इस्लामाबाद। पाकिस्तान विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, बढ़ती महंगाई, और सरकार पर बढ़ रहे कर्ज का बोझ जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है। उसकी हालत भी श्रीलंका जैसी ही हो रखी है। ऐसे में देश के नए पीएम शहबाज शरीफ ने देश की आर्थिक समस्याओं को ठीक करने के लिए सभी हितधारकों के बीच 'भव्य वार्ता' आयोजित करने के प्रस्ताव रखा था। जिसे उनकी मुख्य विपक्षी पार्टी पीटीआई ने खारिज कर दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी ने शरीफ सरकार के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए हास्यास्पद दावे कर रही है।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने रविवार को देश को प्रगति और समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ने के लिए अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर बातचीत शुरू करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके कुछ देर बाद ही इमरान खान के नेतृत्व वाली मुख्य विपक्षी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने कहा कि सरकार की विफलताओं को छिपाने के लिए बातचीत की पेशकश की गई थी।
पीटीआई के केंद्रीय सूचना सचिव फारुख हबीब ने एक वीडियो बयान में कहा कि सरकार ने अपने पहले 50 दिनों में देश को महंगाई से त्रस्त कर दिया है। हबीब ने आगे कहा कि गरीब लोगों के लिए अभिशाप के रूप में सत्ता धारी लोगों ने देश में राजनीतिक और आर्थिक अराजकता की नींव रखी है। उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा सरकार ईंधन और बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी का बोझ लोगों पर डाल रही है ऐसे में वह अर्थव्यवस्था को ठीक करने का भी दावा कर रही है।
वहीं, पीटीआई के उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरैशी ने पार्टी की कोर कमेटी की बैठक के बाद इस्लामाबाद में मीडिया से कहा कि देश पर थोपे गए लोगों से भव्य संवाद नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि वे केवल चुनाव कराने पर बातचीत करेंगे।
इससे पहले प्रधान मंत्री शरीफ ने रविवार को लाहौर में सिंधु अस्पताल के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए अर्थव्यवस्था को सुधारने पर बल देते हुए सभी हितधारकों के बीच बातचीत शुरू करने की आवश्यकता बताई थी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर एक आम सहमति इस तरह से विकसित की जानी चाहिए कि सरकार बदलने से इसमें बाधा न आए।
उन्होंने कहा कि आईटी और औद्योगीकरण जैसे कुछ क्षेत्र हैं जिनके माध्यम से देश आगे बढ़ सकता है। शरीफ ने कहा कि किसी को भी स्वास्थ्य और कृषि पर राजनीति करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। शरीफ ने कहा कि कोई देश कर्ज पर नहीं टिक सकता।
गौरतलब है कि पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के सामने आर्थिक चुनौतियों का अंबार है। पूर्ववर्ती इमरान सरकार भी आर्थिक संकट से जूझ रही थी। वह संकट लगातार और गहरा रहा है। पाकिस्तान की नई सरकार के सामने बड़ी समस्याओं में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, बढ़ती महंगाई, और सरकार पर बढ़ रहे कर्ज का बोझ शामिल है। देश में आयात बढ़ने के कारण व्यापार घाटा 35 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। यदि पाकिस्तान ने समय पर कर्ज अदायगी नहीं की तो वह भी श्रीलंका की तरह डिफॉल्टर बन सकता है।