Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

tranding

0  चीन के दबदबे को खत्म करने की तैयारी

नई दिल्ली/वाशिंगटन। भारत और अमेरिका समेत 26 देश दुनिया की सबसे बड़ी नेवल एक्सरसाइज करने जा रहे हैं। यह 29 जून से शुरू होकर 4 अगस्त तक चलेगी। अमेरिका के होनोलूलू और सैन डियागो में इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस ड्रिल का बहुत सीधा सा मकसद चीन को यह दिखाना है कि साउथ चाइना सी समेत दुनिया के किसी भी समुद्री क्षेत्र में उसकी दादागिरी नहीं चलेगी। यह एक्सरसाइज दो साल में एक बार होती है। 2020 में कोविड-19 के चलते आखिरी वक्त में इसे रद्द कर दिया गया था।

इस एक्सरसाइज को ‘रिम ऑफ पेसिफिक एक्सरसाइज 2022’ यानी RIMPAC 2022 नाम दिया गया है। RIMPAC 1971 में शुरू हुआ था। ये इस एक्सरसाइज का 28वां एडिशन है।

क्वॉड के चारों देश शामिल
क्वॉड में शामिल चारों देश यानी भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ड्रिल में शामिल होंगे। पांच वो देश भी एक्सरसाइज का हिस्सा बनेंगे, जिनका साउथ चाइना सी, यानी दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ सीधा टकराव चल रहा है। लिहाजा, यह मानने में कोई दिक्कत नहीं कि चीन को लेकर कई देशों ने अब मुकाबला करने का मन बना लिया है। अमेरिका इन देशों की सीधी मदद कर रहा है। यह एक्सरसाइज इसलिए भी अहम हो जाती है, क्योंकि हाल ही में चीन ने ऑस्ट्रेलिया की समुद्री सीमा से करीब 2 हजार किलोमीटर दूर सोलोमन आईलैंड्स की सरकार के साथ एक सीक्रेट डील की है। इससे ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया। चूंकि, ऑस्ट्रेलिया क्वॉड का हिस्सा है, इसलिए भी इस एक्सरसाइज की अहमियत ज्यादा हो जाती है।

US नेवी की तैयारी
अमेरिकी नेवी की 3rd फ्लीट के मुताबिक- 9 देशों के ग्राउंड कमांडो भी इस अभ्यास में खासतौर पर शामिल किए गए हैं। इसके जरिए आईलैंड्स पर ग्राउंड ऑपरेशन्स की तैयारी का जायजा लिया जाएगा। हम चाहते हैं हिंद-प्रशांत सभी के लिए पूरी तरह खुला रहे। यहां किसी एक देश का दबदबा कबूल नहीं किया जा सकता। साउथ चाइना सी और हिंद-प्रशांत महासागर में चीन की हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। समंदर पर किसी एक देश का हक नहीं है, यह बात बीजिंग को समझ लेनी चाहिए।

बाइडेन की साइलेंट डिप्लोमैसी
अमेरिका और दुनिया के कई डिप्लोमैटिक एक्सपर्ट्स ने बार-बार जो बाइडेन की लीडरशिप को कमजोर बताया। हालांकि, बाइडेन ने बहुत शांति से मोहरे चले और साफ कर दिया कि वो अमेरिका को वर्ल्ड लीडर के रोल में बरकरार रखना चाहते हैं। उन्होंने न सिर्फ क्वॉड को मजबूत किया, बल्कि ताइवान को दबाव में लाने की चीन की कोशिशों पर भी बेहद सख्त रुख अपनाया। उन्होंने साफ कर दिया है कि अगर चीन ने ताइवान पर हमले जैसा कोई कदम उठाया तो अमेरिका मिलिट्री एक्शन लेने में वक्त नहीं लगाएगा।

चीन का टेंशन अब दोगुना
RIMPAC 2022 चीन के लिए बिल्कुल सीधा मैसेज है कि साउथ चाइना सी में मौजूद छोटे देश अब उसका डटकर मुकाबला करने को तैयार हैं। इसकी वजह यह है कि इस एक्सरसाइज में फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया और सिंगापुर भी शामिल हैं। इन देशों की कुल समुद्री सीमा करीब 13 लाख स्क्वेयर किलोमीटर है। एक और अहम बात यह है कि क्वॉड में शामिल चारों देश अब तेजी से मिलिट्री कोऑपरेशन बढ़ा रहे हैं। हालांकि, शुरुआत में इन देशों का मकसद डायरेक्ट मिलिट्री कोऑपरेशन नहीं था। तब सिर्फ ट्रेड और कल्चर को ही ज्यादा तवज्जो दी गई थी।

tranding
tranding
tranding