नई दिल्ली। राहुल नार्वेकर को महाराष्ट्र विधानसभा का नया अध्यक्ष चुन लिया गया है। भाजपा के विधायक नार्वेकर ने महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवार राजन सालवी को मात दी। यह पहली बार हुआ है कि जब महाराष्ट्र की राजनीति में विधानसभा और विधान परिषद की जिम्मेदारी दामाद और ससुर के पास है। खास बात यह है कि दोनों राजनीतिक विरोधी भी हैं। आइए जानते हैं इसकी पूरी कहानी...
पहले जानिए कौन हैं राहुल नार्वेकर?
महाराष्ट्र के नए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर बन गए हैं। उन्हें भाजपा और शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट ने प्रत्याशी बनाया था। राहुल ने राजनीतिक सफर की शुरुआत शिवसेना से की और युवा शाखा के प्रवक्ता बने। 15 साल तक शिवसेना में रहने के बाद 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान वह एनसीपी में शामिल हो गए।
2014 के लोकसभा में वह एनसीपी के टिकट पर मावल सीट से चुनाव भी लड़े, लेकिन जीत नहीं पाए। 2019 में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया और कोलाबा से विधायक बने। 45 साल के राहुल नार्वेकर पेशे से वकील हैं। उनके पिता सुरेश नार्वेकर बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) में पार्षद थे। भाई मकरंद बीएमसी के वॉर्ड नंबर 227 से दूसरी बार पार्षद बने हैं। भाभी हर्षता भी बीएमसी के वॉर्ड नंबर 226 से पार्षद हैं।
विधान परिषद अध्यक्ष के दामाद हैं राहुल
राहुल विधान परिषद के अध्यक्ष और एनसीपी के वरिष्ठ नेता रामराजे निंबालकर के दामाद भी हैं। रामराजे निंबालकर इस वक्त महाराष्ट्र विधान परिषद के अध्यक्ष हैं। राम राजे एनसीपी चीफ शरद पवार के करीबी बताए जाते हैं। 2015 में वह विधान परिषद के अध्यक्ष चुने गए थे। 2016 में दोबारा निर्वाचित हुए। 1999 से 2010 तक वह महाराष्ट्र सरकार में अलग-अलग मंत्रालयों के मंत्री भी रहे।
भाजपा ने उद्धव-पवार और कांग्रेस को कैसे दी पटखनी?
राहुल और उनके परिवार का मुंबई नगर निगम में काफी दबदबा है। एकनाथ शिंदे भी बीएमसी के बादशाह माने जाते हैं। ऐसे में भाजपा ने राहुल को विधानसभा अध्यक्ष बनवाकर महा विकास अघाड़ी यानी शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), एनसीपी और कांग्रेस को बड़ी राजनीतिक मात देने की कोशिश की। यह भी कहा जा रहा है कि राहुल के जरिए भाजपा एनसीपी में भी सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। राहुल की पकड़ एनसीपी में काफी अच्छी है। उनके ससुर खुद वरिष्ठ नेता हैं। ऐसे में राहुल एनसीपी नेताओं को अपने पाले में लाने की कोशिश कर सकते हैं।