काठमांडो। नेपाल में प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी को सत्ताधारी गठबंधन में लाने की कोशिश से मधेस इलाके की राजनीति गरमा गई है। खबरों के मुताबिक देउबा अगले आम चुनाव से पहले कोई चांस नहीं लेना चाहते। इसलिए वे अपने नेतृत्व वाले गठबंधन में सभी संभव दलों को शामिल करना चाहते हैँ। इसी प्रयास में उन्होंने महंत ठाकुर के नेतृत्व वाले लोकतांत्रिक समाजवादी दल को सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा बनाने की पहल की है।
इस बीच सत्ताधारी गठबंधन में पहले से शामिल जनता समाजवादी दल के नेता उपेंद्र यादव ने अपनी पार्टी और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के विलय की पेशकश कर दी है। उपेंद्र यादव और महंत ठाकुर दोनों मधेस इलाके के नेता हैँ। इन दोनों पार्टियों का मुख्य समर्थन आधार इसी क्षेत्र में है। हाल के स्थानीय चुनावों में इन दलों को तगड़ा झटका लगा है। समझा जाता है कि उसके बाद ही खास कर जनता समाजवादी पार्टी में एकता की जरूरत महसूस की गई है।
विलय पर रार
अप्रैल 2020 में भी यादव और ठाकुर ने अपनी पार्टियों का विलय किया था। लेकिन पिछले साल अगस्त में दोनों फिर अलग हो गए। उपेंद्र यादव ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा- ‘पार्टी में विभाजन से किसी को फायदा नहीं हुआ। अब समय आ गया है जब महंत ठाकुर की पार्टी अपनी स्थिति का फिर से मूल्यांकन करे।’ पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि हफ्ते भर के भीतर यादव ने दूसरी बार ऐसा बयान दिया है। इसके बावजूद दोनों पार्टियों के आपस में विलय की संभावना अभी भी कमजोर मानी जा रही है।
मीडिया टिप्पणियों में कहा गया है कि लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी नेपाल की राजनीति में अपना अलग स्थान बनाने की कोशिश में है। जबकि जनता समाजवादी पार्टी कमजोर हालत में है। हाल के स्थानीय चुनावों के बाद जनता समाजवादी पार्टी के दोनों बड़े नेताओं- उपेंद्र यादव और पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई का झगड़ा खुल कर सामने आ चुका है। भट्टराई खेमे का आरोप है कि यादव ने उसे पार्टी में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिया है। साथ ही उपेंद्र यादव नियमित रूप से पार्टी की बैठकें भी नहीं बुलाते हैं।
अखबार काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक जनता समाजवादी पार्टी के 22 सांसदों में से दस भट्टराई के साथ हैं। भट्टराई को उम्मीद है कि कुछ और सांसद आने वाले दिनों में उनसे आ जुड़ेंगे।
देउबा से मिले ठाकुर
उधर महंत ठाकुर अपनी पार्टी को सत्ताधारी गठबंधन में शामिल करने के लिए अलग से भी बातचीत चला रहे हैं। इस हफ्ते मंगलवार को उन्होंने अपना 11 सूत्री मांगपत्र प्रधानमंत्री देउबा को सौंपा। इनमें ज्यादातर मांगें मधेस समुदाय के लोगों की नागरिकता और गिरफ्तार मधेसवासियों की रिहाई से संबंधित हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि इस समय ठाकुर, यादव और भट्टराई के बीच खुद को मधेस इलाके का असली नेता साबित करने की होड़ मची लगती है। इसलिए वे इस क्षेत्र की मांगों को जोर-शोर से उठा रहे हैं। लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन भी हाल के स्थानीय चुनावों में खराब रहा। कुल मिला कर वह चौथे नंबर पर आई। फिर भी प्रधानमंत्री देउबा का आकलन है कि आम चुनाव में मधेस पार्टियों को साथ रखना उनके लिए लाभदायक होगा।