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तवांग। अरुणाचल के तवांग में 9 दिसंबर को भारत और चीन के सैनिकों में हाथापाई हुई। 600 चीनी सैनिकों ने 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित भारतीय पोस्ट को हटाने के लिए घुसपैठ की कोशिश की थी। यह पोस्ट यांगत्से में है। भारतीय सैनिकों ने चीनियों को खदेड़ दिया।

राजनाथ सिंह ने घटना के 5 दिन बाद मंगलवार दोपहर 12 बजे लोकसभा में इस घटना पर 3 मिनट जवाब दिया। कहा कि हमारे सैनिकों को कोई गंभीर चोट नहीं है और न ही कोई मारा गया है। इसके करीब एक घंटे बाद चीन ने भी बयान दिया पर उसने तवांग का नाम तक नहीं लिया। इतना कहा कि इंडियन बॉर्डर पर हालात स्थिर हैं।

अरुणाचल के सीएम और भाजपा सांसद बोले- मार नहीं खाएंगे, मुंहतोड़ जवाब देंगे
तवांग में भारत-चीन के आमने-सामने होने पर अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि यांगत्से मेरे विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है और हर साल मैं क्षेत्र के जवानों और ग्रामीणों से मिलता हूं। यह अब 1962 नहीं है। अगर कोई अतिक्रमण करने की कोशिश करता है, तो हमारे बहादुर सैनिक उन्हें जवाब देंगे। ईंट का जवाब पत्थर से नहीं, ईंट का जवाब लोहे से दे रही है हमारी वीर भारतीय सेना।

वहीं, अरुणाचल ईस्ट से भाजपा सांसद तपीर गाओ ने कहा कि बॉर्डर से हमारे सैनिक एक इंच भी नहीं हटेंगे। अगर चीनी सैनिक बॉर्डर के अंदर घुसने की कोशिश करते हैं तो हम उनको सबक सिखाएंगे। हम बॉर्डर पर मार नहीं खाएंगे, बल्कि मुंहतोड़ जवाब देंगे।

संसद में राजनाथ और बाहर शाह ने दिया जवाब
राजनाथ ने लोकसभा में कहा- हमारी सेनाएं भौमिक अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। किसी भी प्रयास को रोकने के लिए तत्पर हैं। विश्वास है सदन सेनाओं की वीरता और साहस को समर्थन देगा। यह संसद बिना किसी संशय के भारतीय सेना के शौर्य, पराक्रम और क्षमता का अभिनंदन करेगी।

तवांग झड़प को लेकर संसद में भारी हंगामा हुआ। गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के बाहर कहा कि भारत की एक इंच जमीन पर चीन ने कब्जा नहीं किया। कांग्रेस ने प्रश्न काल चलने नहीं दिया। शाह ने कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन का प्रश्न काल में जिक्र था। इस फाउंडेशन को चीन से 1.38 करोड़ रुपए मिले थे। कांग्रेस शासन में 1962 में चीन ने हजारों एकड़ जमीन हड़प ली थी।

9 दिसंबर को हुई घटना में क्या हुआ

1. लाठी-डंडे से लैस चीनी घुसपैठ करने आए
9 दिसंबर को 600 चीनी सैनिक घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। वे कंटीले लाठी डंडे और इलेक्ट्रिक बैटन से लैस थे। भारतीय सेना भी इस बार पूरी तरह तैयार बैठी थी। हमारी सेना ने भी कंटीले लाठी-डंडों से उनको जवाब दिया। इसमें दर्जनों चीनी सैनिकों की हड्डियां टूटी हैं।

2. तवांग में झड़प के बाद फ्लैग मीटिंग हुई, चीन से कहा-ऐसी हरकत न करें
भारत के जवाबी हमले के बाद 11 दिसंबर को फ्लैग मीटिंग हुई और मसला शांत हुआ। विवाद वाली जगह से फिलहाल दोनों देशों की सेनाएं हट गई हैं। चीन को ऐसे एक्शन के लिए मना किया गया और शांति बनाए रखने को कहा। कूटनीतिक स्तर पर भी मुद्दा उठाया गया।

पिछले साल भी 200 चीनी सैनिकों ने की थी घुसपैठ की कोशिश
पिछले साल इसी क्षेत्र में 200 चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी। तब भी भारतीय सैनिकों ने इसे नाकाम कर दिया था। तब पेट्रोलिंग के दौरान सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हो गए थे और कुछ घंटों तक यह सिलसिला चला था। हालांकि इसमें भारतीय जवानों को कोई नुकसान नहीं हुआ और प्रोटोकॉल के मुताबिक बातचीत से विवाद सुलझा लिया गया।

2 साल पहले गलवान में हुई थी झड़प
15 जून 2020 को लद्दाख के गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ने 4 सैनिक मारे जाने की बात ही कबूली थी।

 

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