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0 गवर्नर ने कहा- 1-2 दिन में कानूनी सलाह लेकर स्थिति स्पष्ट कर देंगे

रांची/रायपुर। झारखंड में सियासी संकट के बीच यूपीए प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन देकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधायकी पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। ज्ञापन में महागठबंधन ने अपने एकजुट होने का दावा किया। वहीं राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल को कानूनी सलाह लेकर एक-दो दिन में स्थिति स्पष्ट करने की बात कही है। 

इसमें सीएम की विधायकी रद्द होने की खबरों से पैदा हुई भ्रम की स्थिति पर चिंता जताई गई और कहा गया है कि जल्द से जल्द इसे साफ किया जाए। इस तरह के भ्रम से सरकार को डिस्टेबलाइज करने की कोशिश हो रही है। गवर्नर ऑफिस के आधे-अधूरे लीक से कफ्यूजन पैदा हो गया है, जो प्रशासन पर असर डाल रहा है।
राज्यपाल से मुलाकात के बाद जेएमएम महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि राज्यपाल ने कहा है कि चुनाव आयोग से चिट्ठी मिली है। इस पर 1-2 दिन में कानूनी सलाह लेकर इस पर स्थिति स्पष्ट कर दी जाएगी।

सीएम के इस्तीफे की बात को नकारते हुए विनोद पांडेय ने कहा कि राज्यपाल से हमने कहा है कि जिस तरह से मीडिया में खबरें आ रही हैं, उससे भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। राजभवन से जानकारी दिए जाने का हवाला दिया जा रहा है। जिस पर राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि राजभवन से कोई जानकारी नहीं दी गई है। 1-2 दिनों में पूरी स्थिति साफ कर दी जाएगी। मुलाकात के बाद राजभवन से बाहर निकली सांसद गीता कोड़ा ने कहा कि राज्यपाल ने 1 से 2 दिन के अंदर अपना फैसला चुनाव आयोग को भेजने के लिए कहा है।

राजभवन में प्रतिनिधिमंडल करीब आधे घंटे तक रुका। कांग्रेस से कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की, सांसद गीता कोड़ा, राज्य सभा सांसद धीरज साहू, जेएमएम से विजय हंसदा और महुआ मांझी राज्यपाल से मुलाकात करने पहुंचे थे। प्रतिनिधिमंडल ने आज ही राज्यपाल से मुलाकात का समय मांगा था। राजभवन से शाम 4 बजे मुलाकात का समय दिया गया था।

सोरेन कैबिनेट की बैठक भी
इधर, दूसरी तरफ सोरेन कैबिनेट की बैठक भी थोड़ी देर में शुरू होने वाली है। राजभवन पर दबाव बनाने के लिए सरकार विधानसभा का विशेष सत्र भी बुला सकती है। इसके जरिए सरकार दिल्ली की केजरीवाल सरकार की तरह खुद से विधानसभा में विश्वास मत पारित कर सकती है। विधानसभा के विशेष सत्र की घोषणा भी कैबिनेट की बैठक के बाद की जा सकती है। कैबिनेट की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी।
वहीं दूसरी तरफ कैबिनेट की बैठक के लिए सभी मंत्रियों को रायपुर से रांची बुला लिया गया है। जेएमएम कोटे के मंत्री जहां पहले से ही रांची में थे तो कांग्रेस कोटे के 4 मंत्री जिन्हें रायपुर शिफ्ट किया गया था, उन्हें भी बुधवार की शाम स्पेशल विमान से रांची बुला लिया गया है।

कैबिनेट के बाद सीएम की अगुआई में सभी मंत्री रायपुर जा सकते हैं
वहीं राज्य में सियासी संकट के मद्देनजर झारखंड की पूरी सरकार शुक्रवार को रायपुर शिफ्ट होने की संभावना है। प्रस्तावित कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुआई में सभी देर शाम रायपुर के मेफेयर गोल्फ रिसॉर्ट रायपुर पहुंच सकते हैं।

झारखंड में भी दिल्ली जैसी स्थिति, सीएम सोरेन विश्वास मत पेश कर सकते हैं
3 दिन पहले ही केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में भी अपना विश्वास मत पेश किया है। वहां भी झारखंड जैसी ही स्थिति बन रही थी। चार विधायकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि उन्हें भाजपा के लोग खरीदने की कोशिश कर रहे हैं। विधायकों ने दावा किया कि इसके लिए 20-20 करोड़ रुपए देने की पेशकश कर रहे हैं। विधायकों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अरविंद केजरीवाल ने अपने आवास पर बैठक बुलाई थी, जिसमें 9 विधायक नहीं पहुंचे थे। 9 विधायकों के नहीं पहुंचने के बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थी। ऐसें में केजरीवाल ने विश्वासमत प्रस्ताव लाकर सदन में आप के भीतर एकजुटता का संदेश दिया था। अब यही एकजुटता का संदेश हेमंत सोरेन झारखंड में देना चाहते हैं।

रायपुर के मेफेयर रिजॉर्ट में विधायक
झारखंड में सियासी संकट के बीच यूपीए के विधायकों को रायपुर एयरलिफ्ट किया गया है। कांग्रेस-जेएमएम और राजद के विधायकों को रांची से इंडिगो के विशेष विमान से रायपुर लाया गया है। विधायकों को 3 बसों में बैठाकर नवा रायपुर के मेफेयर रिसॉर्ट ले जाया गया। रिसॉर्ट के बाहर चप्पे-चप्पे पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी विधायकों से रिसॉर्ट में मुलाकात की।

मेफेयर रिसॉर्ट कांग्रेस विधायकों के लिए रहा है अभेद्य 
मेफेयर अभी तक कांग्रेस विधायकों के लिए सबसे अभेद्य रहा है। पिछले साल जब असम में विधानसभा चुनाव हुए थे और वहां विपक्ष के विधायकों की खरीद-फरोख्त शुरू हुई थी, तब वहां विपक्ष के लगभग एक दर्जन से ज्यादा विधायकों को रायपुर के इसी मेफेयर रिसॉर्ट में लाया गया था। वहीं जब हरियाणा में राज्यसभा चुनाव होना था, तो वहां भी बीजेपी की तरफ से खरीद-फरोख्त की बात सामने आई। इस पर हरियाणा के विधायकों को मेफेयर में ही ठहराया गया था। अब जब झारखंड सरकार के सामने संकट आया है तो विधायकों को यहां लाया गया है। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को क्राइसिस मैनेजमेंट का मास्टर माना जाता है।

महागठबंधन के नेताओं ने राज्यपाल को ज्ञापन देकर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।

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