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इस्लामाबाद। पाकिस्तान की सेना एक नए विवाद में फंसती दिख रही है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की नेता शिरीन मजारी के बेटी इमान मजारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों में सेना विरोधी भावना और उग्र होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इमान मजारी पर सेना और सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा के खिलाफ ‘अपमानजनक’ टिप्पणी करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। उन पर सेना के खिलाफ लोगों को भड़काने और सशस्त्र बल की अवज्ञा करने का अभियोग लगाया गया है। 

इमान मजारी के खिलाफ मुकदमा सेना मुख्यालय ने दर्ज कराया है। इसमें कहा गया है कि बीते 21 मई को जब सुरक्षा बल शिरीन मजारी के घर पर गए, तब इमान मजारी ने सेना और जनरल बाजवा के खिलाफ अपमानजनक और नफरत भरी टिप्पणियां कीं। ये मुकदमा दर्ज होने के बाद इमान ने अपने वकील के जरिए अग्रिम जमानत की अर्जी दी, जिसे इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। हाई कोर्ट ने अगले नौ जून तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। 

शिरीन मजारी से 21 मई को लाहौर में पुलिसकर्मियों ने जैसा व्यवहार किया, उसकी पहले से तीखी आलोचना होती रही है। पीटीआई का आरोप है कि पुलिसकर्मी उन्हें घसीटते हुए अपने साथ ले गए। विवाद बढ़ने पर पंजाब प्रांत की सरकार ने सफाई दी कि शिरीन मजारी के साथ हुई घटना में उसका कोई हाथ नहीं है। तब से यह रहस्य बना रहा है कि पुलिसकर्मी किसके आदेश पर शिरीन मजारी के घर गए थे। 

अब चूंकि इमान मजारी के खिलाफ एफआईआर सेना मुख्यालय ने दर्ज कराई है, तो पीटीआई समर्थक ये सवाल उठा रहे हैं कि क्या शिरीन मजारी के खिलाफ कार्रवाई उसके निर्देश पर हुई थी। एफआईआर को चुनौती देते हुए इमान मजारी ने कहा है कि उन्हें दुर्भावना और अति प्रभावशाली लोगों की ज्यादती का शिकार बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन पर लगाए गए अभियोग बेबुनियाद हैं। 

हाई कोर्ट ने इमान की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। सेना के जनसंपर्क विभाग ने बाद में एक बयान में कहा कि पाकिस्तान के संविधान के तहत सेना को किसी प्रकार के दुराचरण से संरक्षण मिला हुआ है। इसलिए सेना ने इंसाफ पाने के लिए कानून और न्याय व्यवस्था का सहारा लिया है। बयान में कहा गया कि इमान मज़ारी ने सना नेतृत्व का अपमान किया। उससे सेना और सेना नेतृत्व की प्रतिष्ठा को क्षति पहुंची है। 

लेकिन सिर्फ टिप्पणियों के आधार पर किसी पर मुकदमा करने के सेना के रुख से देश के सिविल सोसायटी में असहजता का भाव देखा गया है। विश्लेषकों का कहना है कि इससे पीटीआई के इस आरोप को जनता में और स्वीकृति मिलेगी कि पाकिस्तान सैन्य प्रतिष्ठान का भी पिछले महीने हुए सत्ता परिवर्तन हाथ था। 

हाल के समय में पीटीआई के समर्थक सोशल मीडिया पर ये आरोप खुल कर लगाते रहे हैं। सेना ने कई बार इसका खंडन किया है। उसने कहा है कि उसे राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। लेकिन समझा जाता है कि इमान मजारी पर कार्रवाई से सेना के सियासत में और घिसटने की स्थिति बन गई है। 

इमान मजारी पेशे से वकील और मानव अधिकार कार्यकर्ता हैं। शिरीन मजारी पूर्व इमरान खान सरकार में मानव अधिकार संरक्षण मामलों की मंत्री थीं।