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कीव/मॉस्को। रूस-यूक्रेन के बीच जंग शुरू हुए मंगलवार को तीन महीने पूरे हो जाएंगे। रूस दुनिया के उन चंद देशों में शुमार है, जिसकी सैन्य और आर्थिक क्षमता काफी बड़ी मानी जाती है। इसके बावजूद यूक्रेन से जंग में रूस के पसीने छूट रहे हैं। युद्ध जब शुरू हुआ तो माना जा रहा था कि ये 10 दिन से ज्यादा नहीं चलेगा, लेकिन इसके ठीक उलट हो रहा है। 

यूक्रेन कहीं से भी रूस के आगे कमजोर पड़ने का नाम नहीं ले रहा। इसका बड़ा कारण यूक्रेन को दुनिया के 80 से ज्यादा देशों से अलग-अलग तरह से मिल रही मदद है। इनमें 31 देश ऐसे हैं, जो यूक्रेन को घातक हथियार और मिसाइलें दे रहे हैं। 

आज हम आपको यही बताएंगे कि आखिर सीमित सैन्य क्षमता और संसाधनों की बदौलत भी कैसे रूस के सामने यूक्रेन टिका हुआ है? यूक्रेन को कहां-कहां से और किस तरह की मदद मिल रही है? यूक्रेन किस तरह के हथियारों की बदौलत रूस से जंग लड़ रहा है? 
 
सैन्य क्षमता कमजोर होने के बाद भी कैसे टिका यूक्रेन? 
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने रक्षा मामलों के जानकार प्रो. अनुराग श्रीवास्तव से संपर्क किया। प्रो. श्रीवास्तव ने कहा, 'डिफेंस के क्षेत्र में रूस दुनिया का दूसरा सबसे मजबूत देश है। रूस से आगे सिर्फ अमेरिका है। वहीं, यूक्रेन 22वें स्थान पर है। रूस के पास नौ लाख से ज्यादा एक्टिव जवान हैं, जबकि 20 लाख जवान रिजर्व हैं। यूक्रेन के पास दो लाख एक्टिव जवान हैं और नौ लाख रिजर्व। लेकिन इसके बावजूद यूक्रेन रूस को मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। इसके पीछे दो महत्वपूर्ण कारण हैं। पहला यह कि यूक्रेन को अमेरिका समेत दुनिया के कई बड़े और ताकतवर देशों की तरफ से हथियारों के साथ-साथ आर्थिक मदद मिल रही है। दूसरा यह की रूस पर लगातार कई देश प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। इससे रूस को आर्थिक तौर पर काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।'

प्रो. श्रीवास्तव आगे कहते हैं, 'रूस न खुलकर युद्ध कर पा रहा है और न ही पीछे हट पा रहा है। वहीं, अमेरिका समेत अन्य देशों की मदद से यूक्रेन की क्षमता भी काफी बढ़ गई है। यही कारण है कि रूस की मजबूत सेना और सैन्य क्षमता के आगे भी यूक्रेन अभी तक टिका हुआ है।'

यूक्रेन को मदद कर रहे ये देश
देश    किस तरह की मदद दी?
अमेरिका      350 मिलियन यूएस डॉलर के हथियार
यूरोपियन यूनियन    502 मिलियन यूएस डॉलर की लीथल एड
ब्रिटेन        घातक हथियार
फ्रांस      डिफेंस एंटी एयरक्राफ्ट और डिजिटल हथियार
नीदरलैंड        200 एयर डिफेंस रॉकेट और 50 एंटी टैंक हथियार
जर्मनी        1000 एंटी टैंक हथियार और 500 जमीन से हवा में धमाका करने वाली मिसाइलनोट : इसके अलावा भी 25 से ज्यादा देश अलग-अलग तरह से यूक्रेन की मदद कर रहे हैं। हालांकि, कोई भी देश सीधे तौर पर रूस से जंग में शामिल नहीं हुआ है। आंकड़े statista ने जारी किए हैं। 

किन-किन हथियारों की मदद से लड़ाई लड़ रहा यूक्रेन? 
दुनिया के 31 देश ऐसे हैं जो यूक्रेन को हथियार और मिसाइल के रूप में मदद भेज रहे हैं। 'द कनवरसेशन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने पांच करोड़ से ज्यादा गोले-बारूद यूक्रेन को दिए हैं। इसमें राइफल्स, तोप, हैंडगन शामिल है। इनके अलावा कनाडा, ग्रीस, लिथुआनिया, नीदरलैंड, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवेनिया जैसे देशों से भी इस तरह के हथियार यूक्रेन को मिल रहा है। 

