नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने आज कहा कि संकुचित और संकीर्ण लक्ष्यों को हासिल करने के लिए घृणास्पद बयानों और कट्टरता के लिए लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है। श्री डोभाल ने मंगलवार को यहां भारत और इंडोनेशिया के उलेमाओं तथा इस्लामिक विद्वानों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि छोटे मोटे तथा संकीर्ण लक्ष्यों को हासिल करने के लिए लोकतंत्र में घृणास्पद बयानों, भेदभाव, दुष्प्रचार, धोखा देने , हिंसा , टकराव और धर्म के दुरूपयोग के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोगों को इस्लाम में निहित मूल सहिष्णुता तथा उदारता के सिद्धांतों के बारे में शिक्षित तथा जागरूक बनाने में उलेमाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि विशेष रूप से युवाओं पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है और इस मामले में उलेमा की भूमिका केन्द्रीय है। युवाओं को अक्सर कट्टरपंथ से जोड़ने की कोशिश की जाती है लेकिन यदि उनकी ऊर्जा सही दिशा में इस्तेमाल की जाती है तो वे परिवर्तन के वाहक तथा समाज में प्रगति के स्तंभ बन सकते हैं।
श्री डोभाल ने कहा कि सरकारी संस्थानों को भी नकारात्मकता फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ एक होकर आगे आना चाहिए तथा उनकी गतिविधियों के बारे में जानकारी साझा करनी चाहिए। उलेमा समाज के साथ अंदर तक जुड़े रहते हैं इसलिए वे इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि चरमपंथ तथा आतंकवाद इस्लाम के खिलाफ है क्योंकि इस्लाम का मतलब शांति और कल्याण है। उन्होंने कहा कि इस तरह की ताकतों का विरोध करने को धर्म के साथ टकराव के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
इंडोनेशिया के राजनैतिक , विधि और सुरक्षा मामलों के मंत्री डा़ मोहम्मद महफूद श्री डोभाल के निमंत्रण पर इन दिनों यहां आये हुए हैं। उनके साथ उलेमा और विभिन्न इस्लामिक विद्वानों का एक उच्च स्तरीय शिष्टमंडल भी आया हुआ है।
श्री डोभाल ने कहा कि भारत और इंडोनेशिया दोनों ही आतंकवाद तथा अलगाववाद की समस्या से जूझते रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने इन चुनौतियों पर एक हद तक काबू पा लिया है लेकिन सीमा पार आतंकवाद और आईएसआईएस प्रेरित आतंकवाद अभी भी खतरा बने हुए हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए नागरिक समाज का सहयोग जरूरी है।