गढ़चिरौली। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के नक्सल प्रभावित मूलचेरा गांव के लोग देशभक्ति की अलख जगा रहे हैं। इस क्षेत्र के लोग नक्सल प्रभावित गांव के रूप में अपनी पहचान मिटाने के लिए राष्ट्रगान के साथ अपने दिन की शुरुआत करते हैं। गांव के लोग 15 अगस्त के दिन से रोज सवेरे उठकर पहले राष्ट्रगान गाते हैं, फिर कोई काम करते हैं। गांव वासियों के इस पहल को खूब सराहा जा रहा है। गढ़चिरौली के पुलिस अधीक्षक अंकित गोयल ने कहा कि यह एक अच्छी पहल है। ग्रामीणों को राष्ट्रगान गाकर हर रोज सामूहिक देशभक्ति की भावना का अनुभव होता है।
मुंबई से 900 किमी दूर बसा है यह गांव
बता दें कि मूलचेरा गांव महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से करीब 900 किलोमीटर दूर बसा है। इस गांव में लगभग 2500 की आबादी है, जिसमें आदिवासी समुदाय और पश्चिम बंगाल के लोग रहते हैं। हालांकि इस तरह के अभियान पहले भी दो गांवों में देखा जा चुका है। इससे पहले तेलंगाना के नलगोंडा गांव और महाराष्ट्र के सांगली जिले के भीलवाड़ी गांव से भी ऐसी ही खूबसूरत तस्वीर सामने आई थी। यह देश का तीसरा और महाराष्ट्र का दूसरा गांव है, जो इस पहल को शुरू किया है।
गांव के लोग रोज गाते हैं राष्ट्रगान
जानकारी के मुताबिक प्रत्येक दिन गांव के लोग, दुकानदार, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के मालिक, छोटे व्यापारी और पुलिसकर्मी सुबह 8:45 बजे इकट्ठा होते हैं और राष्ट्रगान गाते हैं। इस दौरान, पास से गुजरने वाले सभी वाहन रुक जाते हैं और वाहन चालक इसमें शामिल होते हैं। जब राष्ट्रगान शुरू होता है तो गांव में चलने वाली राज्य परिवहन की दो बसें भी रुकती है और उसके कर्मचारी और यात्री इस शानदार पहल में शामिल हो जाते हैं। इस अभियान से प्रेरित होकर पड़ोसी गांव विवेकानंदपुर ने भी राष्ट्रगान की पहल शुरू की है।
कैसे बना नक्सल प्रभावित क्षेत्र
सहायक पुलिस निरीक्षक अशोक भापकर ने कहा कि मुलचेरा के पड़ोसी गांव लोहारा में पहली बार पुलिस और नक्सलियों के बीच पहली बार मुठभेड़ हुई थी, जहां राष्ट्रगान गाने की पहल शुरू हुई है। उन्होंने कहा कि संदिग्ध नक्सली कमांडर संतोष अन्ना और एक बच्चा 1992 में गांव में मुठभेड़ के दौरान मारे गए थे। इसके बाद से इस क्षेत्र को नक्सल प्रभावित के रूप में चिह्नित किया गया। मुलचेरा की एक संदिग्ध नक्सली महिला ने हाल ही में अपने पुरुष सहयोगी के साथ पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था।