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भोपाल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज कहा कि महिलाओं के स्वसहायता समूह पूरे देश को सशक्त बना रहे हैं, महिलाओं में पंचायत से लेकर 'पार्लियामेंट' तक पहुंचने की शक्ति है, ऐसे में उन्हें मौका देना हमारा कर्त्तव्य है।

श्रीमती मुर्मू यहां महिला स्वसहायता समूह सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं। मध्यप्रदेश पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के इस आयोजन में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, राज्य सरकार के मंत्री भूपेंद्र सिंह, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रेम सिंह पटेल, सांसद प्रज्ञा ठाकुर और भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा भी उपस्थित थे।

अपने करीब 20 मिनट के संबोधन में श्रीमती मुर्मू ने देश के विकास में महिलाओं के सशक्त योगदान को लगातार रेखांकित किया। उन्होंने स्वसहायता समूहों की महिलाओं से कहा कि वे अपने कार्यों को छोटा नहीं समझें। उन्होंने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि वे वार्ड पार्षद थी। उस दौरान उन्हें स्वच्छता से जुड़े कार्य सौंपे गए, लेकिन उन्होंने कभी अपने कार्य को लेकर शिकायत नहीं की और न ही उसे छोटा समझा। लगातार लगन से सिर्फ काम किया। उन्होंने कहा कि वे बतौर राष्ट्रपति कई स्थानों पर जा रही हैं, लेकिन इस सम्मेलन में उन्हें अन्य स्थानों से अलग अनुभव महसूस हुआ।

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि मध्यप्रदेश में लाखों महिला स्वसहायता समूह हैं, जो पूरे समाज और देश को सशक्त बना रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में करीब 17 हजार से अधिक महिलाएं पंचायतों में चुनी गई हैं। महिलाओं में पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक जाने की शक्ति है, उन्हें मौका देना हमारा कर्त्तव्य है।
उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति, पुराणों में भी माताओं को प्राथमिकता और सम्मान दिया गया है। माता का स्थान पिता और आचार्य से भी ऊपर कहा गया है। जब ईश्वर ने महिलाओं और पुरुषों में भेदभाव नहीं किया, तो फिर हम क्यों करें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मानते थे कि बेटा और बेटी दोनों ही राष्ट्र की संतान हैं, दोनों को आगे बढ़ाने से ही देश का विकास होगा।

श्रीमती मुर्मू ने कहा कि महिलाओं का सम्मान करना हमारा राष्ट्रीय कर्त्तव्य है। हमें ऐसा वातावरण बनाना होगा, जिसमें महिलाएं निर्भीक और स्वतंत्र महसूस कर सकें। महिलाओं के सहयोग से ही भारत निकट भविष्य में एक मजबूत शक्ति के रूप में उभरेगा।

प्रेसिडेंट महिला सशक्तिकरण का प्रतीकः सीएम चौहान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारे अनुरोध पर हमारे बीच पधारीं राष्ट्रपति महिला सशक्तिकरण का प्रतीक हैं। वे सहज हैं, सरल हैं, धैर्य और गंभीरता की मूर्ति हैं। उनका व्यक्तित्व सागर से ज्यादा गहरा है, हिमालय से ज्यादा ऊंचा है। नारी सबला है, ये राष्ट्रपति ने सिद्ध किया है। कोई भी बहन कमजोर नहीं, अगर वो ठान ले तो हिम्मत से आगे बढ़कर दुनिया में चमत्कार कर सकती है।

प्रेसिडेंट ने जनजातीय संग्रहालय भी देखा
भोपाल के स्मार्ट सिटी पार्क में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पौधरोपण किया। सुबह 9 बजे प्रेसिडेंट जनजातीय संग्रहालय पहुंचीं। राज्यपाल मंगू भाई पटेल और सीएम शिवराजभी साथ थे। संग्रहालय में जनजातीय कलाकृतियों, पेंटिंग्स और अलग-अलग आदिवासी समुदाय की जीवनशैली से जुड़ी संरचनाओं को देखा। पद्मश्री भूरी बाई ने यहां राष्ट्रपति का स्वागत किया।

प्रेसिडेंट को सुनाई सक्सेस स्टोरी 
भोपाल में यह कार्यक्रम मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत हुआ। प्रदेशभर से 15 हजार समूह की सदस्य महिलाएं शामिल हुईं। गुना जिले से आईं सहयोग संकुल स्तरीय संगठन (स्व-सहायता समूह) अध्यक्ष की अनीता ने अपनी सक्सेस स्टोरी बताई। 
मैं ग्राम भरतपुर जिला गुना से हूं। सहयोग सामुदायिक संगठन है। आजीविका मिशन से जुड़ने से पहले मैं और मेरे पति मजदूरी करते थे। आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद सबसे पहले मैंने लोन लेकर भैंस खरीदी। दूध बेचकर लोन चुकाया। इसके बाद फिर लोन लेकर आटा चक्की लगाई। मेरे गांव के लोगों को गेहूं पिसवाने बाहर गांव जाना पड़ता था। ये लोन भी चुकाया। तीसरा लोन लेकर पति को ट्रैक्टर दिलाया। मैंने अपने पति को रोजगार से लगाया। मैं जब मजदूरी करने जाती थी, तो बच्चों को साथ ले जाती थी, आज बच्चे पढ़ रहे हैं। आज में 50 हजार रुपए महीना कमा रही हूं।

दूसरी कहानी
शहडोल की निर्भया संकुल स्तरीय संगठन की अध्यक्ष फूलवति सिंह ने कहा, मेरा नाम फूलवति सिंह गौड़ है। समूह का नाम कावेरी स्व सहायता है। गोहपारू (शहडोल) की रहने वाली हूं। मेरे संगठन में 35 गांव आते हैं, 35 ग्राम संगठन भी बने हैं। मैं इन 35 ग्राम संगठनों में अध्यक्ष के नाते हर महीने जाती हूं। हमारे समूह की दीदियां समूह से जुड़कर सक्षम हो चुकी हैं। 5900 दीदी मेरे साथ हैं, मैं उनके साथ हूं। हम जो ठान लेते हैं कर दिखाते हैं। दीदियों ने निर्णय लेकर मुझे जिला पंचायत चुनाव लड़ाया। मेरे पास पैसे नहीं थे, सभी दीदियों ने ही मेरा प्रचार-प्रसार किया। हम गांव-गांव पैदल घूंमीं। मैं जिला पंचायत उपाध्यक्ष का चुनाव भारी मतों से जीती।