काबुल। काबुल के एक गुरुद्वारे में रह रहे 150 से ज्यादा सिख तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से भारत आने के लिए वीजा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में गुरुद्वारा कर्ता-ए-परवान के अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने भी भारत सरकार से हिंदुओं और सिखों के लिए निकासी के प्रयास तेज करने का आग्रह किया है।
भारत आना चाहते हैं 150 से ज्यादा सिख
उन्होंने यह भी कहा कि 150 से अधिक अफगान सिख हैं जो तालिबान के लौटने के बाद से भारत आना चाहते हैं। उनके पास वैध भारतीय वीजा भी थे लेकिन अधिग्रहण के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने आगे कहा कि ये सिख समुदाय के लोग अपनी आजीविका छोड़ने और काबुल में अपनी दुकानें बेचने के लिए तैयार हैं। उन्होंने बताया कि देश में तालिबान की वापसी के बाद वे रातों की नींद हराम कर रहे हैं और दिन गिन रहे हैं।
उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्रालय (एमओआई) के अधिकारियों ने रविवार को उनसे मुलाकात की और क्षतिग्रस्त गुरुद्वारे की मरम्मत के लिए समर्थन की पेशकश की थी। उन्होंने आगे कहा कि लेकिन अब समय आ गया है कि भारत सरकार भी कदम उठाए। भारत सरकार द्वारा शुरू की गई निकासी प्रक्रिया अभी खत्म नहीं हुई है। अभी भी कई ऐसे लोग हैं जो भारत आने के इच्छुक हैं और अपने वीजा के लिए कई महीनों से इंतजार कर रहे हैं।
अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी
इस दौरान 100 से अधिक ई-वीजा देने के सरकार के कदम के बारे में पूछे जाने पर गुरनाम सिंह ने कहा कि अभी भी बहुत कुछ किया जाना है। हम सरकार से निकासी के प्रयासों को तेज करने, उड़ानों में मदद करने और तालिबान से प्रभावित इन लोगों के लिए आजीविका के तरीके तलाशने का आग्रह करते हैं।
इस दौरान भारत विश्व मंच के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक ने कहा कि वह सरकार से अपील कर रहे हैं कि वे वहां रहने वाले 150 से अधिक सिखों को वीजा प्रदान करें। बता दें कि भारत विश्व मंच के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक, तालिबान के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान से सिखों को निकालने के लिए भारत सरकार के साथ समन्वय कर रहे हैं।
शनिवार को हुआ था गुरुद्वारे पर हमला
गौरतलब है कि 18 जून यानी शनिवार को काबुल के बाग-ए-बाला इलाके में गुरुद्वारा करते परवान में कई धमाके हुए थे। इस दौरान अफगान सुरक्षाकर्मियों ने एक विस्फोटक से भरे वाहन को गुरुद्वारे तक पहुंचने से रोक लिया था। जिससे एक बड़ी घटना होने से बच गई । पिछले अगस्त में अशरफ गनी सरकार के पतन के बाद से इस गुरुद्वारे में 150 सिखों ने पनाह ली थी।
इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली है। हमले के एक दिन बाद, भारत ने अफगानिस्तान में रहने वाले 100 से अधिक सिखों और हिंदुओं के लिए ई-वीजा को मंजूरी दी थी। भारत सरकार ने इसे कायराना बताते हुए हमले निंदा की है।