासागर और दक्षिण-पूर्वी एशिया से लेकर दक्षिण प्रशांत तक अवैध मछली पकड़ने की घटनाओं की निगरानी की जा सकेगी।
कैसे होगा इस सिस्टम का इस्तेमाल?
इस सिस्टम के जरिए जहां भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान को अपने क्षेत्र में चीन की गतिविधियों पर नजर रखने में मदद मिलेगी, वहीं अमेरिका भी क्वाड देशों की मदद से चीन की चालाकी को भांपने का काम कर सकता है। सैटेलाइट से नियंत्रित इस पूरे तंत्र का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे उन फिशिंग बोट्स को भी ट्रैक किया जा सकेगा, जो ट्रैकिंग से बचने के लिए अपने ट्रांसपॉन्डर (यानी समुद्र से नजदीकी स्टेशन को भेजे जाने वाले सिग्नल) को ब्लॉक कर लेती हैं। अधिकारियों का कहना है कि सैटेलाइट सिस्टम के जरिए दो महासागरों में अवैध गतिविधियों को रोकने का यह अपनी तरह का पहला तंत्र है।
छोटे देशों को चीन के दबाव से बचाने के लिए अहम होगी तकनीक
क्वाड देशों की यह पहल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की ओर से छोटे देशों पर वर्चस्व जमाने की कोशिशों पर भी लगाम लगाने में कारगर हो सकती है। दरअसल, चीन अपनी इन्हीं फिशिंग बोट्स के बड़े बेड़ों को दूसरे देशों की समुद्री सीमा के पार भेजकर उन पर दबाव बनाने की कोशिश करता रहा है। चारों देशों की यह पहल चीन के उस कदम के बाद आई है, जिसके तहत वह अब किरीबाती और सोलोमन आईलैंड्स के साथ सुरक्षा समझौता करने की योजना बना रहा है।