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इस्लामाबाद। शहबाज शरीफ सरकार के कथित तौर पर इस्राइल से संबंध बनाने के सवाल पर पाकिस्तान में पहले से ही गर्म सियासी माहौल के और भड़क उठने के संकेत हैं। शरीफ सरकार के खिलाफ अभियान चला रहे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान इस पर अमेरिका का गुलाम होने के आरोप लगाते रहे हैं। ताजा खबर से इमरान खान की पार्टी- पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को वर्तमान सत्ताधारी गठबंधन को घेरने का एक और मौका मिल गया है।

एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के इस्राइल जाने की खबर के सामने आते ही सत्ताधारी गठबंधन पर कड़ा हमला बोला। इमरान खान सरकार में मानवाधिकार मामलों की मंत्री रह चुकीं शिरीन मज़ारी ने कहा कि इस्राइल से तार जोड़ कर शरीफ सरकार ने अमेरिका से किए अपने एक और वादे को निभाया है। उन्होंने कहा- ‘अमेरिका की पाकिस्तान में सरकार बदलने की साजिश के तहत बनी आयातित सरकार और उसके सह-षड्यंत्रकारियों ने एक और वादा निभा दिया है। यह गुलामी की शर्मनाक मिसाल है।’

इस्राइल के राष्ट्रपति ने किया था खुलासा
पाकिस्तानियों के एक दल के इस्राइल आने की बात वहां के राष्ट्रपति आईजैक हर्जोग ने स्विट्जरलैंड के दावोस में पिछले हफ्ते बताई थी। उन्होंने बताया था कि इस दल में मुख्य रूप से अमेरिका में रहने वाले पाकिस्तानी नागरिक शामिल थे। हर्जोग ने कहा कि इस दल से मिलना एक शानदार अनुभव रहा। हर्जोग दावोस में हुए वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दौरान अब्राहम समझौते के बारे में चर्चा कर रहे थे। अमेरिकी मध्यस्थता में हुए इस समझौते के तहत बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात ने इस्राइल के आम संबंध कायम कर लिए थे।

पाकिस्तान ने अभी तक इस्राइल को एक संप्रभु देश के रूप में मान्यता नहीं दी है। पाकिस्तान की स्थापना के बाद से उसकी नीति दो-देश सिद्धांत का समर्थन करने की रही है। इस सिद्धांत के मुताबिक इस्राइल और फिलस्तीन दोनों को स्वतंत्र देश के रूप में रहने का मौका मिलना चाहिए। अब्राहम समझौता अगस्त 2020 में हुआ था। तब पाकिस्तान की तत्कालीन इमरान खान सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि उसका इस्राइल को मान्यता देने का कोई इरादा नहीं है। समझा जाता है कि पाकिस्तान में तीव्र इस्राइल विरोधी जन भावना है। इसलिए ताजा खबर से शहबाज शरीफ सरकार की मुसीबत और बढ़ सकती है।

अब्राहम समझौता है वजह?
वैसे शरीफ सरकार ने सफाई दी है कि इस्राइल के प्रति पाकिस्तान की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि देश की इस्राइल नीति पर आम सहमति है और उसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि जिस यात्रा की खबर आई है, उसे एक विदेशी एनजीओ ने आयोजित किया था।

लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि हर्जोग ने अब्राहम समझौते के संदर्भ में इस यात्रा की जिस लहजे में अपनी बात कही, उससे संकेत गया कि पाकिस्तान सरकार इस समझौते का हिस्सा बनने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि अब्राहम समझौते के फायदों को जीवन के हर में महसूस किया जा रहा है। उन्होंने कहा- ‘पिछले हफ्ते मोरक्कोवासियों और पाकिस्तानियों के दो अलग-अलग प्रतिनिधिमंडलों से वे मिले। इससे उन्हें महसूस हुआ कि अब्राहम समझौते से भारी बदलाव आया है।’