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नई दिल्ली। महाराष्ट्र में आज एकनाथ शिंदे ने फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित कर दिया। इसी के साथ ये भी तय हो गया कि अब एकनाथ शिंदे की सरकार बरकरार रहेगी। फ्लोर टेस्ट में शिंदे के पक्ष में 164 मत पड़े। विपक्ष में 99 विधायकों ने वोट डाला। 22 विधायक वोटिंग के लिए नहीं पहुंचे। इनमें सबसे ज्यादा कांग्रेस के 10 विधायक हैं। इसके अलावा एनसीपी, सपा और एआईएमआईएम के विधायकों ने भी वोट नहीं डाला। 

ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या शिवसेना के बाद अब एनसीपी और कांग्रेस में भी फूट पड़ने वाली है? उद्धव ठाकरे के साथ अब कितने विधायक बचे हैं? अब आगे क्या होगा? जानिए सबकुछ...
 
पहले जानिए आज फ्लोर टेस्ट में क्या-क्या हुआ?
एकनाथ शिंदे को बहुमत साबित करने के लिए विधायकों के 144 मत चाहिए थे। पहले फ्लोर टेस्ट ध्वनि मत के जरिए होना था, लेकिन विपक्ष के हंगामे के चलते नहीं हो पाया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने हेड काउंट के जरिए मतदान कराया। इसमें विधानसभा के एक-एक सदस्य से पूछा गया कि वह किसके साथ हैं? इस वोटिंग में एकनाथ शिंदे के पक्ष में 164 विधायकों ने वोट डाला। विपक्ष में केवल 99 वोट ही पड़े।  

वोटिंग के ठीक पहले हुआ बड़ा गेम
फ्लोर टेस्ट से ठीक पहले  शिवसेना (ठाकरे गुट), एनसीपी, कांग्रेस गठबंधन में शामिल बहुजन विकास अघाड़ी के कुछ विधायकों ने आखिरी वक्त में बगावत कर दी। बहुजन विकास अघाड़ी के तीन विधायकों ने शिंदे के पक्ष में वोट डाला। इसके अलावा कांग्रेस 10 विधायक गैर हाजिर रहे। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, जितेश अंतापुरकर, जीशान सिद्दीकी, प्रणति शिंदे, विजय वडेट्टीवार, धीरज देशमुख, कुणाल पाटिल, राजू आवाले, मोहनराव हम्बर्दे और शिरीष चौधरी शामिल हैं।

उसके अलावा एनसीपी के अन्ना बंसोडे, संग्राम जगताप समेत कुछ अन्य विधायकों ने भी वोटिंग से दूरी बना ली। समाजवादी पार्टी और एआईएमआईएम के विधायक भी गैर हाजिर रहे। 

शिवसेना में भी आखिरी समय खेल कर गए विधायक
ऐसा नहीं है कि केवल एनसीपी, कांग्रेस में ही वोटिंग के दौरान खेल हुआ। शिवसेना के विधायक भी आखिरी समय पलट गए। उद्धव ठाकरे गुट के संतोष बांगड और श्याम सुंदर शिंदे ने एकनाथ शिंदे के पक्ष में वोट डाला। वहीं, शिंदे के साथ गोवा जाने वाले राहुल पाटिल और कैलाश पाटिल आखिरी समय में वापस उद्धव ठाकरे गुट में शामिल हो गए। दोनों ने शिंदे के खिलाफ वोट डाला। 

क्या एनसीपी और कांग्रेस में भी पड़ेगी फूट?
यही सवाल हमने महाराष्ट्र की राजनीति पर अच्छी पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप रायमुलकर से पूछा। उन्होंने कहा, 'पहले विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव और फिर फ्लोर टेस्ट में एनसीपी-कांग्रेस के कुछ विधायक गैर हाजिर रहे। वह भी तब जब पार्टी ने व्हिप जारी कर रखा था। इससे मालूम चलता है कि बगावत के सुर एनसीपी और कांग्रेस में तेज होने लगे हैं।'

रामयुलकर आगे कहते हैं, 'कांग्रेस विधायकों की नाराजगी सभी को मालूम है। लंबे समय से कांग्रेस विधायक अलग-अलग मसलों को लेकर गठबंधन पर सवाल खड़े करते रहे हैं। ऐसे में संभव है कि आने वाले कुछ दिनों में नाराज चल रहे कुछ विधायक भाजपा या शिवसेना का साथ पकड़ सकते हैं।'

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