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0 4 दिन अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा शव

लंदन। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ II का गुरुवार देर रात निधन हो गया। उन्होंने 6 फरवरी 1952 में ब्रिटेन का शासन संभाला था। ब्रिटेन में 12 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। वहीं भारत में भी एक दिन का शोक घोषित किया है। उनका शव 4 दिन अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। महारानी के पार्थिक शरीर को उनके पति के साथ वेस्टमिंस्टर ऐबे में दफनाया जाएगा। 

8 सितंबर को उनके निधन के बाद प्रोटोकॉल के मुताबिक अंतिम संस्कार की तैयारियां की जा रही हैं। क्वीन एलिजाबेथ का अंतिम संस्कार शाही परंपरा के मुताबिक, 10वें दिन यानी 19 सितंबर को किया जाएगा। अंतिम संस्कार से जुड़ी परंपराएं 12 दिन तक चलेंगी। भारत सरकार ने भी क्वीन के निधन पर एक दिन 11 सितंबर को शोक की घोषणा की है। स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कैसल से उनका पार्थिव शरीर लंदन लाया जाएगा। यहां वेस्टमिंस्टर ऐबे में उनका अंतिम संस्कार होगा। महारानी को पति प्रिंस फिलिप के बाजू में दफनाया जाएगा।

स्कॉटलैंड से लंदन तक महारानी की अंतिम यात्रा
क्वीन एलिजाबेथ का पार्थिव शरीर स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कैसल से लंदन के बकिंघम पैलेस पहुंचेगा। वहां से इसे वेस्टमिंस्टर हॉल लाया जाएगा। इस दौरान मिलिट्री परेड होगी। शाही परिवार के सदस्य भी इस सफर में शामिल रहेंगे।

प्रिंस चार्ल्स बने ब्रिटेन के नए किंग, 24 घंटे के भीतर सौंपा जाएगा ताज
एलिजाबेथ-II के निधन के बाद उनके बेटे प्रिंस चार्ल्स नए किंग बन गए हैं। अब उन्हें किंग चार्ल्स-III के नाम से जाना जाएगा। महारानी के निधन के 24 घंटों के भीतर लंदन स्थित सेंट जेम्स पैलेस में एक सेरेमोनियल बॉडी के बीच चार्ल्स को आधिकारिक तौर पर राजा घोषित किया जाएगा। 

पहले ही हो गई थी ‘डी डे’ की प्लानिंग
महारानी के निधन के दिन यानी ‘डी डे’ की पूरी प्लानिंग पहले ही हो गई थी। साल 2021 में कुछ डॉक्यूमेंट्स लीक हुए थे, जिसमें अंतिम संस्कार की तैयारियों का सीक्रेट प्लान था। 'ऑपरेशन लंदन ब्रिज' के मुताबिक ही तैयारियां हो रही हैं। प्लानिंग के मुताबिक, रॉयल परिवार की वेबसाइट का पेज ब्लैक कर दिया गया। महारानी के निधन के बाद 10 मिनट के भीतर वॉइटहॉल के झंडे आधे झुकाने का जिक्र इस ऑपरेशन में किया गया था। ऑपरेशन स्प्रिंग टाइड में प्रिंस चार्ल्स की ताजपोशी का जिक्र था।

रॉयल स्टैंडर्ड में लपेटा जाएगा महारानी का ताबूत
महारानी एलिजाबेथ के पार्थिव शरीर को ताबूत में रखकर ऐबे में लाया जाएगा। इस ताबूत को रॉयल स्टैंडर्ड- एक तरह के शाही कपड़े में लपेटकर वेस्टमिंस्टर हॉल लाया जाएगा। वहां पहुंचने के बाद ताबूत पर इंपीरियल स्टेट क्राउन रखा जाएगा। राजशाही का प्रतीक ऑर्ब और स्कैप्टर भी रखे जाएंगे।

नोटों और सिक्कों से हटाई जा सकती है एलिजाबेथ की फोटो; राष्ट्रगान में भी बदलाव की संभावना
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद अब कई शाही प्रतीक बदले जा सकते हैं। फ्लैग, नोट, सिक्के में अभी तक महारानी की अलग-अलग तस्वीर होती थी। अब इसे हटाकर नए किंग बने प्रिंस चार्ल्स की फोटो लगाए जाने की उम्मीद है।

15 देशों की महारानी थीं एलिजाबेथ-II 
सबसे लंबे वक्त तक शासन करने वाली ब्रिटिश महारानी क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय नहीं रहीं। वो सिर्फ ब्रिटेन ही नहीं, 14 अन्य आजाद देशों की भी महारानी थीं। ये सभी देश कभी न कभी ब्रिटिश हुकूमत के अधीन रहे थे। ये देश 15 देश ब्रिटेन (यूके), आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, जमैका, एंटीगुआ और बरबुडा, सेंट किट्स, पपुआ न्यू गिनी, बेलीज, सेंट लुसिया, सेंट विंसेंट एंड ग्रेनाडाइंस, बहामास, ग्रेनेडा, तुवालु व सोलोमन द्वीप समूह शामिल हैं। 

3 बार भारत आईं एलिजाबेथ-II, रिपब्लिक डे पर शाही मेहमान बनीं
एलिजाबेथ-II तीन बार भारत आईं। 1961, 1983 और 1997 में वो भारत की शाही मेहमान बनी थीं। 1961 में भारत के गणतंत्र दिवस की परेड में भी शामिल हुई थीं। उनके साथ प्रिंस फिलिप भी थे। 

तस्वीर 26 जनवरी 1961 की है। महारानी एलिजाबेथ-II और तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति भवन में घूमते हुए। उनके पीछे प्रिंस फिलिप भी नजर आ रहे हैं।

अपने पहले भारत दौरे पर आईं एलिजाबेथ-II काशी भी पहुंची थीं। उन्होंने काशी नरेश विभूति नारायण सिंह के साथ शाही हाथी की सवारी की थी।

1961 में एलिजाबेथ-II 6 हफ्ते के दौरे पर भारत आई थीं। इस दौरान उन्होंने ताजमहल का भी दीदार किया था। साथ में उनके पति प्रिंस फिलिप भी थे।

ब्रिटिश महारानी 1983 में कॉमनवेल्थ देशों की बैठक में हिस्सा लेने भारत के दौरे पर आई थीं। इस दौरान उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भी मुलाकात की थी।

7 नवंबर 1983 को ब्रिटेन के इस शाही जोड़े के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह की मेजबानी करते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह।

ब्रिटेन की महारानी भारत की आजादी के 50 साल पूरे होने पर 1997 में आखिरी बार भारत आई थीं। इस दौरान क्वीन को राष्ट्रपति भवन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया था।

1997 में क्वीन एलिजाबेथ-II अमृतसर पहुंची थीं। वहां उन्होंने सिखों के सबसे पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर में माथा टेका था।

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