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नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने आत्मनिर्भर भारत एवं मेक इन इंडिया के तहत आयात से निजात पाने के लिए देश में फोर्ज्ड रेल व्हील और हाईडेन्सिटी पटरियां बनाने का एक युगान्तकारी फैसला किया है। इसी कड़ी में आज फोर्ज्ड रेल व्हील विनिर्माण के लिए निविदा जारी की।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यहां रेल भवन में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पंच प्रण से प्रेरणा लेकर रेलवे ने कुछ बड़ा सोचने एवं बड़ा करने का निर्णय लिया और 15-20 दिन के विचार मंथन के बाद फैसला किया कि देश में एलएचबी कोचों, आधुनिक इंजनों एवं वंदेभारत गाड़ियों में लगने वाले फोर्ज्ड व्हील तथा उन्नत ट्रैक के लिए हाईडेन्सिटी पटरियों के लिए आयात पर निर्भरता को पूरी तरह से समाप्त करके भारत को इन दाेनों चीज़ों के निर्यातक के रूप में स्थापित किया जाएगा।

गौरतलब है कि इस समय तक यूक्रेन, जर्मनी, चेक गणराज्य से फोर्ज्ड व्हील का आयात किया जाता था। वंदे भारत के तीसरे संस्करण के विकास के दौरान यूक्रेन में युद्ध छिड़ जाने से फोर्ज्ड रेल व्हील को रोमानिया के रास्ते वायुसेना के विमानों से हवाई मार्ग से लाना पड़ा था। आपात स्थिति में वंदेभारत के लिए चीन से फोर्ज्ड रेल व्हील खरीदने पड़े थे।

श्री वैष्णव ने कहा कि फोर्ज्ड व्हील के लिए भारत में कच्चा माल एवं तकनीक दोनों ही उपलब्ध है। इस समय देश में आधुनिक हाईस्पीड इंजनों, एलएचबी कोचों एवं वंदे भारत गाड़ियों के लिए फोर्ज्ड व्हील की मांग करीब दो लाख प्रतिवर्ष तक पहुंचने की संभावना है। इस समय भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) रेलवे को करीब 80 हजार फोर्ज्ड व्हील की आपूर्ति करता है। इसलिए बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए निर्माण क्षमता में विस्तार करने की जरूरत महसूस की गयी।

पत्रकारों के सवालों के जवाब में रेल मंत्री ने कहा कि निविदा फिलहाल एक कारखाने के लिए डाली गयी है। इसमें सेल, रेल पहिया कारखाना, आरआईएनएल जैसे सार्वजनिक उपक्रम भी भाग ले सकेंगे। इसके लिए रेलवे सालाना कम से कम 80 हजार पहियों की खरीद के लिए 600 करोड़ रुपए के ऑर्डर की गारंटी देगी। इससे अधिक फोर्ज्ड रेल व्हील को कंपनी विदेशों में निर्यात करेगी। उन्होंने कहा कि निर्यात के लिए यूरोप के उन देशों को लक्षित किया जाएगा जहां से हम आयात किया करते थे क्योंकि यूरोप में ऊर्जा संकट के कारण फोर्ज्ड रेल व्हील विनिर्माण प्रभावित हुआ है।

श्री वैष्णव ने कहा कि डेढ़ माह में फोर्ज्ड व्हील की निविदा की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कारखाने की स्थापना का काम शुरू होगा और 18 माह के भीतर उत्पादन भी शुरू करने का लक्ष्य है। उन्होंने यह भी कहा कि 20 से 25 दिन बाद मेक इन इंडिया ट्रैक एग्रीमेंट निविदा जारी की जाएगी जो हाईडेन्सिटी पटरियों के निर्माण के लिए होगी। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में मालपरिवहन कॉरीडोर, हाईस्पीड कॉरीडोर, ग्रांड ट्रंक एवं ग्रांड कोर्ड लाइनों पर ये नये प्रकार की पटरियां बिछायीं जाएंगी।

उन्होंने कहा कि फोर्ज्ड व्हील और हाईडेन्सिटी पटरियों के लिए इस्पात से भारी मशीनों के द्वारा अशुद्धता दूर की जाती है और सघनता बढ़ायी जाती है। फोर्ज्ड व्हील 120 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक की गति पर चलने के लिए जरूरी होते हैं। उन्होंने बताया कि इन दोनों क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के बाद भारतीय रेलवे आयात मुक्त एवं पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएगी।