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0 कांग्रेस सांसद बोले- आरएसएस भी बैन हो

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार सुबह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, यानी पीएफआई को 5 साल के लिए बैन कर दिया। पीएफआई के अलावा 8 और संगठनों पर कार्रवाई की गई है। गृह मंत्रालय ने इन संगठनों को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। इन सभी के खिलाफ टेरर लिंक के सबूत मिले हैं। केंद्र सरकार ने यह एक्शन (अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट) यूएपीए के तहत लिया है। सरकार ने कहा कि पीएफआई और उससे जुड़े संगठनों की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं।

सरकार के कदम पर केंद्रीय पंचायती राज मंत्री गिरिराज ने सिंह ने ट्वीट किया- बाय-बाय पीएफआई। इसके बाद केरल के कांग्रेस सांसद के सुरेश ने कहा कि आरएसएस पर भी पीएफआई की तरह बैन लगना चाहिए, क्योंकि दोनों संगठनों का काम तो एक जैसा है।

पीएफआई जुड़े इन संगठनों पर भी प्रतिबंध
1. रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF)
2. कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI)
3. ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC)
4. नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO)
5. नेशनल विमेन्स फ्रंट
6. जूनियर फ्रंट
7. एम्पावर इंडिया फाउंडेशन
8. रिहैब फाउंडेशन

बंद होंगी पीएफआई के सभी वेबसाइट और सोशल मीडिया अकाउंट्स
कथित रूप से आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के चलते ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) व उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है। इस कड़े प्रतिबंध के बाद सरकार अब पीएफआई व इससे जुड़े अन्य संगठनों पर डिजिटल स्ट्राइक कर रही है। मामले से परिचित लोगों ने कहा कि केंद्र ने इन संगठनों की वेबसाइटों और सोशल मीडिया अकाउंट को ब्लॉक करने के लिए एक "टेकडाउन" ऑर्डर जारी किया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि पीएफआई जैसे संगठन अपनी गतिविधियों का प्रचार न कर सकें। 

सरकारी आदेश के तहत पीएफआई की आधिकारिक वेबसाइट, इसके ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम अकाउंट, यूट्यूब चैनल और अन्य सभी ऑनलाइन उपस्थिति को भी ब्लॉक किया जा रहा है। पीएफआई के अलावा, रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), अखिल भारतीय इमाम परिषद ( एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वीमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन (केरल) के भी सोशल मीडिया अकाउंट्स को स्थायी रूप से ब्लॉक किया जा रहा है और उनके द्वारा पोस्ट की गई सामग्री को हटाया जा रहा है।

खबर लिखे जाने तक, PFI, RIF, AIIC वेबसाइटों को पहले ही ब्लॉक कर दिया गया है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अन्य केंद्रीय एजेंसियों के आदेश के बाद दूरसंचार विभाग मामले में तेजी से एक्शन ले रहा है। मामले से परिचित व्यक्ति ने कहा कि फेसबुक और ट्विटर सहित सोशल मीडिया कंपनियों को इन संगठनों के खातों या पीएफआई से संबंधित किसी भी सामग्री को हटाने के लिए लेटर भेजे जा रहे हैं। 

एक "गैरकानूनी संगठन" के रूप में, पीएफआई अब किसी भी आधिकारिक चैनल के माध्यम से कोई प्रेस बयान जारी नहीं कर पाएगा। इसके अलावा, मामले से परिचित एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि पीएफआई, सीएफआई, आरआईएफ और अन्य सहयोगियों से जुड़े आधिकारिक व्हाट्सएप अकाउंट की भी निगरानी की जाएगी और किसी भी राष्ट्र विरोधी गतिविधि पर मुकदमा चलाया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि अगर पीएफआई या उसके किसी सहयोगी ने अपनी गतिविधियों के लिए कोई प्रॉक्सी सोशल मीडिया अकाउंट या वेबसाइट खोली है, तो उन्हें भी ब्लॉक किया जा सकता है।

2 दिन में 278 व 356 गिरफ्तारियां हुईं
एनआईए, ईडी और राज्यों की पुलिस ने 22 और 27 सितंबर को पीएफआई और उससे जुड़े संगठनों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी। 2 दिन के भीतर 278 गिरफ्तारियां हुईं। जांच एजेंसियों को पीएफआई के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले। इसके बाद यह कार्रवाई की गई।​​​​

16 साल पहले बना, 23 राज्यों में फैला
साल 2006 में मनिथा नीति पसाराई (एमएनपी) और नेशनल डेवलपमेंट फंड (एनडीएफ) नामक संगठन ने मिलकर पॉपुलर फ्रंट इंडिया (पीएफआई) का गठन किया था। ये संगठन शुरुआत में दक्षिण भारत के राज्यों में ही सक्रिय था, लेकिन अब यूपी-बिहार समेत 23 राज्यों में फैल चुका है।

2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का लक्ष्य
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) एक ऐसा संगठन जिस पर बीते सालों में आतंक की कई घटनाओं में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं। इस दौरान इसके कई कार्यकर्ता पकड़े गए। इनसे कई दस्तावेज मिले। इसमें लिखा था, 2047 में जब देश आजादी के 100 साल मना रहा होगा, तब तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना है। 10% मुस्लिम भी साथ दें, तो कायरों को घुटनों पर ला देंगे।

