रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को रायपुर से नवागढ़ रवाना होने के पहले हैलीपैड पर उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज्यपाल की ओर से आरक्षण विधेयक रोकने पर एक बार फिर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को अपनी हठधर्मिता छोड़कर विधेयक पर हस्ताक्षर कर देना चाहिए।
आरक्षण विधेयक के मसले पर बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल की हठधर्मिता ठीक नहीं है। विधेयक के रुके होने की वजह से सभी वर्गों के अधिकारों का हनन हो रहा है। अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग ये सभी अपने हक से वंचित हो रहे हैं, संविधान राज्यपाल को ये अधिकार नहीं देता।
सीएम ने कहा कि संविधान में नियम है कि कैबिनेट के स्तर पर राज्य के कार्यों के बारे में प्रशासन सबंधी जानकारी मांगी जाती है देने का नियम है। मंत्रीमंडल तक के लेवल पर ये नियम लागू होता है, लेकिन विधानसभा में प्रस्तुत हुआ बिल, पारित हुआ और सीधा राज्यपाल को भेजा गया। संविधान के अनुछेद 200 के तहत नियम है कि विधायिका में प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद बिल को राज्यपाल को देना है। उसे वे अस्वीकृत कर सकते हैं। अपने पास रख सकते हैं राष्ट्रपति को लौटा सकते हैं। यह बात तो मैं लगातार कह रहा हूं।
संविधान का अपमान कर रही हैं राज्यपाल
दोपहर बाद अपने ट्विट में सीएम श्री बघेल ने कहा कि राज्यपाल संविधान का अपमान कर रही हैं। हमें लोकतंत्र पर भरोसा है। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है। हम जनता के बीच जाएंगे और भाजपा व राज्यपाल के बारे में बताएंगे।
भाजपा हस्ताक्षार की मांग नहीं कर रही
भाजपा के नेताओं के आरक्षण पर लगाए आराेपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा क्यों नहीं मांग नहीं कर रही है कि राज्यपाल हस्ताक्षर करें। प्रदेश में अलग-अलग वर्ग आंदोलन पर आमादा हैं। प्रदेश की शांति व्यवस्था आंदोलन की ओर झोंकने का प्रयास किया जा रहा है। क्या भाजपा नहीं चाहती कि पिछड़े वर्ग को आरक्षण मिले, अनुसूचित वर्ग को आरक्षण मिले। ये पीछे के रास्ते राजभवन पर दबाव डालकर विधेयक को रोक रहे हैं, जबकि सदन में तो सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ था।