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नई दिल्ली। निर्यात पर पाबंदी के पूर्व तुर्की भेजे गए भारतीय गेहूं का मामला उलझता जा रहा है। तुर्की ने 55 हजार टन भारतीय गेहूं को सड़ा बताकर खारिज कर दिया था। इसके बाद इसे इजिप्ट भेजा गया तो वहां भी गेहूं लदे जहाज को तट पर पहुंचने की इजाजत नहीं दी गई। 

इजिप्ट के प्लांट क्वारंटीन चीफ अहमद अल अत्तर ने 55,000 टन गेहूं को लेकर आ रहे जहाज को देश की सीमा में प्रवेश करने से पहले ही खारिज कर दिया। तुर्की ने भारतीय गेहूं में रूबेला वायरस पाए जाने की शिकायत करते हुए इसे लेने से मना कर दिया था। इसके बाद इसी खेप को इजिप्ट भेजा गया था।

भारत सरकार का इस गेहूं के निर्यात से सीधा संबंध नहीं है। यह गेहूं बहुराष्ट्रीय कंपनी आईटीसी लिमिटेड ने नीदरलैंड्स की एक कंपनी को बेचा था। उसने इसे तुर्की भेजा था। जब तुर्की ने ठुकराया तो इसे इजिप्ट के एक व्यापारी ने खरीदा था। इसके बाद जब जहाज गेहूं की खेप लेकर अफ्रीकी देश इजिप्ट की ओर बढ़ा तो उसने भी इसे बीच में खारिज कर दिया। यह जहाज शनिवार को इजिप्ट पहुंचने वाला था। 

इजिप्ट सबसे बड़ा गेहूं आयातक
इजिप्ट ने भले ही यह 55 हजार टन गेहूं खारिज कर दिया है, लेकिन इससे पहले ही भारत पिछले माह उसे 61 हजार टन से ज्यादा गेहूं भेज चुका है। दरअसल, इजिप्ट दुनिया में गेहूं का सबसे बड़ा आयातक है। मई में ही मिस्र के खाद्य आपूर्ति मंत्री अली मोसेलही ने भारत से पांच लाख टन गेहूं सीधे खरीदने का फैसला किया था। हालांकि, इससे संबंधित करार पर अभी हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। इससे पहले अप्रैल में इजिप्ट के कृषि मंत्रालय ने भारत से गेहूं आयात की इजाजत दे दी थी। 

विश्व में भारत का गेहूं सस्ता व गुणवत्ता पूर्ण
असल बात यह है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण विश्व में गेहूं की मांग-आपूर्ति का अंतर बिगड़ गया है। विश्व बाजार में यूरोपीय संघ (EU) का गेहूं 43 रुपये प्रति किलो पड़ रहा है जबकि भारत का 26 रुपये किलो। भारतीय गेहूं की गुणवत्ता भी बेहतर है। दोनों के मूल्य में 17 रुपये किलो का फर्क है।