पीएफआई के सोशल वर्क के नाम पर आतंकवाद, टेरर फंडिंग जैसे सीक्रेट एजेंडा  
1. बैन लगाने का बेस और आरोप
केंद्र सरकार यूएपीए के तहत पीएफआई और उससे जुड़े 8 संगठनों पर 5 साल का प्रतिबंध लगा रही है। ये कदम एजेंसियों की जांच के बाद उठाया जा रहा है। पीएफआई और इससे जुड़े संगठन देश में आतंकवाद का समर्थन कर रहे हैं।

2. पीएफआई से खतरा
पीएफआई और इससे जुड़े संगठन गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। ये गतिविधियां देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इनकी गतिविधियां भी देश की शांति और धार्मिक सद्भाव के लिए खतरा बन सकती हैं। ये संगठन चुपके-चुपके देश के एक तबके में यह भावना जगा रहा था कि देश में असुरक्षा है और इसके जरिए वो कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहा था।

3. पीएफआई का सीक्रेट एजेंडा
क्रिमिनल और टेरर केसेस से जाहिर है कि इस संगठन ने देश की संवैधानिक शक्ति के प्रति असम्मान दिखाया है। बाहर से मिल रही फंडिंग और वैचारिक समर्थन के चलते यह देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है। पीएफआई खुले तौर पर तो सोशियो-इकोनॉमिक, एजुकेशनल और पॉलिटिकल ऑर्गनाइजेशन है पर ये समाज के खास वर्ग को कट्टरपंथी बनाने के अपने सीक्रेट एजेंडा पर काम कर रहा है। ये देश के लोकतंत्र को दरकिनार कर रहा है। ये संवैधानिक ढांचे का सम्मान नहीं कर रहा है।

4. पीएफआई की मजबूती की वजह
पीएफआई ने अपने सहयोगी और फ्रंट बनाए। इसका मकसद समाज में युवाओं, छात्रों, महिलाओं, इमामों, वकीलों और कमजोर वर्गों के बीच पैठ बढ़ाना था। इस पैठ बढ़ाने के पीछे पीएफआई का एकमात्र लक्ष्य अपनी मेंबरशिप, प्रभाव और फंड जुटाने की क्षमता को बढ़ाना था। इन संगठनों की बड़े पैमाने पर पहुंच और फंड जुटाने की क्षमता का इस्तेमाल पीएफआई ने अपनी गैरकानूनी गतिविधियां बढ़ाने में किया। यही सहयोगी संगठन और फ्रंट्स पीएफआई की जड़ों को मजबूत करते रहे।

5. पीएफआई की फंडिंग और उस पर एक्शन
बैंकिंग चैनल्स, हवाला और डोनेशन आदि के जरिए पीएफआई और इससे जुड़े संगठनों के लोगों ने भारत और विदेशों से फंड इकट्ठा किया। यह उनके सुनियोजित आपराधिक षडयंत्र का ही एक हिस्सा था। इस फंड के छोटे-छोटे हिस्सों को कई एकाउंट्स में ट्रांसफर किया गया और ऐसा दिखलाया गया कि यह लीगल फंड है। लेकिन, इसका इस्तेमाल आपराधिक, गैरकानूनी और आतंकवादी गतिविधियों में किया गया। पीएफआई की ओर से जिन जरियों से बैंक अकाउंट्स में पैसा ट्रांसफर किया गया, वह अकाउंट होल्डर के प्रोफाइल से भी मैच नहीं करता। इस फंड के जरिए पीएफआई जिन गतिविधियों को अंजाम देने का दावा करता है, वह भी नहीं किया गया। इसके बाद इनकम टैक्स ने पीएफआई और रेहाब इंडिया फाउंडेशन का रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात सरकार ने भी पीएफआई को बैन करने की सिफारिश की थी।

6. पीएफआई का इंटरनेशनल कनेक्शन
कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें सबूत मिला है कि पीएफआई के मेंबर्स के संबंध ग्लोबल टेररिस्ट ग्रुप्स से हैं। संगठन के मेंबर्स ने ईराक, सीरिया और अफगानिस्तान में आईएसआईएस ज्वाइन किया। कई मुठभेड़ों में मारे गए। कई मेंबर्स की गिरफ्तारी हुई। देश में भी राज्यों की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने मेंबर्स को अरेस्ट किया। पीएफआई के कुछ फाउंडिंग मेंबर्स सिमी के लीडर्स थे। इसके संबंध जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश से थे। ये दोनों प्रतिबंधित संगठन हैं।

7. पीएफआई की क्रिमिनल और टेरर एक्टिविटी
कई केसों की जांच में सामने आा है कि पीएफआई और इसके काडर बार-बार हिंसक और विनाशकारी गतिविधियों को दोहराते रहे। पीएफआई द्वारा किए गए अपराधों में प्रोफेसर का हाथ काटना, दूसरे धर्मों को मानने वाले लोगों की हत्याएं, बड़ी हस्तियों और जगहों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटक जुटाना और पब्लिक प्रॉपर्टी का नुकसान करना शामिल हैं। संजीत (2012 केरल), वी रामलिंगम (2019 तमिलनाडु), नंदू (2021 केरल), अभिमन्यु (2018 केरल), बिबिन (2017 केरल), शरथ (2017 कर्नाटक), आर रुद्रेश (2016 कर्नाटक), प्रवीण पुयारी (2016 कर्नाटक), शशि कुमार (2016 तमिलनाडु) और प्रवीण नेट्टारू (2022 कर्नाटक) पीएफआई इन सभी के मर्डर में शामिल रहा।

भारत सरकार ने PFI पर एक्शन का जो नोटिफिकेशन जारी किया है, उसमें इस बात का जिक्र है कि संगठन ने फंडिंग का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों में किया है।

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