0 लाइम स्टोन तोड़कर निकालेंगे बाहर
जांजगीर। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में बोरवेल के लिए खोदे गए गड्ढे में फंसे हुए राहुल को 90 घंटे हो चुके हैं। उसको बचाने का प्रयास प्रशासन, सेना और एनडीआरएफ की टीम कर रही है। राहुल की हालत अब बिगड़ रही है। कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि राहुल ने कल से कुछ नहीं खाया है। हालांकि सर्जन का कहना है कि उसकी सांस की गति सामान्य है।
बताया गया कि राहुल और जवानों के बीच में बड़े पत्थर हैं। ऐसे में राहुल से दूरी महज 8 इंच है, उसे साइड से निकालने के चलते दूरी डेढ़ फीट बढ़ गई है। टनल के अंदर लाइम स्टोन होने के कारण समय लग रहा है। उसे तोड़कर जल्द से जल्द राहुल को बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है।
कॉरिडोर बनाया गया, अपोलो में भर्ती करेंगे
राहुल को निकालकर अस्पताल तक ले जाने की पूरी तैयारी हो गई है। राहुल को बाहर लाते ही एंबुलेंस से बिलासपुर लेकर जाएंगे। जहां अपोलो अस्पताल में उसे भर्ती किया जाएगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर राहुल को रेस्क्यू के बाद ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ले जाने का काम पूरा हो गया है। अब बस उसके बाहर आने का इंतजार है। इसे लेकर मेडिकल टीम को अलर्ट कर दिया गया है। दूसरी ओर राहुल की सलामती को लेकर पूरा प्रदेश प्रार्थना और दुआएं कर रहा है। प्रदेश में जगह-जगह राहुल के लिए पूजा और हवन किए जा रहे हैं। पुलिस और प्रशासन जहां एक ओर बच्चे को रेस्क्यू करने के प्रयास में चार दिन से जुटे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर कोरबा पुलिस की ओर से सर्वमंगला मंदिर में राहुल की सकुशल वापसी के लिए अखंड महामृत्युंजय पाठ का आयोजन किया गया है।
वीएलसी से ट्रैक कर रहे राहुल को
राहुल की सही लोकेशन ट्रेस करने के लिए वीएलसी ( विक्टिम लोकेशन कैमरा) का इस्तेमाल किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इसके लिए दीवार में एक बड़ा सा छेद किया गया है। इसी के सहारे कैमरे को अंदर डाला गया। इस विशेष कैमरे से दीवार या चट्टानों के उस पार से आने वाली आवाजों को आसानी से सुना जा सकता है। कैमरे से आवाज सुनकर रेस्क्यू को आसान बनाया जाएगा। जवान इस वीएलसी कैमरे की जांच कर आवश्यक तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले जवानों ने वायब्रेटर का इस्तेमाल किया था। वहीं राहुल की हालत फिलहाल ठीक नहीं है। उसे सुबह फ्रूटी पीने के लिए दी गई, पर उसने नहीं लिया। हालांकि प्रशासन का कहना है कि राहुल की हालत डल जरूर है, पर ठीक है। हम उसकी आवाज सुन पा रहे हैं। इस बीच कलेक्टर भी टनल देखने के लिए मौके पर पहुंचे। वहां से मलबा हटाने का काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा कि मामला संवेदनशील है, इसलिए रेस्क्यू टीम सावधानी से आगे बढ़ रही है। चट्टानों का मुकाबला हम अपने फौलादी इरादों से कर रहे हैं। दूसरी ओर प्रशासन ने आसपास के 200 मीटर एरिया को खाली कराकर बैरिकेडिंग कर दी है। अब वहां पर किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है। एनडीआरएफ की टीम ने देर रात टनल बनाने का काम पूरा कर लिया था। राहुल ऊपर की ओर फंसा है। ऐसे में अब नीचे से 4 फीट खुदाई और की जा रही है। इसी रास्ते में बड़ी चट्टान आ गई है। ड्रिल के बाद उसे मैनुअल तरीके से काटा जाएगा। इसके लिए वीएलसी यानी विक्टिम लोकेशन कैमरे की मदद ली जा रही है। इसकी मदद से दीवार या चट्टानों के पार देखा और आवाजों को सुना भी जा सकता है।
एनडीआरएफ अफसर चोटिल
इस दौरान राहुल तक पहुंचने के लिए टनल बनाने के काम में लगे एनडीआरएफ के कमांड इन चीफ वर्धमान मिश्रा चोटिल हो गए हैं। डॉक्टर ने मौके पर उनका उपचार किया और वे फिर से काम में लग गए हैं। वर्धमान मिश्रा के ऊपर ही ऑपरेशन की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि काम किसी हालत में रुकना नहीं चाहिए। वहीं दूसरी ओर राहुल के नजदीक अब एनडीआरएफ की टीम पहुंचती जा रही है। महज 2 से ढाई फीट की दूरी रह गई है। उसे बाहर निकालने के लिए खुदाई का एंगल थोड़ा बदला गया है। जिससे उसे चोट न लगे। बल्ली ले जाकर एक स्ट्रक्चर खड़ा किया जा रहा है। इसके साथ ही वाइब्रेटर से राहुल के नीचे के पत्थर को चिकना बनाया जा रहा है। जिससे उसको बाहर निकालने के दौरान चोट न लगे।
10 जून को बोरवेल में गिरा था राहुल
राहुल साहू (10) का शुक्रवार दोपहर 2 बजे के बाद से कुछ पता नहीं चला। जब घर के ही कुछ लोग बाड़ी की तरफ गए तो राहुल के रोने की आवाज आ रही थी। गड्ढे के पास जाकर देखने पर पता चला कि आवाज अंदर से आ रही है। बोरवेल का गड्ढा 80 फीट गहरा है। ये भी बताया गया है कि बच्चा मूक-बधिर है, मानसिक रूप से काफी कमजोर है, जिसके कारण वह स्कूल भी नहीं जाता था। घर पर ही रहता था। पूरे गांव के लोग भी 2 दिन से उसी जगह पर टिके हुए हैं, जहां पर बच्चा गिरा है। राहुल अपने मां-बाप का बड़ा बेटा है। उसका छोटा भाई 2 साल छोटा है। पिता की गांव में बर्तन की दुकान है।