0 77 करोड़ की परियोजना में दो बार किया गया था इस्टीमेट तैयार
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राजधानी में अधूरे स्काई वॉक निर्माण मामले की जांच एसीबी और ईओडब्ल्यू को सौंपने का फैसला किया है। प्रदेश सरकार ने प्रथम दृष्टया इसमें अनियमतता पाए जाने पर जांच का निर्णय लिया है। 77 करोड़ की परियोजना का जान बूझकर 2 बार इस्टीमेट तैयार किया गया था, ताकि पीएफआईसी से मंजूरी की आवश्यकता न रहे।
बता दें कि पीएफआईसी के जरिए किसी भी परियोजना के जनहित के संबंध में परीक्षण किया जाता है, जोकि स्काई वॉक निर्माण में नहीं किया गया है।
प्रथम दृष्टया प्रकरण में अनियमितताएं सामने आई है। इस प्रकरण में अनियमितता को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने शिकायत की थी। एक शिकायत यह भी था कि चुनाव परिणाम आने के बाद आनन-फानन में ठेकेदार को भुगतान किया गया था। इसके बाद सरकार ने विधिवत रिपोर्ट मांगी थी। सरकारी प्रेस नोट में बताया गया कि 77 करोड़ की परियोजना का जानबूझकर दो बार में प्राक्कलन तैयार किया गया ताकि पीएफआईसी से मंजूरी की आवश्यकता न रहे। पीएफआईसी के माध्यम से किसी भी परियोजना के जनहित के संबंध में परीक्षण किया जाता है, जो कि स्काई वॉक निर्माण प्रकरण में नहीं किया गया है।
विधानसभा निर्वाचन 2018 की अधिसूचना जारी रहने के दौरान ही लोक निर्माण विभाग की ओर से पुनरीक्षण प्रस्ताव तैयार कर 5 दिसम्बर 2018 को वित्त विभाग को भेजा गया, जो आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है। स्पष्ट है यह कार्य विभाग के कुछ अधिकारियों और ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया है।
लोक निर्माण विभाग की ओर से स्काई वॉक निर्माण की प्रथम निविदा 4 फरवरी 2017 को जारी की गई और निविदा पेश करने के लिए मात्र 15 दिनों का समय दिया गया। 4 फरवरी तक प्रकरण में वित्त विभाग से प्रशासकीय स्वीकृति भी मिली नहीं हुई थी। 15 दिनों में निविदा के लिए कोई आवश्यकता और औचित्य नहीं दर्शाया गया है, न सक्षम स्वीकृति प्राप्त की गई है।
भूपेश जी सत्य कभी पराजित नहीं होता
इस मामले में पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने ट्विट कर कहा है कि भूपेश जी, अगर आप स्काईवॉक पर वाकई निष्पक्ष नैतिक तौर पर सही हैं,तो इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से करवाइए। याद रखिये ! सत्य कभी पराजित नहीं होता। उन्होंने कहा कि साइंस कॉलेज में चौपाटी का विरोध कर रहा हूं, इसलिए इस तरह की बातें हो रही है मैंने जनता से जुड़े मुद्दे उठाए, चावल घोटाले का मामला उठाया है। मैं न डरने वाला न झुकने वाला, रायपुर की जनता के हित में काम करता रहूंगा।
जनता के पैसों का नुकसान
स्काईवॉक मामले में पहले भी हाई पाॅवर कमेटी यह अनुशंसा कर चुकी है कि 30 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो जाने की वजह से इसे पूरी तरह गिराना जनता के पैसों का नुकसान है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ कि इस पर क्या बनेगा? राजधानी के लोग अब इस सवाल को भी भूल चुके हैं, स्काईवाॅक तोड़े जाने को लेकर भी कई बार सवाल उठ चुका है।