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नई दिल्ली। राज्यसभा में गुरुवार को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी दलों के सदस्यों ने ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए गंभीर प्रयास किये जाने पर बल दिया और इसके लिए अपने-अपने सुझाव भी दिये।

सदन में ग्लोबल वार्मिंग के गंभीर प्रभाव और इसके समाधान के लिए उपायात्मक कदमों पर अल्पकालिक चर्चा के दौरान सदस्यों ने अपने सुझाव दिये। द्रविड मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के त्रिरूची शिवा ने इस पर चर्चा की शुरूआत करते हुये कहा कि इसके लिए 50 वर्षाें तक की प्रतीक्षा नहीं कर सकते क्याेंकि ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निपटने के लिए तत्काल पहल किये जाने की जरूरत है। कोप 2027 जैसी बैठक होती रहेंगी, लेकिन इसके लिए गंभीरता से पहल किये जाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2070 से पहले ही नेट जीरो अर्थात जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करना होगा क्योंकि इसके कारण अभी प्रतिदिन विभिन्न प्रकार की 200 प्रजातियां विलुप्त हो रही है या विलुप्त होने की श्रेणी में आ रही है। वैश्विक स्तर पर 10 देशों द्वारा उत्पादित ग्रीन हाउस गैस के कारण ही सबसे अधिक समस्या हो रही है और इसमें चीन पहले स्थान पर है। इसके बाद अमेरिका का स्थान और तीसरे नंबर पर भारत है।

 उन्होंने तमिलनाडु सरकार द्वारा किये जा रहे पहलों का उल्लेख करते हुये कहा कि स्टालिन सरकार ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को प्रभावी तरीके से कम करने की दिशा में काम कर रही है।

भारतीय जनता पार्टी की कविता पाटीदार ने कहा कि ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में तेजी से बढ़ोतरी होने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुयी है और केन्द्र सरकार इससे निपटने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर औद्योगिक क्रांति के साथ ही जलवायु परिवर्तन की शुरूआत हो गयी थी और अब यह विकराल होते जा रही है। सरकार का लक्ष्य 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य है और इस पर काम जारी है। इसके लिए नवीकरणीय ऊर्जा पर सबसे अधिक जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही ईलेक्ट्रिक वाहनों को प्राेत्साहित किया जा रहा है ताकि जैव ईंधन पर निर्भरता कम हो सके।

कांग्रेस की अमी याज्ञिक ने कहा कि वर्तमान में जैव ईंधन की खपत को कम करने की जरूरत है क्योंकि हमारे देश में बिजली का कुल उत्पादन में से 70 प्रतिशत कोयला आधारित है जिसके कारण कई प्रकार की समस्यायें उत्पन्न हो रही है। ग्रीन हाउस गैस के साथ ही कोयले के राख से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है और प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। सरकार को जैव ईंधन पर निर्भरता काे कम करना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस के जवाहर सरकार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक पश्चिम बंगाल जैसे तटीय राज्य प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि तटीय राज्यों के कई क्षेत्र समुद्र के जलस्तर में बढोतरी हाेने से खतरे में है। इसके कारण पश्चिम बंगाल के सुंदरबन जैसे क्षेत्र को बहुत नुकसान हुआ है।