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वाशिंगटन। सऊदी अरब को तेल उत्पादन बढ़ाने को मनाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के दो वरिष्ठ सलाहकार फिर वहां गए हैं। बताया जाता है कि इस दौरे का मकसद सऊदी अरब, इस्राइल और मिस्र में मेलमिलाप का एक समझौता कराना है। समझा जाता है कि ऐसे समझौते से खुश होकर सऊदी अरब तेल उत्पादन बढ़ाने पर राजी हो जाएगा।

जब से यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, अमेरिका कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने पर सऊदी अरब को राजी करने के प्रयास में जुटा रहा है। सबसे पहले जो बाइडन ने खुद सऊदी अरब के प्रिंस सलमान से बात करने की कोशिश की थी, लेकिन सलमान ने फोन लेने से मना कर दिया। उसके बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के प्रमुख के सऊदी अरब की यात्रा करने की खबर आई। अब बाइडन प्रशासन के तीन अधिकारियों ने वेबसाइट एक्सियोस.कॉम से बातचीत में राष्ट्रपति के सलाहकारों के वहां जाने की पुष्टि की है।

बाइडन आ सकते हैं पश्चिम एशिया
वेबसाइट एक्सियोस के मुताबिक राष्ट्रपति बाइडन जून के अंत में पश्चिम एशिया की यात्रा पर जाने का कार्यक्रम बना रहे हैं। इस दौरान वे सऊदी अरब की राजधानी रियाद भी जाना चाहते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि बाइडन की पश्चिम एशिया यात्रा कामयाब दिखे, इसके लिए उनकी सद्भावनापूर्ण सऊदी यात्रा जरूरी समझी जा रही है।

साल 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जो बाइडन ने सऊदी अरब के खिलाफ सख्त रुख अपनाया था। उन्होंने सऊदी अरब पर मानवाधिकारों के हनन के आरोप लगाए थे। खास कर उन्होंने प्रिंस सलमान को निशाना बनाया था। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने अपनी एक जांच रिपोर्ट में कहा था कि वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या प्रिंस सलमान ने कराई थी। समझा जाता है कि इस मुद्दे पर बाइडन के रुख से खफा प्रिंस सलमान ने अमेरिकी राष्ट्रपति का फोन लेने से इनकार किया था।

मगर अब सऊदी अरब से रिश्ते सामान्य करना बाइडन प्रशासन की प्राथमिकता बन गई है। इसी मकसद से व्हाइट हाउस के पश्चिम एशिया को-ऑर्डिनेटर ब्रेट मैकगर्क और अमेरिकी विदेश मंत्रालय के ऊर्जा दूत अमोस होचस्टीन मंगलवार को रियाद पहुंचे। वहां उनकी सऊदी अधिकारियों से बातचीत हुई है। लेकिन वेबसाइट एक्सियोस की खबर के बारे में पूछे जाने पर व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कुछ भी कहने से इनकार किया। जबकि इस बारे में सऊदी प्रिंस फैसल बिन फरहान से जब बुधवार को दावोस में सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इस खबर का खंडन नहीं किया।

विश्लेषकों का कहना है कि अगर सऊदी अरब, मिस्र और इस्राइल के बीच समझौते के लिए वार्ता सफल रही, तो सऊदी अरब और इस्राइल के बीच सामान्य संबंध बनने की दिशा में यह पहला कदम होगा। इस समझौते के तहत लाल सागर में सामरिक महत्त्व के मिस्र के दो द्वीप सऊदी अरब को देने का प्रस्ताव है। ऐसा इस्राइल की सहमति से होगा। समझा जाता है कि अगर ये समझौता हुआ, तो इसे बाइडन प्रशासन की पश्चिम एशिया में एक बड़ी सफलता माना जाएगा।

वेबसाइट एक्सियोस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सऊदी अरब को तेल उत्पादन बढ़ाने पर राजी करने के लिए बाइडन बेताब हैं। सऊदी अरब ने ऐसा किया, तो रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को सफल बनाना उनके लिए अधिक आसान हो जाएगा। इसीलिए सऊदी अरब को दो द्वीप दिलवाने की पहल अमेरिका ने की है। लेकिन सऊदी अरब अभी तक तेल उत्पादन की मात्रा के बारे में रूस से हुए अपने समझौते पर कायम है।