
0 राजधानी पहुंचे आदिवासियों ने कहा-हमें पीटा, चोट मन में लगी है, हमारी संस्कृति पर अतिक्रमण कैसे सहें
रायपुर। नारायणपुर में हुई हिंसक झड़प और धर्मांतरण के मामले का बवाल नहीं थम रहा। इस पूरी घटना से आदिवासी समाज दुखी है। प्रशासनिक कार्रवाई से उनमें गुस्सा है। घटना में घायल हुए आदिवासी समाज के लोगों को लेकर भाजपा नेता व पूर्व विधायक भोजराज नाग रायपुर पहुंचे। नाग ने कहा कि आदिवासियों की संस्कृतियों को बदला जा रहा है, इसलिए नारायणपुर में विवाद हुआ।
मारपीट में घायल गोर्रा गांव के रनाय उसेंडी, सियाबत्ती दुग्गा, मोड़ा राम कौड़ो, मगलूराम नेताम और राजाऊ राम उसेंडी भी पूर्व विधायक के साथ रायपुर आए थे। नाग ने कहा कि आदिवासियों को वहां पीटा गया, जब शिकायत की गई तो आवेदन पर कोई सुनवाई नहीं हुई। मिशनरियांे के इशारे पर सबकुछ हो रहा है। पक्षपात किया जा रहा है । मिशनिरियों ने पीटा प्रशासनिक अफसरों ने आदिवासियों को गिरफ्तार किया । 60 से अधिक लोगांे पर केस दर्ज किया गया है। जबकि आदिवासियों कि शिकायत पर कोई एक्शन नहीं लिया गया।
एक भी ईसाई नहीं तो चर्च कैसे
पूर्व विधायक नाग ने बताया कि नारायणपुर के आदिवासियों के बीच भाई को भाई से, गांव के ही लोगों को अपने ही गांव के लोगों से लड़वाने का काम हो रहा है। हमनें प्रशासन से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी, पूछा गया था कि कितने ईसाई इस इलाके में रहते हैं, धर्मांतरण कितनों का हुआ। तो जवाब आया कि एक का भी धर्म परिवर्तन नहीं किया गया। कोई मंतारित नहीं है तो कैसे चर्च बन गया। ईसाई सभा और ईसाई पद्धति से अंतिम संस्कार करने का दबाव बनाया जा है। हम लोग शांति प्रिय लोग हैं। सीधे प्रकृति को पूजते हैं। हमारे नदी नाला जंगल और संस्कृति पर कोई अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं करेंगे।
सीबीआई जांच की मांग
प्रेस वार्ता में जनजातीय समाज के प्रमुखों ने बताया कि बीते 31 दिसंबर एवं 1 जनवरी को नारायणपुर के एडका पंचायत के गोर्रा गांव में धर्मान्तरित ईसाइयों की भीड़ ने जनजाति समाज के लोगों पर जानलेवा हमला किया, जिसके बाद कई जनजाति ग्रामीणों को अपनी जान की रक्षा हेतु घटनास्थल से भागना पड़ा। लच्छूराम, प्रेमलाल, सोपसिंह, रजमन समेत अन्य लोगों ने मिशनरियों के इशारे पर हमला किया। पुलिस इनपर कोई कार्यवाही नहीं कर रही है।
नारायणपुर में हुई हिंसा की घटना में प्रशासन निष्पक्ष नहीं है। जनजातीय समाज के लोगों ने प्रेस वार्ता में कहा कि यदि पुलिस और जिला प्रशासन ईसाई आरोपियों पर त्वरित कार्रवाई करता तो आदिवासी समाज इतना आक्रोशित नहीं होता। आदिवासी समाज का कहना है कि पुलिस और प्रशासन की जांच इस मामले में अब निष्पक्ष नहीं रही है, अतः इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए।