Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

tranding

0 शीर्ष अदालत ने कहा- सरकार का रवैया निराशाभरा
0 कॉलेजियम के भेजे जजों के नाम क्लीयर करने में देरी हो रही, इससे अपॉइंटमेंट प्रोसेस गड़बड़ाया

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम के सुझाए हुए जजों के नामों को क्लीयर करने में सरकार जितनी देर लगा रही है उससे जजों के अपॉइंटमेंट के तरीके में खलल पड़ रहा है। पूरी प्रक्रिया फ्रस्ट्रेट हो रही है।

जस्टिस एसके कॉल और एएस ओका की बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने अपॉइंटमेंट प्रोसेस के पूरे होने की टाइमलाइन तय की थी। ये डेडलाइन इसलिए दी जाती हैं, ताकि इनका पालन हो सके।

कानून मंत्री ने कॉलेजियम सिस्टम को एलियन बताया था
कुछ दिन पहले कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक टीवी चैनल की समिट में कहा था कि भारत का संविधान सभी के लिए एक ‘धार्मिक दस्तावेज’ है, खासकर सरकार के लिए। कोई भी चीज जो केवल कोर्ट या कुछ जजों के लिए गए फैसले के चलते संविधान से अलग है, आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि उस फैसले का देश समर्थन करेगा। कॉलेजियम सिस्टम संविधान के लिए ‘एलियन’ है।

NJAC एक्ट पास न होने से नाराज लगती है सरकार- जस्टिस कॉल
जस्टिस कॉल ने कहा कि ऐसा लगता है कि नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन (NJAC) एक्ट को पास न किए जाने से सरकार नाराज है। जस्टिस कॉल ने कहा कि कई बार कानून पारित हो पाते हैं और कई बार नहीं हो पाते हैं। लेकिन कानून का पालन न करने के लिए यह कोई बहाना नहीं हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में NJAC एक्ट और संविधान के 99वें संशोधन एक्ट, 2014 को खारित कर दिया था। इसके बाद कॉलेजियम सिस्टम दोबारा लागू हुआ, जिसके तहत मौजूदा जज नए जजों को अपॉइंट कर सकते हैं। कोर्ट ने 20 अप्रैल के अपने पिछले ऑर्डर में जजों के अपॉइंटमेंट का टाइमफ्रेम तय किया था, जिसका पालन न होने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह कमेंट किया।

कोर्ट ने कह दिया तो बात वहीं खत्म हो जानी चाहिए
कोर्ट ने कहा कि एक बार कॉलेजियम ने किसी नाम का सुझाव दिया तो बात वहीं खत्म हो जाती है। ऐसी कोई स्थिति नहीं बननी चाहिए जहां हम नाम सुझा रहे हैं और सरकार उन नामों पर कुंडली मारकर बैठ गई है। ऐसा करने से पूरा सिस्टम फ्रस्ट्रेट होता है। कुछ नाम तो सरकार के पास डेढ साल से पेंडिंग पड़े हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार कई बार सुझाए गए नामों में से सिर्फ एक नाम चुनती है, जिससे वरिष्ठता प्रभावित होती है।