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हनोई। राजनाथ सिंह और जनरल जियांग के बीच बैठक में 2030 तक द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी पर साझा विजन दस्तावेज पर भी हस्ताक्षर हुए। हिंद-प्रशांत में चीन की बढ़ती दादागीरी को देखते हुए इससे दोनों देशों के बीच समुद्री क्षेत्र में रक्षा व सुरक्षा सहयोग और बढ़ाने में मदद मिलेगी।

वियतनाम उन देशों में शामिल है जिनके साथ दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन का विवाद चल रहा है। वहीं, लद्दाख और अरुणाचल को लेकर भारत के साथ भी चीन के संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। दोनों मंत्रियों ने वियतनाम भारत से मिलने वाले 50 करोड़ डॉलर के रक्षा ऋण को जल्द अंतिम रूप देने पर सहमति जताई। इसके अलावा रक्षा साझेदारी को समृद्ध करने के लिए आगे के रास्ते तलाशने पर भी सहमति जताई गई है।

हिंद-प्रशांत में स्थिरता आएगी : राजनाथ 
राजनाथ सिंह ने जियांग से भेंट के बाद कहा वियतनाम के साथ भारत के करीबी सुरक्षा संबंधों से हिंद-प्रशांत में स्थिरता आएगी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह मंगलवाल को तीन दिनी दौरे पर हनोई पहुंचे और इस दौरान राष्ट्रपति नुयेन शुआन फुक से भी भेंट की। दोनों नेताओं के बीच संपूर्ण रणनीतिक संबंधों को लेकर विस्तृत चर्चा हुई।

हो ची मिन्ह को दी श्रद्धांजलि 
वियतनाम के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय में राजनाथ सिंह को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया और जनरल जियांग ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। इससे पहले, सिंह ने वियतनाम के संस्थापक हो ची मिन्ह की समाधि पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। 

भारत चला रहा तेल परियोजनाएं
वियतनाम, आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्र संगठन) का एक अहम देश है और उसका दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद है। भारत, दक्षिण चीन सागर में वियतनामी समुद्र क्षेत्र में तेल निकालने संबंधी परियोजनाएं चला रहा है। भारत और वियतनाम साझा हितों की रक्षा के वास्ते पिछले कुछ वर्षों में अपने समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

2000 साल पुराने हैं भारत-वियतनाम संबंध 
रक्षा मंत्रालय ने भारत की एक्ट ईस्ट नीति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वियतनाम को भारत का महत्वपूर्ण साझेदार बताते हुए कहा कि दोनों देश समृद्ध इतिहास और सभ्यतागत और सांस्कृतिक संबंधों को साझा करते हैं जो 2000 साल से भी पुरानी हैं। साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वियतनाम दौरे के बाद दोनों देशों के संबंध समग्र रणनीति साझेदारी के स्तर पर पहुंच गए।

कंबोडिया ने कहा-उसके बंदरगाह पर नहीं रहेगी चीनी सेना
कंबोडिया ने चीन के सहयोग से शुरू हो रही बंदरगाह विस्तार परियोजना को लेकर एक बार फिर सफाई दी है। उसने कहा कि इस बंदरगाह पर चीनी सेना की मौजूदगी नहीं होगी। बता दें कि इस बंदरगाह को लेकर अमेरिका चिंतित है और उसे आशंका है कि चीन इसका इस्तेमाल नौसैन्य अड्डे के रूप में कर सकता है। 

कंबोडियाई सरकार के मुख्य प्रवक्ता फे सिफान ने कहा कि रीम नौसेना ठिकाने का विस्तार चीन और कंबोडिया के सहयोग का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि कंबोडिया में चीन के राजदूत यहां के रक्षामंत्री और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ ‘ग्राउंड ब्रेकिंग’ समारोह की अध्यक्षता करेंगे। उन्होंने वाशिंगटन पोस्ट में चीनी अफसर के हवाले से छपी खबर का खंडन किया जिसमें इस ठिकाने का इस्तेमाल चीनी सेना द्वारा करने की बात कही गई थी। 

स्वदेशी रक्षा परियोजनाओं का बजट पांच गुना बढ़ा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीडीएफ) योजना के तहत हर परियोजना की फंडिंग 10 करोड़ से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये करने को मंजूरी दे दी है। इससे देश के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। यह जानकारी रक्षा मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान के जरिए दी है।  

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से संचालित टीडीएफ योजना, एमएसएमई और स्टार्ट-अप द्वारा उत्पादों, प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास के लिए सहायता देती है। 2022-23 के बजट में रक्षा अनुसंधान और विकास के लिए आवंटित राशि का एक चौथाई हिस्सा निजी उद्योग, स्टार्ट-अप और अकादमियों के लिए निर्धारित किया गया था। मंत्रालय के मुताबिक, टीडीएफ के तहत बढ़ी फंडिंग बजट घोषणा के अनुरूप है और यह रक्षा में आत्मनिर्भरता के उद्देश्य को बढ़ावा देगी।