वाराणसी। वाराणसी के मां शृंगार गौरी-ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर मंगलवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 26 मई तय की है। कोर्ट ने सभी पक्ष को रिपोर्ट पर एक हफ्ते में अपनी-अपनी आपत्ति दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट रूम के बाहर लिस्ट से मिलान करके कुल 36 लोगों को अंदर भेजा गया था। अदालत को दो मामलों की सुनवाई को लेकर आदेश देना था। सर्वे पर दोनों पक्षों की ओर से एक हफ्ते में आपत्ति देने के लिए कोर्ट ने कहा है। वादी पक्ष के वकील ने कहा कि जो हमारी मांगें थीं वो पूरी हुई हैं।
वादी पक्ष की महिलाएं अपने वकीलों के साथ तय समय पर कोर्ट पहुंच गई थीं। आज कोर्ट रूम में कुल 36 लोगों को जाने की इजाजत दी गई है। वादिनी महिलाओं में से सीता साहू ने कहा कि अनादि काल से सत्य की ही जीत होती चली आई है। हमारी आस्था और हमारे सच को भी जीत मिलेगी। इसका हमें पूरा भरोसा है। सोमवार को हुई सुनवाई के लिए 19 वकीलों के साथ कुल 23 लोगों को कोर्ट रूम में जाने की इजाजत दी गई थी।
कोर्ट की सुरक्षा बढ़ाई गई
ज्ञानवापी प्रकरण की सुनवाई को देखते हुए मंगलवार सुबह से ही वाराणसी के दीवानी कचहरी परिसर की सुरक्षा बढ़ा दी गई। पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने कचहरी परिसर की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। कचहरी परिसर में वादकारियों, अधिवक्ताओं और उनके सहायकों, न्यायिक सेवा से जुड़े कर्मियों-अफसरों और दुकानों के संचालकों के अलावा अन्य किसी के अनावश्यक प्रवेश पर सख्ती के साथ रोक लगाई गई है।
संपत्ति नहीं, पूजा के अधिकार का है मामला- अधिवक्ता मदन मोहन
मां शृंगार गौरी-ज्ञानवापी प्रकरण की वादी महिलाओं के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने कल अपनी दलीलें पेश की थीं। उन्होंने कहा कि मामला पूजा स्थल अधिनियम के मापदंडों को पूरा नहीं करता है। वह चाहते थे कि मामला खारिज हो जाए, लेकिन हमने भी कोर्ट के सामने अपनी दलीलें पेश की थीं। मामले को यूं ही खारिज नहीं किया जा सकता, यह चलता रहेगा। यह संपत्ति का नहीं बल्कि पूजा के अधिकार का मामला है। कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगी। फैसला संभवत: शाम 4 बजे तक आएगा।
कोर्ट को तय करना है मुकदमा सुनवाई योग्य है या नहीं है: अभय नाथ यादव
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से 23 मई यानी सोमवार से मां शृंगार गौरी-ज्ञानवापी प्रकरण की सुनवाई जिला जज की अदालत में शुरू हुई है। 23 मई को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने कोर्ट में कहा कि पहले यह तय होना चाहिए कि यह मुकदमा सुनवाई योग्य है या नहीं है। उन्होंने कहा, 'अदालत में यह मुकदमा दाखिल होने के बाद ही हमारी ओर से प्रार्थना पत्र देकर कहा गया था कि यह सुनने योग्य नहीं है। हमारे प्रार्थना पत्र पर सुनवाई नहीं हुई और सर्वे का आदेश दे दिया गया। ज्ञानवापी प्रकरण की सुनवाई करना उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 का उल्लंघन है'।
सर्वे रिपोर्ट पर भी कार्रवाई करे कोर्ट
अदालत में प्रवेश करने से पहले वादी 5 महिलाओं की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि कि यह धर्म की लड़ाई है और हम सब इसे लड़ रहे हैं। हम हर तारीख पर सुनवाई के लिए मौजूद रहेंगे। इस मसले पर उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 कहीं से भी लागू नहीं होता है। हम कोर्ट में अपनी दलील प्रस्तुत कर चुके हैं। अब बस कोर्ट के आदेश का इंतजार है।
अदालत के आदेश से ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हुआ। सर्वे कमिश्नर की रिपोर्ट अब कोर्ट का रिकॉर्ड है। सर्वे रिपोर्ट को भी दूसरे पक्ष के प्रार्थना पत्र के साथ ही पढ़ा जाए। सर्वे रिपोर्ट से संबंधित वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी हमें उपलब्ध कराई जाए। उस पर सुनवाई करते हुए आपत्ति मांगी जानी चाहिए।
दो अन्य प्रार्थना पत्र भी हुए हैं दाखिल
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने भी जिला जज की अदालत में सोमवार को याचिका दाखिल की थी। पूर्व महंत के अनुसार, ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग की पूजा का अधिकार उन्हें दिया जाए। उनके पूर्वज अकबर के शासनकाल के समय से विश्वनाथ मंदिर में पूजा-पाठ का काम कर रहे हैं। अदालत ने पूर्व महंत की याचिका पर मंगलवार तक के लिए सुनवाई टाल दी थी। सीआरपीसी की धारा 156-3 के तहत अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सहित सात नामजद और 200 अज्ञात पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज करने के लिए एसीजेएम-5 की अदालत में सोमवार को प्रार्थना पत्र दिया था। आज मंगलवार को अदालत ने शपथ पत्र में दिए गए बयान पर सवाल उठाया। ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के दौरान स्वयंभू विश्वेश्वर के पाए जाने को व्यक्तिगत जानकारी होना बताया। अदालत के सवाल के बाद हरिशंकर पांडेय के अधिवक्ता बृजेश मिश्र ने पूरक शपथ पत्र देने की बात कही। अदालत ने कहा कि हम इस प्रकरण पर अब शाम के समय अपना आदेश सुनाएंगे।
8 हफ्ते में पूरी करनी है सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने बीती 20 मई को ज्ञानवापी केस को वाराणसी के जिला जज की कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने 51 मिनट चली सुनवाई में साफ शब्दों में कहा था कि मामला हमारे पास जरूर है, लेकिन पहले इसे वाराणसी के जिला जज की कोर्ट में सुना जाए। कोर्ट ने कहा था कि जिला जज 8 हफ्ते में अपनी सुनवाई पूरी करेंगे। तब तक 17 मई की सुनवाई के दौरान दिए गए निर्देश जारी रहेंगे।