नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि मानवता अभी जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी तथा अन्य चुनौतियों का सामना कर रही है और ऐसे में सभी को युद्धों तथा टकरावों के विनाश से दूर रहते हुए इन चुनौतियों से मिलकर निपटने के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि विवादों और असहमति का समाधान केवल बातचीत से ही किया जा सकता है।
श्री सिंह ने शुक्रवार को यहां हिन्द-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद में अपने संबोधन में कहा कि भारत एक स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत का पक्षधर है क्योंकि यह न केवल इस क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए बल्कि व्यापक वैश्विक समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण है।
रक्षा मंत्री ने वर्ष 2018 में सिंगापुर में शांगरी-ला संवाद के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान का हवाला देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र का पक्षधर है, जो प्रगति और समृद्धि के साझा प्रयास में हम सभी को एकसाथ रखता है।
श्री सिंह ने जोर देकर कहा कि विवादों और असहमतियों को हल करने और क्षेत्रीय या वैश्विक व्यवस्था बनाने के लिए बातचीत ही एकमात्र सभ्य तरीका है। उन्होंने हाल ही में बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री के दृढ़ संदेश का हवाला दिया कि 'युद्ध का युग खत्म हो गया है। उन्होंने कहा, 'ऐसे समय में जब मानवता जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी और व्यापक अभाव जैसी समस्याओं का सामना कर रही है, यह आवश्यक है कि हम सभी युद्धों और संघर्षों के विनाशकारी प्रलोभन से दूर रहकर, इन विशाल चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करें।
रक्षा मंत्री ने दोहराया कि भारत का हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में रचनात्मक संबंधों में अपने सहयोगियों के साथ काम करने का हमेशा प्रयास रहा है। उन्होंने नवंबर 2019 में थाईलैंड के बैंकॉक में आयोजित पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू की गई 'इंडो-पैसिफिक ओशियन इनिशिएटिव' पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय सहयोग और भागीदारी इस पहल के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।