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नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ एनडीए की तरफ से उप राष्ट्रपति कैंडिडेट होंगे। दिल्ली में भाजपा संसदीय बोर्ड की मीटिंग में यह फैसला हुआ। मीटिंग के बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने धनखड़ के नाम का ऐलान किया। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा समेत तमाम नेता शामिल हुए।

राजस्थान के जाट नेता हैं धनखड़
भाजपा के जाट नेता राजस्थान के रहने वाले हैं। 70 साल के जगदीप धनखड़ को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 30 जुलाई 2019 को बंगाल का 28वां राज्यपाल नियुक्त किया था। वे 1989 से 1991 तक राजस्थान के झूंझनू से लोकसभा सांसद रहे। 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे।  
 
सीएम ममता बनर्जी के साथ कई बार तल्खियां सामने आईं
बंगाल का राज्यपाल रहते हुए जगदीप धनखड़ और ममता बनर्जी के बीच कई बार तल्खियां सामने आ चुकी है। बंगाल चुनाव के बाद राज्य में हुए राजनीतिक हिंसा के लिए सीधे तौर पर उन्होंने ममता सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया था। 21 जून 2021 को उत्तर बंगाल दौरे के समय उन्होंने कहा था कि लोग मारे जा रहे हैं। मैं ऐसे में भी चुप रहने वाला गवर्नर नहीं हूं।

पीएम की मीटिंग में शामिल न होने पर ममता को झूठा कहा था
जगदीप धनखड़ ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को झूठा कहा था। दरअसल, यास तूफान से हुए नुकसान के रिव्यू के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल में बैठक की थी। इस बैठक में ममता नहीं पहुंचीं थीं। धनखड़ ने ट्वीट किया था- ममता बनर्जी ने 27 मई को रात सवा ग्यारह बजे मुझे मैसेज किया था। उन्होंने कहा था कि क्या मैं आपसे अभी बात कर सकती हूं? अर्जेंट है। धनखड़ ने कहा था कि ममता ने फोन पर इस बात के संकेत दिए कि पीएम की मीटिंग में वो और उनके अधिकारी नहीं जाएंगे। जनता की सेवा के ऊपर उनका अहंकार हावी हो गया। झूठी बातों से मजबूर होकर मैंने पूरा रिकॉर्ड सामने रख दिया है। इस पर बैठक से गायब होने की जो वजह उन्होंने बताई, वो झूठी है।

टीएमसी ने धनखड़ को पद से हटाने की मांग की थी
धनखड़ और टीएमसी के बीच जारी टकराव इतना बढ़ चुका है कि पिछले साल दिसंबर में टीएमसी के 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर राज्यपाल धनखड़ को हटाने की सिफारिश की थी। टीएमसी ने कहा था- संविधान की धारा 156 की उपधारा 1 के तहत हमने राज्यपाल को हटाने की अपील की है, क्योंकि उन्होंने संविधान का पालन नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी नहीं माना, लेकिन उन्हें नहीं हटाया गया।

नकवी को कैंडिडेट बनाने की अटकलें थीं
इससे पहले, छह जुलाई को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कैबिनेट से इस्तीफा दिया था। उनका राज्यसभा कार्यकाल गुरुवार 7 जुलाई को खत्म हो रहा था। इस्तीफे के बाद से नकवी को उपराष्ट्रपति कैंडिडेट बनाए जाने की चर्चा थी। नकवी को भाजपा ने पिछले दिनों हुए राज्यसभा के चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाया था, तब से ही कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी उन्हें किसी बड़ी भूमिका में लाना चाहती है।

उपराष्ट्रपति चुनाव का कार्यक्रम
19 जुलाई: नामांकन की आखिरी तारीख। 
6 अगस्त: वोटिंग।
11 अगस्त: काउंटिंग और रिजल्ट। 

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