नई दिल्ली। देश में बढ़ती महंगाई के खिलाफ कांग्रेस ने दिल्ली के रामलीला मैदान में हल्ला बोल रैली की। इसमें राहुल ने कहा कि देश में मीडिया, प्रेस और इंस्टीट्यूशन सरकार के दबाव में हैं। ऐसे में हमारे पास जनता के बीच जाकर सच बताने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। राहुल ने कहा कि देश के 10-15 अमीर लोग जो सपना चाहें, देख सकते हैं। गरीबों के साथ ऐसा नहीं है, लेकिन यह देश उद्योगपतियों का नहीं, गरीबों का है।
राहुल गांधी ने कहा कि नफरत डर का एक रूप है। जिसको डर होता है, उसी के दिल में नफरत पैदा होती है। हिंदुस्तान में डर बढ़ता जा रहा है। भविष्य का डर, महंगाई का डर, बेरोजगारी का डर बढ़ता जा रहा है। इसके कारण हिंदुस्तान में नफरत बढ़ती जा रही है।उन्होंने कहा कि नफरत से लोग बंटते हैं, देश बंटता है और कमजोर होता है। भाजपा और संघ के नेता देश को बांटते हैं भय पैदा करते हैं। लोगों को डराते हैं और नफरत पैदा करते हैं। सवाल उठता है कि किसके लिए करते हैं और क्यों करते हैं। इस नफरत का फायदा किसको मिल रहा है। इसका पूरा फायदा हिंदुस्तान के दो उद्योगपति उठा रहे हैं।
नोटबंदी से गरीबों की जेब से पैसा निकला, उद्योगपतियों का कर्ज माफ
मोदीजी ने नोटबंदी की। इससे गरीबों का फायदा हुआ? उन्होंने गरीबों की जेब से पैसा निकाला। गरीबों से कहा कि कालेधन के खिलाफ लड़ाई है। कुछ महीनों बाद आपने देखा कि आपकी जेब से निकाला गया लाखों करोड़ रुपए। देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों का कर्जा माफ किया गया। किसान का कर्जा माफ नहीं करेंगे। किसानों के खिलाफ काले कानून लाएंगे। कहेंगे कि ये कानून उनके फायदे के लिए हैं। अगर किसान के फायदे के लिए हैं तो हिंदुस्तान में किसान क्यों इसके खिलाफ है। किसानों ने नरेंद्र मोदीजी को अपनी शक्ति दिखा दी। मोदीजी को जब किसानों की शक्ति दिखी तो उन्होंने कानून रद्द कर दिया। यही बात जीएसटी के साथ हुई। कांग्रेस दूसरी जीएसटी लाना चाहती थी। भाजपा ने जीएसटी को बदला। पांच अलग-अलग टैक्स लगाकर जबरदस्त चोट छोटे दुकानदारों को दी।
विरोधियों को सरकार ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स से डराती है
रैली में राहुल बोले कि अभी किसी ने कहा कि मोदीजी प्रधानमंत्री हैं। लेकिन, उन दो उद्योगपतियों के बिना, मीडिया के समर्थन के बिना मोदीजी प्रधानमंत्री नहीं हो सकते हैं। मीडिया हो, प्रेस हो, इंस्टीटयूशन हों, सब पर सरकार दबाव डाल रही है। हमारी यात्रा की क्या जरूरत है, हमारे पास कोई और रास्ता नहीं है। हमें जनता के बीच जाना होगा। हमें उन्हें देश की सच्चाई बतानी होगी। जो भी मोदीजी के खिलाफ काम करना चाहता है, कोई भी हो, विपक्षी हो, एक्टिविस्ट हो, एनजीओ हो, उस पर ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स सब लगा दिए जाते हैं।
ईडी ने मुझे 55 घंटे बैठाया, 5 साल बैठाएं तो भी नहीं डरूंगा
रैली में राहुल ईडी की पूछताछ पर भी बोले। राहुल ने कहा कि 55 घंटे मुझे ईडी ने बैठाकर रखा। एक बात समझाना चाहता हूं मोदीजी को कि मैं आपकी ईडी से नहीं डरता, मुझे फर्क नहीं पड़ता। आप 55 घंटे करो, 500 घंटे करो या 5 साल करो, मुझे फर्क नहीं पड़ता। संविधान देश की आत्मा है और आज इसको बचाने का काम हर हिंदुस्तानी नागरिक को करना पड़ेगा। अगर हमने यह नहीं किया, आज नहीं खड़े हुए तो फिर यह देश नहीं बचेगा। ये देश संविधान है, ये जनता की आवाज है, ये देश जनता का भविष्य है।
यह देश उद्योगपतियों का नहीं, मजदूरों-गरीबों का है
राहुल ने कहा- ये देश दो उद्योगपतियों का नहीं, गरीब लोगों का है। आज दो हिंदुस्तान हैं। एक मजदूरों, गरीबों, किसानों और बेरोजगारों का है। जहां कोई सपना नहीं देखा जा सकता। उस देश में आपको खून-पसीना देने के बाद भी कोई फायदा नहीं मिलेगा। दूसरा देश है, जो 10-15 उद्योगपतियों, अरबपतियों का है। उसमें आप जो सपना देखना चाहते हो, देख सकते हो। आपको उस हिंदुस्तान में जो चाहते हो, मिल जाएगा। भाइयों-बहनों इन दो देशों के बीच लड़ाई है।
कांग्रेस में आना-जाना आसान, टिकना मुश्किलः अधीर रंजन
लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन ने कहा, 'आज महंगाई का ये हालत है कि बाजार में खरीदारी करने जाओ तो जेब के सारे पैसे खत्म हो जाते हैं, लेकिन थैला खाली रह जाता है।' उन्होंने हाल ही में पार्टी से अलग हुए गुलाम नबी आजाद पर भी तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस में आना बहुत आसान है, जाना और भी आसान है। लेकिन इसमें टिके रहना बहुत मुश्किल है। लोग दो कदम साथ चलते हैं, फिर रास्ते बदल लेते हैं।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पुलिस रामलीला मैदान लेकर गई
इससे पहले प्रदर्शन के लिए कांग्रेस मुख्यालय जा रहे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को पुलिस ने अकबर रोड से रामलीला मैदान पहुंचाया। पुलिस की गाड़ी में बैठते हुए सभी कार्यकर्ता वंदे-मातरम और हल्ला बोल के नारे लगाते रहे। प्रदर्शन से पहले राहुल ने ट्वीट कर पीएम मोदी पर हमला बोला है। उन्होंने लिखा- 'राजा मित्रों की कमाई में व्यस्त, प्रजा महंगाई से त्रस्त।'