नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गुजरात के मोरबी झूला पुल हादसे में 140 लोगों के मारे जाने और बड़ी संख्या में घायल होने की घटना को ‘बड़ी त्रासदी’ बताते हुए राज्य के उच्च न्यायालय से सोमवार को अनुरोध किया कि वह घटना से संबंधित जांच की साप्ताहिक निगरानी के साथ-साथ दोषियों की जिम्मेदारी तय करने और पीड़ितों को मुआवजे के अलावा अन्य संबंधित पहलुओं पर समय-समय पर सुनवाई करें।
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि इस मामले में ‘स्वत: संज्ञान’ सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय ने कई आदेश पारित किए हैं, इसलिए शीर्ष अदालत अब सुनवाई नहीं करेगी। पीठ ने कहा,“यदि जांच शुरू नहीं की गई होती तो हम इस मामले में नोटिस जारी करते।”
शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के दौरान पीड़ितों में से एक का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने पीड़ितों को दिए गए मुआवजे की राशि पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि खेलों के लिए 10 से 15 लाख रुपए दिए जाते हैं, लेकिन यहां वैसा कुछ नहीं हुआ। प्रधानमंत्री राहत कोष से 2 लाख और मुख्यमंत्री राहत कोष से 4 लाख रुपए पीड़ितों को दिए गए। उन्होंने कहा कि मुआवजे की इस नीति पर भी फिर से विचार करना होगा।
जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता विशाल तिवारी ने अदालत की निगरानी में हादसे की न्यायिक जांच कराने की गुहार लगाई थी। उन्होंने शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच कराने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता ने गुजरात के मोरबी में पुल हादसे में कम से कम 140 लोगों के मारे जाने की घटना का जिक्र करते हुए देशभर में सभी पुराने सार्वजनिक ढांचे की विस्तृत सुरक्षा ऑडिट कराने की गुहार लगाई थी।
जनहित याचिका में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को पर्यावरणीय व्यवस्था और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुराने और जोखिम वाले स्मारकों, पुलों आदि के सर्वेक्षण तथा संचालन करने के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश देने की गुहार लगाई गई थी। याचिका में राज्य सरकारों को 'निर्माण घटना जांच विभाग' का गठन करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के मोरबी शहर में नदी पर 137 साल पहले बने ब्रिटिश काल के इस झूला पुल के अचानक गिरने से करीब 140 से अधिक लोगों की मृत्यु और कई लोग लापता हो गए थे। घटना के शिकार होने वालों में बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं।