नई दिल्ली। राज्यसभा में बुधवार को विपक्षी सदस्यों ने दिल्ली में कानून व्यवस्था की स्थिति, और उत्तर प्रदेश के संभल और मणिपुर में हिंसा तथा अडानी समूह की कथित अनियमिताओं की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की मांग को लेकर शोरशराबा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई और शून्यकाल बाधित हुआ।
सभापति जगदीप धनखड़ ने पहले स्थगन के बाद 11 बजकर 30 मिनट पर जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू की तो विपक्ष के सदस्य शोर शराबा करने लगे। श्री धनखड़ ने सदस्यों से शांत होने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करना चाहिए।
इस बीच कांग्रेस के जयराम रमेश और प्रमोद तिवारी ने बोलने का प्रयास किया तो सभापति ने कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं लेने के निर्देश दिए। द्रविड़ मुनेत्र कषगम के तिरुचि शिवा व्यवस्था का प्रश्न उठाने की अनुमति मांगी तो श्री धनखड़ ने कहा की अव्यवस्था में व्यवस्था का प्रश्न नहीं उठाया जा सकता। पहले सदस्यों को शांत होना होगा। इस पर सदन में हंगामा होने लगा। स्थिति को देखते हुए सभापति ने सदन की कार्यवाही 11 बजकर 32 मिनट पर दिन भर के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी। इसके कारण शीतकालीन सत्र में आज सदन में दूसरी बार शून्यकाल बाधित हुआ।
इससे पहले सभापति ने सुबह सदन की कार्यवाही शुरू करते हुए तीन सदस्यों बिकाश रंजन भट्टाचार्य, डॉ. वानवैरोए खारलुखी और धर्मशिला गुप्ता को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी और आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाएं।
इसके बाद सभापति ने कहा कि उन्हें नियम 267 के अंतर्गत 18 नोटिस मिले हैं। ये नोटिस दिल्ली में कानून व्यवस्था की स्थिति, उत्तर प्रदेश के संभल और मणिपुर में हिंसा तथा अडानी समूह में कथित अनियमिताओं की जांच करने के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित करने पर चर्चा कराने की मांग की गई है।
उन्होंने कहा कि यह नोटिस प्रावधानों के अनुरूप नहीं होने के कारण अस्वीकार किए जाते हैं। इसके बाद विपक्ष के सदस्य अपने आसन से आगे आ गये और जोर-जोर से बोलने लगे। सभापति ने कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं लेने के निर्देश दिए तथा सदस्यों से शांत होने की अपील की। उनकी इस अपील का कोई असर नहीं हुआ तो उन्होंने 11:10 बजे सदन की कार्यवाही 11:30 के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।