कोलंबो। जबर्दस्त आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) से पांच अरब डॉलर की वित्तीय सहायता मांगी है। मुद्राकोष ने मदद का वादा फिर दोहराया है। इस पर विचार करने व हालात का जायजा लेने के लिए आईएमएफ की एक टीम अगले सप्ताह कोलंबो पहुंचेगी।
श्रीलंका पहुंचने वाली आईएमएफ की टीम देश के आर्थिक पुनर्वास पैकेज पर चर्चा आगे बढ़ाएगी। संकटग्रस्त श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए एक पुनर्वास पैकेज तैयार किया जा रहा है। आर्थिक संकट के कारण श्रीलंका में खाने पीने के सामान, दवाएं, रसोई गैस व ईंधन की भारी किल्लत हो गई है।
श्रीलंका के मीडिया ने देश के पुनर्वास पैकेज को लेकर आईएमएफ से संपर्क साधा था। इसके जवाब में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसी ने कहा कि आर्थिक कार्यक्रम पर चर्चा जारी रखने के लिए 20 से 30 जून के दौरान हमारी एक टीम कोलंबो का दौरा करेगी। इसमें 9 से 24 मई के बीच हुई वर्चुअल चर्चा को आगे बढ़ाया जाएगा।
आजादी के बाद का भीषण आर्थिक संकट
श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से सबसे भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। श्रीलंका सरकार ने कहा है कि हम इस कठिन समय में आईएमएफ की नीतियों का समर्थन करते हुए मदद चाहते हैं। श्रीलंका आईएमएफ समेत विश्व के अन्य संस्थानों से चार-पांच अरब डॉलर की सहायता चाहता है।
कंगाल हो चुका है देश, डिफॉल्टर बना
श्रीलंका अपने इतिहास में पहली बार विदेशी कर्ज चुकाने में विफल रहा था। देश लगभग कंगाल हो चुका है। विदेशी मुद्रा के घोर संकट के कारण ही वह डिफॉल्टर बना। अप्रैल में उसने एलान किया था कि वह इ साल 7 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज की अदायगी टाल दी है। उसे 2026 तक कुल 25 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है। उस पर कुल 51 अरब डॉलर का कर्ज है।
प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि आईएमएफ के साथ आर्थिक पुनर्वास समझौता देश की वित्तीय जरूरतों की पूर्ति के लिए महत्वपूर्ण होगा। वहीं, राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने स्वीकार किया है कि देश को बहुत पहले ही आईएमएफ से सहायता मांगनी चाहिए थी। भारत ने पड़ोसी धर्म निभाते हुए इस साल जनवरी से श्रीलंका की आर्थिक मदद की है।