खास बात है कि ये हथियार इतने आधुनिक और सरल है कि इसे कोई भी आम आदमी बिना ट्रेनिंग के चला सकता है। यही कारण है कि इसका प्रयोग करके यूक्रेन के आम नागरिक भी अपने देश की सुरक्षा के लिए कर पा रहे हैं। 

इसी तरह अमेरिका ने यूक्रेन को सात हजार से ज्यादा जेवलिन मिसाइल दी है। ये ऐसी मिसाइलें हैं, जो पलक झपकते ही रूस के टैंक, एयरक्राफ्ट को तबाह कर देती हैं। 30 मिनट की ट्रेनिंग में इसे असानी से चलाया जा सकता है। ये ऐसी मिसाइल है, जिसे एक बार दागने के बाद फिर उसे रास्ता दिखाने की जरूरत नहीं पड़ती। मिसाइल आसानी से अपने टारगेट तक पहुंच सकती है। इसी तरह कई अन्य देश स्टींगर मिसाइल भी यूक्रेन को दे रहे हैं। ये मिसाइल भी टैंक और एयरक्राफ्ट को आसानी से टारगेट कर सकती हैं। 

जर्मनी में तैयार गीपर्ड एयर डिफेंस टैंक भी यूक्रेन को मिला है। ये तेज चलने वाला टैंक है, जिसकी मदद से जमीन से ही आसमान में उड़ने वाले दुश्मन के एयरक्राफ्ट को तबाह किया जा सकता है। हवा में लंबी दूरी के एयरक्राफ्ट को निशाना बनाने के लिए एस-300 मिसाइल भी यूक्रेन के पास है। इसे सोवियत संघ ने तैयार किया था, लेकिन अब एशिया, स्लोवेनिया और स्लोवाकिया में बनते हैं। स्लोवाकिया ने ही यूक्रेन को ये मिसाइल दी है। इसकी रेंज 125 माइल्स है। 
 
अब तक चार हजार से ज्यादा नागरिक मारे गए
इस युद्ध में यूक्रेन के चार हजार से ज्यादा नागरिकों की मौत हो चुकी है, जिनमें 260 बच्चे थे। 5000 से ज्यादा नागरिक घायल हुए हैं। यूक्रेन का दावा है कि अब तक रूस के 28 हजार से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं। वहीं, यूक्रेन के 75 लाख से ज्यादा नागरिक देश छोड़ चुके हैं।

रूस अब तक यूक्रेन के मैरियूपोल, डोनेस्क पर कब्जा कर चुका है। इसे वापस पाने के लिए यूक्रेन ने पूरी ताकत झोंक दी। इसके अलावा लुहांस्क में भी काफी हद तक रूसी सेना का कब्जा हो चुका है। खारकीव में भी दोनों देशों के बीच जंग जारी है। नए शहरों पर कब्जा करने के साथ-साथ रूसी सैनिक अपने इलाकों की रक्षा में जुटी यूक्रेनी सेनाओं पर तोप से गोले बरसा रहे हैं। उन पर रॉकेटों से भी हमला हो रहा है। रूस इस वक्त दो तरफ से हमला कर रहा है। उत्तर में आइजम और पश्चिम में सेवेरदोनेत्स्क से। 

युद्ध कब तक खत्म होगा? 
इस सवाल पर प्रो. अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, 'इस वक्त दोनों देश पीछे हटने को बिल्कुल तैयार नहीं हैं। रूस किसी भी हालत में कमजोर दिखना नहीं चाहता है। इसलिए वह तब तक युद्ध नहीं रोकेगा जब तक यूक्रेन के सभी शहरों पर उसका कब्जा न हो जाए। पुतिन यूक्रेन के सभी शहरों पर कब्जा करके सत्ता परिवर्तन करना चाहते हैं। वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की युद्ध तो रोकना चाहते हैं, लेकिन वह कमजोर नहीं दिखाई देना चाहते हैं। इसलिए वह भी पीछे हटने का नाम नहीं लेंगे।'

प्रो. श्रीवास्तव के मुताबिक, इस युद्ध में पश्चिमी देशों की भूमिका भी ज्यादा सही नहीं है। अगर वह यूक्रेन को सिर्फ हथियार व युद्ध सामग्री देने की बजाय रूस से बातचीत का रास्ता तलाशें तो ये युद्ध रोका जा सकता है। हालांकि, ऐसा करके कोई देश अपनी अहमियत कम नहीं होने देना चाहता है। इसलिए यह अभी कहना मुश्किल होगा कि ये युद्ध कब तक चलेगा?