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0 कल दिल्ली में सुबह 9:30 बजे अंतिम संस्कार

नई दिल्ली। जाने माने कॉमेडियन गजोधर भैया यानी राजू श्रीवास्तव (58 वर्ष) अपनी जिंदगी के मंच से उतर गए। राजू श्रीवास्तव को हार्ट अटैक आने बाद 42 दिन से उनका इलाज चल रहा था। आखिरकार बुधवार सुबह 10 बजे के करीब दिल्ली एम्स में उनका निधन हो गया। राजू श्रीवास्तव के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त किया है।  

दिल्ली में ही 10 अगस्त को एक्सरसाइज करते उन्हें हार्ट अटैक आया था। उसके बाद से ही एम्स में भर्ती थे। इलाज में पता चला था कि दिल के एक हिस्से में 100% ब्लॉकेज है। पिछले 42 दिनों में कई बार बेहतर होती सेहत की खबरें आती रहीं। लेकिन आखिरकार आखिरी खबर आई… राजू चला गया, ये कहते हुए कि जिंदगी में ऐसा काम करो कि यमराज भी आएं तो कहें कि भैंसे पर आप बैठिए, मैं पैदल चलूंगा.. आप नेक आदमी हैं। …ये राजू की ही कही बाते हैं।

राजू कानपुर के रहने वाले थे। 25 दिसंबर 1963 को जन्मे, नाम रखा गया सत्य प्रकाश श्रीवास्तव। पिता रमेश चंद्र श्रीवास्तव सरकारी कर्मचारी थे और शौकिया तौर पर कविताएं लिखते। छुट्टियों में पिता कवि सम्मेलनों में जाते। वहां बलाई काका नाम से पहचाने जाते। तो राजू का ये हुनर विरासती था। 1993 में राजू की शादी हुई। पत्नी शिखा, दो बच्चे अंतरा और आयुष्मान हैं। राजू की एक बहन और 5 भाई हैं।

40 साल पहले मुंबई अमिताभ बनने आया था
सपना हीरो बनने का था और उसका पीछा करते राजू 1982 में मुंबई आ गए। लेकिन जिंदगी तो जिंदगी है। पहला काम ऑटो ड्राइवर का मिला। लेकिन अपना काम वहां भी जारी रखा। अपने चुटकुलों से सवारियों को हंसाते और मंजिल पर पहुंचाते। ऐसे ही एक दिन एक सवारी ने पहला स्टेज परफॉर्मेंस दिला दिया। पैसे मिले 50 रुपए। फिर तो ऐसा बारहा होने लगा। राजू ज्यादातर समय अमिताभ की नकल करते और उन्हीं की तरह दिखने की कोशिश भी होती। यही पहचान बनती गई। फिल्म में मौका मिला 1988 में आकर, तेजाब से। हीरो अनिल कपूर थे। जॉनी लीवर के साथ राजू भी दिखे।

दूरदर्शन पर 1994 के शो टी टाइम मनोरंजन में मौका मिला। इसके बाद ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज राजू ने तीसरा स्थान हासिल किया। यहां से पहचान बढ़नी शुरू हुई। फिर कॉमेडी का महा मुकाबला, कॉमेडी सर्कस, देख भाई देख, लाफ इंडिया लाफ, कॉमेडी नाइट विद कपिल, द कपिल शर्मा शो और गैंग्स ऑफ हंसीपुर जैसे शो करते चले गए।

गजोधर के किरदार ने दी शोहरत
गांव में एक नाई थे गजोधर। उनके सीने पर गिटार बना था। कहते थे कि खुजली करने पर बजता है। यही किरदार राजू ने अपनाया। घर पर मेहमानों की और स्कूल में टीचरों की मिमिक्री। कोई शैतान और बदतमीज कहता, तो कोई शाबाशी देता।

17 फिल्मों में काम किया, आखिरी फिल्म थी फिरंगी
राजू ने 17 फिल्मों में काम किया। शुरुआत तेजाब से हुई। वो दौर टिपिकल हीरो वाली फिल्मों का था, जिसमें लीड हीरो को देखने के लिए ही लोग टॉकीज जाते थे। लेकिन इसी दरमियान एक नॉर्मल से चेहरे ने लोगों को अपनी ओर खींचा। नाम राजू। उनकी आखिरी फिल्म फिरंगी थी।

पीएम मोदी, राजनाथ ने शोक व्यक्त किया
राजू श्रीवास्तव के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि राजू श्रीवास्तव ने हंसी, हास्य और सकारात्मकता के साथ हमारे जीवन को रोशन किया। वह हमें बहुत जल्द छोड़कर चले गए, लेकिन वह सालों तक अपने समृद्ध काम की बदौलत अनगिनत लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे। उनका निधन बेहद दुखद है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी गहरी संवेदना हैं।'

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वे एक मंझे हुए कलाकार होने के साथ-साथ एक बेहद जिंदादिल इंसान भी थे। सामाजिक क्षेत्र में भी वे काफी सक्रिय रहते थे। उनके शोकाकुल परिवार एवं प्रशंसकों के प्रति मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।
 
कला जगत के लिए है बड़ी क्षति: अमित शाह
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राजू श्रीवास्तव के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, 'सुप्रसिद्ध हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव जी का एक विशिष्ट अंदाज था, उन्होंने अपनी अद्भुत प्रतिभा से सभी को प्रभावित किया। उनका निधन कला जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। मैं उनके परिजनों व प्रशंसकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर उन्हें यह दुःख सहने की शक्ति दें। 

अखिलेेश ने भी शोक जताया
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राजू श्रीवास्तव के निधन पर शोक व्यक्त किया है। इस दुख की घड़ी पर अखिलेश यादव ने राजू श्रीवास्तव के परिवार वालों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है।

कुमार विश्वास ने राजू श्रीवास्तव को कुछ इस तरह किया याद
कवि कुमार विश्वास ने राजू श्रीवास्तव के निधन पर दुख जताते हुए ट्वीट किया, 'राजू भाई ने आखिर ईश्वर के लोक की उदासी से लड़ने के लिए सांसारिक यात्रा से विराम ले ही लिया। उनके संघर्ष के दिनों से लेकर यश के शिखर तक की यात्रा के सैकड़ों संस्मरण आंखों के आगे तैर रहे हैं। उदास लोगों को मुस्कुराहट की ईश्वरीय सौगात देने वाले सिकंदर को अंतिम प्रणाम भाई।'

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